क्या मरकाम की जगह लेंगे बस्तर सांसद दीपक बैज…
0 सत्ता संगठन में संतुलन की जरूरत, युवा नेतृत्व की दरकार
(अर्जुन झा)
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के उत्तराधिकारी की तलाश तेजी पकड़ चुकी है और राज्य में कांग्रेस की सत्ता व संगठन के बीच समन्वय के आधार पर लोकसभा सांसद दीपक बैज की संभावनाओं पर चर्चाओं का दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस के गलियारों में अब तक यह चर्चा रही है कि खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को मोहन मरकाम के स्थान पर कांग्रेस संगठन की कमान सौंपी जा सकती है लेकिन अब तेजी से बस्तर सांसद दीपक बैज का नाम भी इन चर्चाओं में शामिल हो गया है। कांग्रेस क्या यह नहीं चाहेगी कि चुनाव की दृष्टि से संगठन में नया उत्साह हो और इस वजह से संगठन को युवा नेतृत्व दिया जा सकता है या दिए जाने की जरूरत महसूस की जा सकती है। कांग्रेस का आंतरिक संतुलन भी एक वजह है। अब चुनाव को बमुश्किल 7 माह शेष रह गए हैं।तब कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की संभावनाएं प्रबल बताई जा रही हैं। तमाम बड़े नेता दिल्ली में डटे हुए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी दिल्ली में हैं और सांसद दीपक बैज ने इस मौके पर उनसे मुलाकात कर विभिन्न विषयों पर बातचीत की है। बताया जा रहा है कि 12 अप्रैल के आसपास कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बस्तर दौरे पर आ सकती हैं। ऐसे में उनके दौरे का खास महत्व है, जब छत्तीसगढ़ में संगठन में बदलाव अपेक्षित है। कांग्रेस चाहती है कि भूपेश बघेल की सत्ता के साथ कांग्रेस का संगठन पूरे जोशो खरोश के साथ चुनावी मैदान में उतरे और पिछले चुनाव जैसी भारी-भरकम सफलता हासिल की जाए। अब कांग्रेस के भीतर के संतुलन की बात करें तो कांग्रेस की सरकार में सरगुजा संभाग से तीन मंत्री हैं। जिनमें स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह के काम शामिल हैं। यदि भगत को संगठन की कमान दी जाती है तो उम्मीद की जा सकती है कि उन्हें मंत्री पद छोड़ने कहा जाएगा। तब 6 माह के लिए मंत्री पद की लाटरी किसके नाम की खुलेगी और इससे क्या प्रभाव पड़ेगा, यह भी एक मुद्दा है। बस्तर संभाग की सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है और इस संभाग से केवल कवासी लखमा मंत्रिमंडल में शामिल हैं। बिलासपुर संभाग से राजस्व मंत्री जयसिंहअग्रवाल और उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल हैं तो रायपुर संभाग से नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया मंत्रिमंडल में हैं जबकि दुर्ग संभाग से मंत्रिमंडल में मंत्रियों की भरमार है। इनमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, वनमंत्री मोहम्मद अकबर, पीएचई मंत्री रुद्र गुरु और महिला बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया शामिल हैं। अब तक बस्तर संभाग से एक ही मंत्री दिए जाने पर बस्तर का संतुलन इस तरह बना हुआ है कि महिला कांग्रेस और छत्तीसगढ़ कांग्रेस का नेतृत्व बस्तर संभाग कर रहा है। कांग्रेस ने फूलोदेवी नेताम के रूप में बस्तर को राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व दिया है। लेकिन अब बस्तर संभाग के मोहन मरकाम का अध्यक्ष कार्यकाल पूरा होने के बाद नए अध्यक्ष की सरगर्मी तेज है, तब सवाल है कि यदि सरगुजा के भगत को संगठन की कमान सौंपी जाएगी तो उनके स्थान पर मंत्री कहां से बनाया जाएगा और किसे बनाया जाएगा। मंत्री पद के लिए खींचतान मचेगी। क्या संगठन की कप्तानी के एवज में बस्तर को एक मंत्री और दिया जा सकता है। बस्तर में कांग्रेस के बारह विधायक हैं, जिनमें से 11 अपने उन्नयन की अपेक्षा रख सकते हैं। ऐसे में संतुलन और चयन आसान नहीं है। फिर नया मंत्री इतने कम समय में कितना काम कर सकता है। कांग्रेस ने एक संतुलन यह भी बनाए रखा है कि बिलासपुर संभाग को विधानसभा अध्यक्ष और बस्तर संभाग को विधानसभा उपाध्यक्ष का पद दिया है। विधानसभा उपाध्यक्ष रहते मनोज मंडावी के निधन के बाद कांग्रेस ने यह पद बस्तर संभाग के संतराम नेताम को दिया। अब क्या प्रदेश अध्यक्ष मरकाम के स्थान पर बस्तर को अहमियत दी जा सकती है। कांग्रेस ने अब तक यहां किसी सांसद को संगठन नहीं सौंपा है जबकि भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष अरुण साव सांसद हैं और पूर्व में भी दो आदिवासी सांसद विष्णुदेव साय और विक्रम उसेंडी भाजपा का नेतृत्व कर चुके हैं। चुनाव काल में भाजपा ने संगठन की जिम्मेदारी एक सांसद को सौंपी है तो क्या कांग्रेस युवाओं में उत्साह की प्रत्याशा में युवा सांसद दीपक बैज को जिम्मेदारी सौंप सकती है? दिल्ली में दीपक बैज की आक्रामक शैली और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप संघर्ष से कांग्रेस का आला नेतृत्व भी वाकिफ है। व्यवहार के मामले में दीपक की खासियत यह है कि विरोधी विचारधारा के लोग भी उनका विरोध नहीं कर पाते। दीपक समन्वय आधारित लोक कामकाज की राजनीति करते हैं और किसी भी विवाद से उनका दूर दूर तक कोई लेनादेना नहीं है। दीपक के नाम पर अगर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आगे बढ़ते हैं तो टीएस सिंहदेव सरगुजा के नाम पर ज्यादा जोर नहीं दे पाएंगे और बस्तर के मरकाम बस्तर के दीपक का भला कैसे विरोध कर सकते हैं। मंत्री भगत भी अपनी जगह कायम रहते हैं तो नए मंत्री के चयन की कवायद भी नहीं करना पड़ेगी।