नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 50 किलोग्राम रसायन की जब्ती
नई दिल्ली. पुणे ड्रग तस्करी का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि एक और बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. मादक पदार्थों की तस्करी करने का तरीका देखकर जांच अधिकारी भी दंग रहे गए. उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि इस तरीके से भी मादक पदार्थों की तस्करी की जा सकती है. जांच एजेंसी ने बड़े इंटरनेशनल ड्रग रैकेट का खुलासा किया है. इसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. बता दें कि कुछ दिन पहले ही पुणे पुलिस ने एक साथ देश के विभिन्न हिस्सों में छापा मारकर 3000 करोड़ रुपये मूल्य से भी ज्यादा के ड्रग्स जब्त किया था.
जानकारी के अनुसार, तीन लोगों की गिरफ्तारी तथा मादक पदार्थ बनाने में इस्तेमाल आने वाले 50 किलोग्राम रसायन की जब्ती के साथ एक अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ तस्करी नेटवर्क को नष्ट किया गया है. यह रसायन ‘मिक्स फूड पाउडर’ और सूखे नारियल में छिपाकर ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड भेजा जा रहा था. एनसीबी ने यह जानकारी दी है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के उप महानिदेशक (DDG) ज्ञानेश्वर सिंह ने एक बयान में बताया कि इस केंद्रीय मादक पदार्थ निरोधक एजेंसी और दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा की संयुक्त टीम ने आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के अधिकारियों की सूचना पर कार्रवाई करते हुए इस नेटवर्क को तोड़ा है.
एनसीबी के डीडीजी कहा कि 4 महीने पहले इन दोनों देशों के अधिकारियों ने सूचना दी थी कि भारत से सूखे नारियल के पाउडर में छिपाकर भारी मात्रा में स्यूडोइफेड्राइन उनके यहां भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी ड्रग प्रवर्तन प्रशासन से सूचना मिली कि इन खेपों का स्रोत दिल्ली है. सिंह ने बताया कि एनसीबी और विशेष शाखा के अधिकारियों ने कड़ियों को जोड़ा तथा 15 फरवरी को पश्चिमी दिल्ली के बसई दारापुरा क्षेत्र में एक गोदाम पर छापा मारा. उन्होंने बताया कि गोदाम से 50 किलोग्राम स्यूडोइफेड्राइन जब्त किया गया जिसे विभिन्न अनाजों के फूड मिक्स के खेप में छिपाया जा रहा था. उनके अनुसार इस सिलसिले में तमिलनाडु के तीन लोगों को पकड़ा गया.
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी ने कहा, ‘इस नेटवर्क के मास्टरमाइंड की पहचान एक तमिल फिल्म निर्माता के रूप में हुई है जो फरार है. उसे पकड़ने की कोशिश की जा रही है, ताकि स्यूडोइफेड्राइन के स्रोत का पता लगाया जा सके.’ डीडीजी के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों ने एनसीबी को बताया कि पिछले तीन सालों में उनके द्वारा स्यूडोइफेड्राइन की कुल 45 खेप भेजी गयी हैं. उनमें 3500 किलोग्राम से अधिक स्यूडोइफेड्राइन शामिल था जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 2000 करोड़ रुपये है. स्यूडोइफेड्राइन का इस्तेमाल मेथामफेटामाइन बनाने में किया जाता है.