ज्ञान जिज्ञासा शोध का मूल तत्व – प्रो शेख

हिंदी अनुसंधान पर एक दिवसीय कार्यशाला 

भिलाई। कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय भिलाई में आज हिंदी विभाग और आंतरिक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रकोष्ठ द्वारा हिंदी अनुसंधान – समस्या एवं निवारण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता पुणे के हिंदी विद्वान डॉ शहाबुद्दीन शेख ने कहा कि अनुसंधान मौलिकता की मांग करता है।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत डॉ फिरोजा जाफर अली, पूजा विश्वकर्मा, निमाई प्रधान आदि ने किया। मुख्य वक्ता और विषय का परिचय विभागाध्यक्ष डॉ सुधीर शर्मा ने दिया। कार्यशाला के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ आर पी अग्रवाल ने कहा कि अनुसंधान में हिंदी की महत्ता शोध की गुणवत्ता को सिद्ध करते हुए उसकी श्रेष्ठता के लिए जरूरी है। हिंदी अनुसंधान के विविध पक्षों को जानना प्राध्यापक और शोधार्थियों के लिए जरूरी है। आज सोशल मीडिया के कारण मनुष्य की भाषा बदल रही है। शिक्षा और अनुसंधान इस बदलती भाषा के कारण प्रभावित हो रहा है।

मुख्य वक्ता डॉ शहाबुद्दीन शेख ने कहा कि शोध का मूल तत्व है ज्ञान की जिज्ञासा और वृद्धि है। सत्य की खोज से हिंदी में शोध की परंपरा विकसित हुई है। परंपरागत ढंग से ज्ञान के बजाय उपाधि की प्राप्ति के लिए शोध होने से इसका स्तर गिर रहा है। अज्ञात को ज्ञात करना ही शोध है। शोध विकास का जनक है। यह केवल रिसर्च का मात्र पर्याय नहीं है।शोध उपलब्ध सामग्रियों का संकलन मात्र नहीं है। नौकरी से जुड़े होने के कारण शोध की गुणवत्ता समाप्त हो रही है।

समारोह में पचास से अधिक शोधार्थी, स्नातकोत्तर विद्यार्थी और प्राध्यापक उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन डॉ अंजन कुमार और आभार व्यक्त डॉ फिरोजा जाफर अली ने किया। यह आयोजन भारत सरकार के केंद्रीय हिंदी निदेशालय की योजना के अंतर्गत आयोजित किया गया था।

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