आदिवासी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के नाम पर बना दिया लाखों का कर्जदार
समिति की महिलाओं ने पूर्व कलेक्टर और एनजीओ चलाने वाली महिला पर लगाया आरोप =
= बुनकर सहकारी समिति बनाकर कर दिए लाखों रुपयों के वारे न्यारे =
= अब महिलाओं को नोटिस भेजकर कहा जा रहा है रकम जमा करने =
*कोंडागांव।* मां दंतेश्वरी बुनकर सहकारी समिति मर्यादित बफना से जुड़ी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के नाम बैंकों के लाखों रुपयों का कर्जदार बना दिया गया है।महिलाओं ने तात्कालीन कलेक्टर एवं एक महिला पर उनके साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है।
यहां पत्रकार वार्ता में पीड़ित महिलाओं ने आरोप लगाया कि उनकी समिति के नाम से तात्कालीन कलेक्टर नीलकंठ टेकाम और एनजीओ चलाने वाली सरस उपाध्याय नामक एक महिला ने लाखों रुपयों की हेराफेरी की है। समिति की अध्यक्ष गंगा नेताम ने कहा कि आनन फानन में समिति का गठन कर पूर्व कलेक्टर नीलकंठ टेकाम व सरस उपाध्याय ने हमें धोखा दिया है। गंगा नेताम ने बताया कि नक्सली पीड़ित परिवारों और अन्य जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार देने के नाम पर पूर्व कलेक्टर नीलकंठ टेकाम द्वारा मां दंतेश्वरी बुनकर सहकारी समिति मर्यादित का गठन किया गया। नीलकंठ टेकाम ने सरस उपाध्याय नामक महिला को इस समिति के संचालन व लेखा जोखा सहित अन्य कार्य हेतु नियुक्त किया था। पूर्व कलेक्टर श्री टेकाम के आदेश से समिति के लिए जितनी भी राशि आती थी, उसकी लेनदेन सरस उपाध्याय ही करती थी। 40 लाख रुपए से अधिक की राशि गणवेश बनाने के लिए तथा 10 लाख रुपए से अधिक की रकम अन्य कार्य के लिए जारी हुई थी। समिति की महिलाओं ने बताया कि इस पूरी रकम को सरस उपाध्याय ने अपने खातों में ट्रांसफर करवा लिया। अब उक्त राशि की वसूली के लिए जिला प्रशासन महिलाओं को नोटिस जारी कर रकम जमा करने को कह रहा है। महिलाओं ने बताया कि वे 40 लाख रुपए से अधिक राशि का गबन करने वाले पूर्व कलेक्टर व सरस उपाध्याय के खिलाफ एक साल से कोंडागांव के मौजूदा कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक कोंडागांव एवं थाने में शिकायत कर जांच की मांग करती आ रही हैं, लेकिन अधिकारी जांच व कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। पीड़ित आदिवासी महिलाओं ने कहा कि बुनकर सहकारी समिति गठन के नाम पर उनके साथ धोखा किया गया है।समिति की सचिव सुलेखा ने कहा कि हमें समिति का अध्यक्ष व सचिव बना दिया गया, लेकिन हमने सहकारी समिति के गठन के लिए कभी कोई आवेदन ही नहीं किया था। समिति का गठन होने के बाद हमें आगे के काम के लिए समिति के नाम पर पैसे भी जारी किए गए। तब हमने सोचा कि हम लोगों ने हाथकरघा का प्रशिक्षण लिया है, तो शायद हमें जिले के बड़े अधिकारी प्रमोट करना चाह रहे हैं, इसीलिए हम लोगों ने उनकी हर बात मानी। अब हमें मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान किया जा रहा है। जो कर्ज या रुपए हमने कभी लिए ही नहीं, उसके लिए हमें नोटिस पर नोटिस जारी कर परेशान किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि पूरा मामला वर्ष 2018 से 2020 तक का है। जब समिति को काम के नाम पर लाखों रुपए समय- समय पर मिल तो रहे थे, लेकिन उच्चाधिकारी के कहने पर समिति के खाते में आई उक्त राशि को एक अन्य एनजीओ को समय- समय पर चेक के माध्यम से भुगतान किया जाता रहा। यहां पदस्थ रहे एक प्रशासनिक अधिकारी के कहने पर ही हमने उस एनजीओ की संचालक को अपनी चेकबुक भी दे दी थी और वही पूरा समिति के दस्तावेजी कार्य किया करती थी। इसलिए उन्होंने चेकबुक के कोरे पन्ने पर पहले ही हमसे यह कहकर हस्ताक्षर भी ले लिए थे कि कभी भी जरुरत पड़ेगी तो तुम लोगों को कहां ढूंढती फिरूंगी। उन्होंने बताया कि हमारे पास कुछ दस्तावेजी साक्ष्य भी मौजूद हैं, जिन्हे सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त किया गया है। हमने डेढ़ साल पहले ही एसपी को मामले की जांच के लिए आवेदन भी दिया है। वहीं कलेक्टर से भी मिलकर इस मामले की पूरी जांच कराने की मांग की है, लेकिन अब तक इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। गंगा व सुलेखा ने खा हम चाहते हैं कि इस मामले की पूरी जांच हो, जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। क्योंकि जो काम हमने नहीं किया है उसके लिए हमें बार-बार नोटिस दिया जा रहा है और हमें इससे मानसिक रूप से परेशान होना पड़ रहा है।
*बॉक्स*
*25 को रायपुर कूच करेंगी महिलाएं*
मामले की निष्पक्ष जांच न होने से परेशान महिलाओं ने अब मुख्यमंत्री के दर पर गुहार लगाने का फैसला किया है।पीड़ित महिलाएं मुख्यमंत्री से मुलाकात करने रायपुर के लिए कोंडागांव से 25 सितंबर को पैदल रवाना होंगी। पीड़ित आदिवासी महिलाओं ने बताया कि जब स्थानीय स्तर पर उनके दिए आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है तो वे अब मुख्यमंत्री से मिलकर पूरे मामले की शिकायत कर उनसे जांच की मांग करेंगी। इसके लिए वे 25 सितंबर को जिला मुख्यालय से राजधानी के लिए पैदल मार्च शुरू करेंगी।