रेखचंद को कांग्रेस ने दे दी टिकट तो वणिक वर्ग फेर देगा भाजपा के मंसूबों पर पानी…
(अर्जुन झा)*
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी की निगाह बस्तर पर टिकी हुई है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में आमतौर पर यह माना जाता है कि जिसने बस्तर जीत लिया, उसने छत्तीसगढ़ जीत लिया। बस्तर में जगदलपुर विधानसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए एकमात्र सीट है। इस सीट पर अभी कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। हालांकि कांग्रेस ने अभी छत्तीसगढ़ में एक भी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। लेकिन अब तक 85 उम्मीदवार घोषित करने वाली भाजपा ने जगदलपुर से अपना उम्मीदवार किरण देव के रूप में पेश कर दिया है। अब यहां मुकाबला इस बात पर टिका है कि भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले कांग्रेस अपने मौजूदा विजेता रेखचंद को उतारती है अथवा उनका विकल्प प्रस्तुत करेगी। यदि कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी दोहरा दिया तो भाजपा को बहुत बड़ा नुकसान झेलने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। वजह यह है कि पिछले चुनाव के विजेता कांग्रेस के रेखचंद जैन और भाजपा के पराजित प्रत्याशी संतोष बाफना दोनों ही एक ही समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।भाजपा ने संतोष बाफना की टिकट काटकर किरण देव को दी है क्योंकि बाफना पिछले चुनाव में साढ़े सत्ताइस हजार मतों के भारी भरकम अंतर से हार गए थे।उनकी टिकट कटना तो तय थी लेकिन यदि सामाजिक समीकरणों की बात की जाए तो अब यदि कांग्रेस ने रेखचंद जैन को प्रत्याशी बना दिया तो वणिक वर्ग एकतरफा कांग्रेस प्रत्याशी के पाली में आ सकता है। टिकट कटने के बाद संतोष बाफना राजस्थान की तीर्थ यात्रा पर निकल रहे थे तभी उनके समर्थकों ने उनके निवास पर पहुंचकर जिस तरह रोष जाहिर किया है, वह स्वस्फूर्त तो नहीं माना जा सकता। यद्यपि संतोष बाफना ने स्पष्ट किया है कि वह भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता हैं और पार्टी के फैसले के खिलाफ कतई नहीं जाएंगे। लेकिन समाज की गारंटी बाफना कैसे ले सकते हैं? यदि सामाजिक समीकरणों की बात की जाए तो अब वणिक वर्ग के लिए कांग्रेस को समर्थन देने के अलावा उस स्थिति में कोई विकल्प नहीं बचेगा, जब कि यदि कांग्रेस अपने मौजूदा विधायक रेखचंद जैन को प्रत्याशी घोषित कर दे। कांग्रेस क्या करेगी, यह तो वही जाने। लेकिन, जिस तरह से जगदलपुर की राजनीति ने करवट बदली है, उससे साफ नजर आ रहा है कि अब कांग्रेस के लिए उस सूरत में मैदान खुला हुआ है, जब वह अपना प्रत्याशी रिपीट कर सकती है। कांग्रेस को अब उन लेकिन, परंतु, चूंकि, क्योंकि से छुटकारा मिल गया है, जो रेखचंद के बारे में कांग्रेस के ही एक वर्ग द्वारा खड़े किए गए थे। ऐसे ही सवाल संतोष बाफना के सामने भी थे। जिनका जिक्र उन्होंने खुलकर कर दिया। बाफना की टिकट कट गई। वह साफ कर चुके हैं कि जगदलपुर में पार्टी का काम नहीं करेंगे। इसके अलावा पार्टी जहां कहेगी, वहां काम करेंगे। इसका सीधा-सीधा मतलब यही है कि यदि कांग्रेस ने रेखचंद को दोबारा टिकट दे दी तो एक समाज विशेष का एक तरफा लगाव और रुझान कांग्रेस के पाले में आ सकता है।