बीते 50 वर्षों में पहली बार ऐसी स्थिति, कि जुलाई में कन्हर नदी की धार इतनी पतली…
रामानुजगंज 23 Jully (Swarnim Savera) । क्षेत्र की जीवनदायिनी माने जाने वाली कन्हर नदी में 50 वर्षों में पहली बार ऐसे हालात निर्मित हुए हैं कि जुलाई के दूसरे पखवाड़े में भी नदी अत्यंत पतले धार में चल रही है। यदि इसी प्रकार के हालात रहे तो निश्चित रूप से नगर में आने वाले समय में पानी के लिए हाहाकार मचेगा। जनप्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन को गंभीरतापूर्वक नदी के स्थिति को देखते हुए चिंता करने की आवश्यकता है। ताकि नगर में नियमित पेयजल आपूर्ति बाधित न हो।
गौरतलब है कि नगर की करीब 25 हजार आबादी की नियमित जलापूर्ति कन्हर नदी पर आश्रित है ऐसे में नगर में कन्हर के सूख जाने के बाद अप्रैल,मई,जून माह में पानी का किल्लत हो गया था। वही नगर पंचायत के द्वारा जैसे तैसे नियमित जलापूर्ति की जा रही थी। 20 जून के बाद बरसात शुरू हुआ तो लोगों ने सोचा कि अब नगर में भीषण जल संकट खत्म हो गया परंतु जिस प्रकार से जुलाई के दूसरे पखवाड़े में हालात निर्मित हो रहे हैं वह बहुत ही चिंता में डालने वाले हैं क्योंकि जब नदी को लबालब होना चाहिए था। वह झारखंड की ओर अत्यंत पतले धार में चल रही है। वहीं छत्तीसगढ़ की और धार भी सूख गया है। बीते 50 वर्षों में पहली बार ऐसी स्थिति निर्मित हुई है कि जुलाई माह में कन्हर नदी अत्यंत पतले धार में चल रही है।
कुआ व बोरिंग का जलस्तर नहीं बढ़ा...
जिस प्रकार से बीते अप्रैल-मई एवं जून माह में लोगों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ा था परंतु 20 जून के बाद वर्षा होने पर लोग समझ रहे थे कि अब कुआ एवं बोरिंग का जलस्तर बढ़ जाएगा एवं भीषण जल संकट से मुक्ति मिलेगी परंतु अभी तक नगर के अधिकांश युवा एवं बोरिंग का जलस्तर नहीं बढ़ा है।जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों को चिंता करने की है जरूरत ….
जिस प्रकार से कन्हर नदी की स्थिति है उसे देखते हुए जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों को चिंता करने की आवश्यकता है। ताकि आने वाले समय में यदि वर्षा नहीं होती है तो नियमित जलापूर्ति के लिए किस प्रकार से व्यवस्था की जा सके।
कन्हर की स्थति देखकर पूरा नगर है चिंतित…
कन्हर नदी में जिस प्रकार से पानी अत्यंत पतले धार में चल रही है इसे देखकर पूरे नगरवासी चिंतित है। यदि जुलाई में नदी के ऐसे हालात है तो यदि वर्षा नहीं होती है तो आने वाला समय में नदी की क्या स्थिति होगी। नगर पंचायत के लिए नियमित जलापूर्ति करना एक बड़ी चुनौती होगी।