कंटकमुक्त हो गई है मंत्री कवासी लखमा की राह

कोंटा सीट पर लखमा के सिवा कांग्रेस टिकट के लिए कोई और नहीं आया सामने =

= भाजपा भी चुनौती नहीं दे पाएगी धरती पुत्र लखमा को =

*-अर्जुन झा-*

*जगदलपुर* बस्तर संभाग की हाई प्रोफाइल सीट कोंटा सुकमा में मंत्री कवासी लखमा के अलावा कांग्रेस से किसी भी अन्य नेता ने पार्टी टिकट के लिए दावेदारी नहीं की है। यानि इस सीट पर सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है और चुनाव में लखमा को बगावत का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसी तरह राज्य के तीन अन्य मंत्रियों की सीटों पर भी यही स्थिति है। छत्तीसगढ़ के लिए कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की घोषणा जल्द करने वाली है।     

          प्रदेश के मौजूदा चार मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्रों से उनके अलावा कोई अन्य दावेदार सामने नहीं आए हैं। इन मंत्रियों में बस्तर संभाग के कवासी लखमा, दुर्ग संभाग के साजा से रविंद्र चौबे, कवर्धा से मो.अकबर और उमेश पटेल शामिल हैं। इनकी सीटों पर इन मंत्रियों के अलावा कोई दावेदार नहीं हैं। ऐसे में इन सभी मंत्रियों का टिकट तय माना जा रहा है। कोंटा सुकमा क्षेत्र कवासी लखमा का अभेद्य गढ़ माना जाता है। इस सीट से किसी अन्य नेता द्वारा कांग्रेस टिकट के लिए दावेदारी न की जाने से साफ संकेत मिल गया है कि श्री लखमा की राह पूरी तरह कंटक मुक्त हो गई है।कोंटा सीट पर भारतीय जनता पार्टी भी कवासी लखमा को चुनौती देने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार भी कवासी लखमा बिना किसी बाधा के छ्ग विधानसभा में पहुंच जाएंगे।

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*अपनी अवाम के रियल हीरो हैं लखमा*

 श्री लखमा क्षेत्र के लोगों के दिलों पर राज करते हैं। मंत्री जैसे अहम पद पर रहने और सुरक्षा घेरे से घिरे रहने के बावजूद अपनी अवाम के साथ एक पारिवारिक सदस्य के रूप में पेश आते हैं। लोगों के साथ जमीन पर बैठकर हंसी ठिठोली करना, किसी ग्रामीण की सुलगती बीड़ी से अपनी बीड़ी जलाना, पर्व त्योहारों के दौरान आदिवासियों संग ढोल मांदर बजाते नाचना गाना, बच्चों के साथ बच्चों जैसा व्यवहार करना, बुजुर्गों के चरण स्पर्श करना, युवाओं और हमउम्र लोगों के साथ दोस्ताना रवैया अख्तियार कर लेना आदि बर्ताव श्री लखमा को दीगर सियासतदानों से अलहदा दिखाते हैं। धार्मिक आयोजनों के दौरान उन पर देवी देवता सवार हो जाते हैं। इस स्थिति में श्री लखमा स्वयं के शरीर को कंटीली सांकल से मार -मार कर लहूलुहान कर डालते हैं। सहज सरल और भोले भाले आदिवासियों को इससे ज्यादा और क्या चाहिए भला ? उन्हें तो अपना जनप्रतिनिधि स्वयं के जैसा चाहिए होता है। लखमा में ये सारे गुण मौजूद हैं और यही वजह है कि वे अपनी अवाम के लिए रियल हीरो बन गए हैं।

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*रायपुर दक्षिण में फंस गया है पेंच*

वहीं प्रदेश के अन्य जिलों में जिला कांग्रेस कमेटियां 3-3 नाम तय कर भेजेगी प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजेगी। जिला कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्षों की मीटिंग में रायपुर जिले के 7 विधानसभा क्षेत्रों में भी कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी के नाम सामने आए हैं। रायपुर पश्चिम से विकास उपाध्याय, आरंग से मंत्री शिव डहरिया, अभनपुर से विधायक धनेंद्र साहू, रायपुर उत्तर से विधायक कुलदीप जुनेजा, रायपुर ग्रामीण से पंकज शर्मा टिकट की दौड़ में अव्वल बताए गए हैं। रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर पेंच थोड़ा फंस गया है। इस सीट पर तीन नामों के बीच अभी भी संशय बना हुआ है। इस सीट के लिए पैनल में प्रमोद दुबे, आकाश शर्मा, सन्नी अग्रवाल के नाम शामिल हैं।

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*धरसींवा में नए चेहरे को मौका?*

इसके साथ ही धरसींवा विधानसभा सीट पर नए चेहरे को मौका मिलने की संभावना है। खबर यह भी है कि अहिवारा क्षेत्र में मंत्री गुरु रूद्रकुमार की दावेदारी को लेकर कार्यकर्ताओं में बढ़ते विरोध के चलते उन्हें नवागढ़ से प्रत्याशी बनाया जा सकता हैं।

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