बैज की कसौटी पर खरे उतरे मौर्य… जरूरी है गुटबाजी पर कंट्रोल

*(अर्जुन झा)*

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पर्यवेक्षक बनकर बस्तर मुख्यालय आये कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव श्रीवेल्ला प्रसाद के सामने स्थानीय विधायक और पूर्व शहरी जिलाध्यक्ष के समर्थकों के बीच हुए शक्ति प्रदर्शन को तत्काल प्रभाव से नियंत्रित कर ताजातरीन शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य ने अपनी संगठन क्षमता का परिचय देकर यह अहसास करा दिया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बस्तर सांसद दीपक बैज ने क्यों रहते अपने घर में संगठन का नेतृत्व बदलकर तेजतर्रार युवा नेता मौर्य को जगदलपुर कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। जगदलपुर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मौर्य ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की कसौटी पर खरा उतरने कड़ाई दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। पर्यवेक्षक के आगमन पर राजीव भवन में जो नजारे सामने आए, उन्हें सामान्य राजनीतिक नजरिए से देखें तो यह कोई गुटबाजी नहीं है। यह महत्वाकांक्षाओं का प्रदर्शन है। विधानसभा चुनाव के लिए दमदार दावेदारों की दम देखने दिखाने के दौर में ऐसा कोई आश्चर्यजनक है।

राजनीति में हर किसी की उम्मीदें होती हैं। अरमान मचलते हैं। जब चुनावी कला वीथिका में टिकट प्रदर्शनी का आयोजन हो तो हर कोई अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन करने की इच्छा को रोक नहीं पाता। राजीव भवन में कांग्रेस पर्यवेक्षक के सामने यही हुआ। स्थानीय विधायक रेखचंद जैन के समर्थकों और पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष राजीव शर्मा के समर्थकों द्वारा अपने अपने नेता के समर्थन में नारेबाजी करते हुए जो किया गया, उसे रोकना बहुत जरूरी था। उत्साह अपनी जगह है लेकिन शिष्टाचार अपनी जगह है। उससे समझौता नहीं किया जा सकता। जगदलपुर में विधायक रेखचंद जैन का काम बोलता है। उनके समर्थन में शक्ति प्रदर्शन जाहिर तौर पर ज्यादा जोरदार रहा। पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष शर्मा के समर्थकों ने नारेबाजी कर पर्यवेक्षक के कान में यह बात डालने की कोशिश की कि शर्मा जी भी टिकट की लाइन में हैं। रेखचंद ने पिछला चुनाव 27 हजार से अधिक के अंतर से जीता था। तब उनके मैदानी संघर्ष का यह नतीजा आया था। अब तो उनके 5 साल के कामकाज की फेहरिस्त भी उनके साथ है। पूर्व शहर अध्यक्ष को कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक नियुक्ति के दौर में इंद्रावती प्राधिकरण की सौगात पहले ही दे रखी है। अब उनके समर्थकों का शक्ति प्रदर्शन साफ संकेत है कि उनकी नजर अब रेखचंद की कुर्सी पर है। कहने वाले कह सकते हैं कि कांग्रेस में खुलकर गुटबाजी सामने आई है लेकिन दरअसल यह गुटबाजी नहीं, टिकट की खातिर शक्ति प्रदर्शन है। लोकतंत्र में हर राजनीतिक व्यक्ति को अपनी पार्टी के सम्मुख टिकट की दावेदारी पेश करने का हक है। किसे देना है, यह अधिकार राजनीतिक दलों का है। कांग्रेस में उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे अवसर पर उत्साह हिलोरें मारने से कहां चूकता है? मगर नारेबाजी जब आपसी टकराव तक पहुंचने लगे तो उसे फौरन कंट्रोल करने की जरूरत होती है। जगदलपुर कांग्रेस अध्यक्ष मौर्य ने यही किया। दोनों पक्षों के समर्थकों को शांत किया और स्थिति सम्हाली। जब मौर्य को जगदलपुर कांग्रेस की कमान सौंपी गई तब प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा था कि वे युवा हैं। समर्थ हैं। अच्छा काम कर सकते हैं। इसलिए उन्हें जिम्मेदारी दी गई है। अब मौर्य ने दिखा दिया है कि दीपक बैज ने संगठन में बदलाव जिस मकसद से किया, वह पूरा हो रहा है।

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