बांग्लादेश में हुई हिंसा, हिंदू जहां हैं वहां संगठित रहें’,शस्त्र पूजन उत्सव पर बोले संघ प्रमुख

नागपुर/ पूरा देश आज दशहरा का पर्व मना रहा है। यह पर्व हर वर्ष शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ दशमी तिथि को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर हर साल की भांति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी शस्त्र पूजन का आयोजन किया। नागपुर में संघ मुख्यालय पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की। शस्त्र पूजा के दौरान पद्म भूषण और पूर्व ISRO प्रमुख के. राधाकृष्णन भी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उनके अलावा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस , इसरो के पूर्व प्रमुख के सिवन भी संघ मुख्यालय पर उपस्थित रहे। इस मौके पर अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने कहा कि यह वर्ष महत्वपूर्ण है क्योंकि आरएसएस शताब्दी वर्ष में कदम रख रहा है। भागवत ने कहा कि भारत में आशाओं और आकांक्षाओं के अलावा चुनौतियां और समस्याएं भी मौजूद हैं। हमें अहिल्याबाई होल्कर, दयानंद सरस्वती, बिरसा मुंडा और कई ऐसी हस्तियों से प्रेरणा लेनी चाहिए जिन्होंने अपना जीवन देश के कल्याण, धर्म, संस्कृति और समाज के प्रति समर्पित कर दिया।

आगे बोलते हुए संघ प्रमुख ने जम्मू-कश्मीर में हालिया विधानसभा चुनावों का भी जिक्र किया। संघ प्रमुख ने कहा कि जनता, सरकार और प्रशासन के कारण ही विश्व पटल पर देश की छवि, शक्ति, प्रसिद्धि और रुतबा बढ़ रहा है। लेकिन भयावह साजिशें देश को अस्थिर करती दिखायी दे रही हैं। भागवत ने कहा कि हाल में बड़े राजनीतिक उथल-पुथल से गुजरे पड़ोसी देश बांग्लादेश में यह धारणा फैलायी जा रही है कि भारत एक खतरा है और उन्हें भारत से बचाव के लिए पाकिस्तान से हाथ मिलाना चाहिए।  

इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर भी प्रतिक्रिया दी। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमारे पड़ोसी बांग्लादेश में जो हुआ? उसके कुछ तात्कालिक कारण हो सकते हैं, लेकिन जो लोग चिंतित हैं, वे इस पर चर्चा करेंगे। लेकिन, उस अराजकता के कारण, हिंदुओं पर अत्याचार करने की परंपरा वहां दोहराई गई। पहली बार, हिंदू एकजुट हुए और अपनी रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे। लेकिन, जब तक क्रोध में आकर अत्याचार करने की यह कट्टरपंथी प्रवृत्ति होगी – तब तक न केवल हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक खतरे में होंगे। उन्हें पूरी दुनिया के हिंदुओं से मदद की जरूरत है। यह उनकी जरूरत है कि भारत सरकार उनकी मदद करे। अगर हम कमजोर हैं, तो हम अत्याचार को आमंत्रित कर रहे हैं। हम जहाँ भी हैं, हमें एकजुट और सशक्त होने की जरूरत है। 

मोहन भागवत ने आगे कहा कि सरकार को नियंत्रित करने वाली परोक्ष ताकतें और ‘सांस्कृतिक मार्क्सवादी’ सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित शत्रु हैं। बहुदलीय लोकतंत्र में क्षुद्र स्वार्थ आपसी सौहार्द, राष्ट्र के गौरव और अखंडता से अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। उन्होंने कहा कि दलों के बीच स्पर्धा में इन मुख्य पहलुओं को गौण माना जाता है। उन्होंने उन्होंने बिना किसा पार्टी का नाम लिए कांग्रेस पर भी निशाना साधा। संघ प्रमुख ने कहा कि समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिशें राष्ट्रीय हित से बड़ी हो गयी हैं। उनकी कार्यप्रणाली एक पार्टी के समर्थन में खड़े होना और ‘वैकल्पिक राजनीति’ के नाम पर अपने विनाशकारी एजेंडे को आगे बढ़ाना है।

उन्होंने आगे कहा कि परिस्थितियां कभी चुनौतीपूर्ण होती हैं तो कभी अच्छी… मानव जीवन भौतिक रूप से पहले से अधिक खुशहाल है लेकिन हम देखते हैं कि इस खुशहाल और विकसित मानव समाज में भी कई संघर्ष जारी हैं। इजरायल और हमास के बीच जो युद्ध शुरू हुआ है – हर कोई इस बात को लेकर चिंतित है कि यह कितना व्यापक होगा और इसका दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

आगे बोलते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कोलकाता के आरजीकर मामले पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जो हुआ वह शर्मनाक है। लेकिन, यह कोई एक घटना नहीं है। हमें ऐसी घटनाएं न होने देने के लिए सतर्क रहना चाहिए।  अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने बिना किसी का नाम लिए बंगाल सरकार पर भी निशाना साधा। मोहन भागवत ने कहा कि उस घटना के बाद भी, जिस तरह से चीजों में देरी की गई, अपराधियों को बचाने की कोशिश की गई  यह अपराध और राजनीति के बीच गठजोड़ का परिणाम है।

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