अब वनोपजों पर बड़ा दांव खेलने वाली है भाजपा

तेंदूपत्ता व अन्य वनोपजों को एमएसपी के दायरे में लाने और मूल्य बढ़ाने पर चल रहा है भाजपा में मंथन =

= छग, मप्र के विधानसभा चुनावों में मास्टर स्ट्रोक साबित होगा यह कदम =

*-अर्जुन झा-*

*रायपुर।* लगभग दो माह बाद होने जा रहे छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनावों में भाजपा वनोपजों के नाम पर बड़ा दांव खेलने जा रही है। भाजपा तेंदूपत्ता समेत कुछ अन्य मुख्य वन उपजों को समर्थन मूल्य के दायरे में लाकर उनकी खरीदी कीमत बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। अगर भाजपा ऐसा कदम उठाती है, तो यह छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के लिए उसका मास्टर स्ट्रोक साबित होगा।

       सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र की भाजपा सरकार तेंदूपत्ता, महुआ, इमली, जामुन, साल बीज, शहद आदि को भी एमएसपी के दायरे में लाकर इन सभी वनोपजों की खरीदी वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से कराने और उनकी दरों में खासी बढ़ोत्तरी करने पर योजना बना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर यह कदम उठाया जा रहा है। इस मसले पर केंद्र सरकार के शासकीय उपक्रम ट्राईफेड के अध्यक्ष एवं गुजरात के पूर्व मंत्री रायसिंह रथावा गंभीरता से काम कर रहे हैं और इन्हें केंद्रीय जनजाति कल्याण मंत्री अर्जुन सिंह मुंडा गाइड कर रहे हैं। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने उन्हें इस बाबत निर्देश दिया है।

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*अमित शाह कल दंतेवाड़ा और जगदलपुर में*

12 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री और सहकारिता मंत्री अमित जगदलपुर और दंतेवाड़ा पहुंच रहे हैं। बस्तर की धरती पर होने वाली अपनी आमसभा में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह तेंदूपत्ता और अन्य वन उपजों के न्यूनतम समर्थन के संबंध में बड़ी घोषणा कर सकते हैं। श्री शाह सहकारिता के अंतर्गत आने वाले धान एवं वन से जुड़ी समितियों और लघु वनोपज सहकारी समितियों को और अधिकार देने के बारे में भी कुछ प्रकाश डाल सकते हैं।

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*पेट्रोल पंप और गैस एजेंसियां भी सहकारी समितियों को* 

कृषि एवं वनोपजों की खरीदी करने वाली सहकारी समितियों को और अधिक अधिकार संपन्न बनाने के लिए भी केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय गंभीरता से विचार कर रहा है। उपरोक्त समितियों को उनके कार्य क्षेत्र में प्रधानमंत्री जन आरोग्य दवाई दुकान, पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी संचालन की भी जिम्मेदारी देने के लिए भी नीति बनाई जा रही है। समितियों को इसके लिए लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। प्राथमिकता के आधार पर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए उपरोक्त समितियों को ऐसी एजेंसियां दी जा सकती हैं।

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*90 सीटों के निर्णयक हैं तेंदूपत्ता संग्राहक*

छत्तीसगढ़ में लगभग 13 लाख और मध्यप्रदेश में 29 लाख से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहक हैं और दोनों राज्यों में तेंदूपत्ता संग्राहक कुल मिलाकर 90 विधानसभा क्षेत्रों के चुनावी नतीजों को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए कोई बड़ी घोषणा की जा सकती है।2018 को हुए छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनावों में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। अमित शाह की जेहन में यह बात है और शायद इसीलिए वे वनोपजों पर दांव खेलने की योजना पर काम कर रहे हैं।

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