देवनागरी लिपि आज की तकनीक के लिए उपयोगी – डॉ शेख
भिलाई। कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आज भारत सरकार के केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा प्रायोजित अतिथि व्याख्यान माला योजना के अंतर्गत पुणे से पधारे हिंदी के पूर्व प्राध्यापक डॉ शहाबुद्दीन शेख का तीन दिवसीय व्याख्यान प्रारंभ हुआ। डॉ शेख ने इस अवसर पर देवनागरी लिपि की महत्ता पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत की देवनागरी लिपि का समृद्ध इतिहास है और यह पूर्णतः वैज्ञानिक लिपि है। उन्होंने कहा कि देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता के कारण अनेक भाषाओं ने इसे अपनाया है। हिंदी और नेपाली इसमें प्रमुख है। लिपि का इतिहास छह हजार वर्ष पुराना है। नागरी लिपि ने समय के साथ निरंतर विकास किया है। भारत में आज 26 लिपियों का प्रचलन है। बौद्ध काल में 64 लिपियों का प्रचलन होता था। उन्होंने देवनागरी लिपि की विशेषताओं का उल्लेख किया। आज के तकनीकी युग के अनुकूल है देवनागरी लिपि। प्रारंभ में डॉ शेख का परिचय विभागाध्यक्ष डॉ सुधीर शर्मा ने दिया। इस अवसर पर स्नातक और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के अलावा हिंदी के प्राध्यापक डॉ फिरोजा जाफर अली, डॉ अंजन कुमार, डॉ अशोक तिवारी, श्रीमती पूजा विश्वकर्मा आदि उपस्थित थे।