अमृत सरोवर का काम विष बन गया मजदूरों के लिए!

नौ माह बीत जाने के बाद भी मजदूरी का भुगतान नहीं =

= नरेगा अधिकारी का बेतुका जवाब – मजदूरों को भेज दो, कर दूंगा भुगतान =

*-अर्जुन झा-*

*बकावंड।* ग्राम पंचायत उलनार के 70 मजदूरों के लिए अमृत सरोवर का काम करना विष निगलने जैसा साबित हो रहा है। काम किए 8 माह से अधिक समय गुजर चुका है, लेकिन मजदूरों को अब तक मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है।

       बकावंड विकासखंड की ग्राम पंचायत उलनार के भेढ़कापारा के 70 मजदूरों से अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब गहरीकरण का कार्य कराया गया था। इन मजदूरों को उनकी मेहनताना राशि 8 -9 माह गुजर जाने के बाद भी नहीं दी गई है। मजदूर अपने पसीने की कमाई के लिए दर दर भटकने को मजबूर हो गए हैं। मजदूर दवदास, रपधुराम, पेदा, देवदास, सुकराम, बगतू, मोतीराम, मंगलराम, मगल, सगराम, कोडीराम, मनमती, दयमती, सुबती, दनमती, सुबती, अनादी, कला, सिहेवती, सोनवारी, बयदी, शांति, सुवरनो, फुलो, मया, केशबो, सदाशी, लाखीरा समेत सभी सत्तर मजदूर पाई पाई के लिए तरस रहे हैं। उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। इस मामले में मनरेगा अधिकारी ने बड़ा ही बेतुका और गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया। जब इस संवाददाता ने मनरेगा अधिकारी कौस्तुभ वर्मा से मजदूरी भुगतान न होने के विषय में पूछा तो उन्होंने रुखा जवाब देते हुए कहा कि जितने मजदूरों का आप नाम ले रहे हैं, उन सभी को मेरे पास भेज दीजिए, मैं पेमेंट कर दूंगा। इसका मतलब यही हुआ कि मनरेगा अधिकारी कौस्तुभ वर्मा ने ही मजदूरी राशि रोक रखी है। इसके पीछे उनका इरादा क्या है, इसे आसानी से समझा जा सकता है।

*बॉक्स*

*मनरेगा में जेसीबी का क्या काम ?*

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना का मूल उद्देश्य ग्रामीण मजदूरों को अधिक से अधिक दिनों तक रोजगारमूलक कार्य उपलब्ध कराना है। ग्राम पंचायत उलनार में अमृत सरोवर का काम भी मनरेगा के तहत कराया गया था। मनरेगा में मशीनी उपकरणों का उपयोग यथा संभव नहीं कराने का प्रावधान है, मगर मनरेगा अधिकारी कौस्तुभ वर्मा ने उलनार ग्राम पंचायत में तालाब गहरीकरण में कई दिनों तक जेसीबी लगवाकर काम कराया, फिर मजदूरों की मदद ली गई। इस तरह मजदूरों का हक छीना गया। वहीं बताया जाता है कि जेसीबी का किराया कम था, लेकिन भुगतान ज्यादा दर्शा कर राशि हजम कर ली गई है। मजदूरों ने जितने दिन काम किए हैं, उससे कहीं ज्यादा दिनों की हाजिरी बताकर तथा फर्जी नामों से भी मजदूरी राशि आहरित की गई है। मजदूरों और ग्रामीणों ने रुके पारिश्रमिक का जल्द भुगतान कराने तथा अमृत सरोवर के कार्य की जांच की मांग की है।

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