IIT Student Suicide: सुसाइड नोट के दो पन्ने खाली, बाकी में परिवार को संदेश, लिखा- मैं कुछ एक्सट्रा नहीं कर सकी

कानपुर/ एक पुलिस अफसर के मुताबिक, पांच पेज के सुसाइड नोट में दो पेज खाली है। एक पेज में केवल इतना लिखा है कि मेरी मौत के लिए किसी को दोष न दिया जाए। एक पेज में केवल लाइन खिंची हुई है। दूसरे पेज में परिवार वालों के नाम का जिक्र करते हैं लिखा है कि ऐसा नहीं है कि मैं कुछ कर नहीं सकती।पीएचडी पूरी करके आगे और पढ़ाई के साथ काम भी कर सकती हूं। हां, एक्सट्रा कुछ नहीं कर सकी। पुलिस अधिकारी के मुताबिक सुसाइड नोट से लग रहा है कि प्रगति अकेलापन महसूस कर रही थी, लेकिन वजह क्या हो सकती है यह तो उसके परिवार के लोग ही जान सकते हैं। बताया जा रहा है कि सुसाइड नोट में किसी लड़के का नाम और मोबाइल नंबर भी लिखा है।

इस बारे में पुलिस जांच कर रही है। वहीं, प्रगति ने अपने दोस्तों के लिए लिखा है कि आप लोगों ने मुझे बहुत कोऑपरेट किया, इसके लिए थैक्स…। पुलिस का कहना है कि नोट में किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। आवश्यकता पड़ने पर सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच भी कराई जाएगी।

तड़के ही लगाया था प्रगति ने फंदा
प्रगति के शव का तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। वीडियो फोटोग्राफी भी हुई। माना जा रहा है कि प्रगति ने गुरुवार तड़के फंदा लगाया है। पोस्टमार्टम में हैंगिग (फंदे) से मौत की पुष्टि हुई है।

मां बोली- मौत से पहले उदास थी प्रगति, पुलिस ने क्यो नहीं किया इंतजार
बेटी प्रगति बहादुर थी, वह आत्महत्या नहीं कर सकती। उसकी मौत की खबर गुरुवार दोपहर दो बजे दी गई। उसके पास मिला सुसाइड नोट भी पुलिस ने परिवार को नहीं दिया। जांच के नाम पर मोबाइल भी रख लिया। यह आरोप बेटी की मौत से बदहवास हुई मां संगीता ने लगाए। संगीता का कहना है कि आईआईटी प्रशासन ने ही बेटी की जान ली है।

कहा था- जुकाम की वजह से उतरा है चेहरा
प्रगति की मां संगीता के मुताबिक बुधवार की देर शाम भी उनकी बेटी से वीडियो कॉल पर बात हुई थी। उसका चेहरा काफी उतरा हुआ था, लग रहा थी कि वह परेशान है। उससे काफी पूछा , लेकिन उसने कुछ भी नहीं बताया। बोली कि जुकाम की वजह से चेहरा उतरा है। इसके बाद उन्हें रात भर ठीक से नींद नहीं आई।

मौत की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए
गुरुवार सुबह उठते ही प्रगति को क़ई बार फोन किया, लेकिन उठा नहीं तो लगा कि शायद बेटी लैब या क्लास में व्यस्त हो। फिर दोेपहर दो बजे फोन आया कि आप लोग अर्जेंट आ जाओ। प्रगति ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है। आरोप है कि जब परिवार के लोग वहां पहुंचे तो कमरे का दरवाजा खुल चुका था। संगीता का कहना है कि बेटी की मौत की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

रात नौ बजे पहुंचा शव, आज होगा अंतिम संस्कार
पोस्टमार्टम के बाद गुरुवार की रात नौ बजे प्रगति का शव जैसे ही उसके चकेरी स्थित घर पर पहुंचा, इलाकाई लोगों की भीड़ लग गई। मां संगीता का रो-रोकर बुरा हाल था। पड़ोस की महिलाओं ने उन्हें बड़ी मुश्किल से संभाला। परिजनों ने बताया कि प्रगति का भाई शिवम राउलकेला में शुक्रवार को उसके आने पर ही शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

मोहल्ले की सड़क के लिए भी की थी भागदौड़
मोहल्ले की महिलाओं ने बताया कि प्रगति मेधावी होने के साथ-साथ काफी सामाजिक भी थी। मोहल्ले की खराब सड़क बनवाने के लिए भी प्रगति ने अधिकारियों के दफ्तरों के कई चक्कर लगवाए थे, लेकिन आखिर में सड़क बनवा कर ही दम लिया था। बताया कि परिवार मूलरूप से उरई का रहने वाला है, वह कई वर्षों से सनिगवां के सजारी फार्म मुहल्ले में अपना मकान बनाकर रह रहा है।

पढ़ाई का टेंशन होना साथियों की समझ से परे

सीनियर प्रोफेसरों का कहना है कि प्रगति का एकेडमिक रिकार्ड अच्छा रहा है। प्रगति के साथी भी मानते हैं कि पढ़ाई के तनाव की बात गले से नहीं उतर रही है। पीएचडी कोर्स वर्क में उसे 8.13 सीपीआई मिला था। हर सेमेस्टर के ग्रेड भी अव्वल रहे हैं। हालांकि आत्महत्या के पीछे के कारणों की जांच के लिए कमेटी का गठन है। आंतरिक जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

तीन आत्महत्याओं के बाद हुआ था ग्रेडिंग में बदलाव
एक माह में हुई तीन आत्महत्याओं के बाद आईआईटी में छात्रों की ग्रेडिंग सिस्टम में 2023-24 सत्र से बड़ा बदलाव किया गया है। छात्रों को मानसिक तनाव न हो इसके लिए ए, बी, सी के आधार पर होने वाली ग्रेडिंग को अब ए एप्लस, बी बीप्लस कर दिया गया। अंग्रेजी की दिक्कत को देखते हुए छात्रों के लिए इसकी भी कक्षाएं संचालित की जाने लगी हैं।

फैलोशिप के पैसों से घर बनवाने के लिए की थी मदद
पीएचडी करने के साथ-साथ प्रगति अपने परिवार की भी जिम्मेदारी निभा रही थी। परिवार के जिस किसी भी सदस्य पर जब भी कोई मुश्किल आती थी तो वह अपने फैलोशिप से मिलने वाले पैसों से उनकी मदद किया करती थी। हंसमुख इतनी थी कि सभी से हंसते-मुस्कुराते हुए बात करती और बात करने वाले को हंसाती थी। हर रोज सुबह अपनी दो साल की भतीजी दिशा व घरवालों से वीडियोकाल से बातें करना उसकी दिनचर्या में शामिल था।

बड़े भाई को व्यवसाय भी कराया
पिता गोविंद ने बताया कि प्रगति ने बड़े भाई सत्यम को स्टेशनरी का काम शुरू करने में मदद की और घर बनवाने के लिए अपने जोड़े हुए रुपये दिए थे। भाई सत्यम का कहना है कि सभी की परेशानियों को दूर करने वाली प्रगति को यदि कोई परेशानी थी तो वह परिवार के सदस्यों को बता सकती थी। पिता गोविंद का कहना है कि वह आईआईटी से प्रशासन से पूछेंगे जरूर कि बेटी के साथ आखिर कैंपस में ऐसा क्या हुआ जो उसने जान देने का फैसला किया।

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