जुए के दम पर गांव का विकास !
= साप्ताहिक बाजार में ग्रामीणों की सहमति से चलता है खड़खड़ी का खेल =
*-अर्जुन झा-*
*बकावंड।* शराब, जुआ सट्टा जैसी सामाजिक बुराइयों को मानव और गांव के विनाश का कारण माना जाता है, मगर बकावंड विकासखंड में एक गांव ऐसा भी है, जहां जुए को ग्राम विकास का आधार बना दिया गया है।
सुनने में तो यह बात बड़ी अटपटी लगती है, लेकिन ग्रामीण अपने गांव में खड़खड़ी खेल चलवाने के पीछे यही दलील दे रहे हैं। खड़खड़ी एक प्रकार का जुआ ही है, जिसमें ताश पत्ती वाले जुए की तरह ही रुपयों का दांव लगाया जाता है। बकावंड ब्लॉक के ग्राम चारगांव में माह – दो माह से नहीं, बल्कि बीते कई सालों से खड़खड़ी का जुआ खुलेआम चल रहा है। यह गांव भानपुरी पुलिस था के अधीन और कोंडागांव जिले की सीमा के करीब स्थित है। गांव के साप्ताहिक बाजार में दिनदहाड़े ग्राम पंचायत के सरपंच व ग्रामीणों के संरक्षण में खड़खड़ी के फड़ लगते हैं। खड़खड़ी के खेल में बच्चे, युवा, बूढ़े सभी आयु वर्ग के लोग दांव लगाते देखे जा सकते हैं। लोग इस खेल के फेर में फंसकर आर्थिक रूप से बर्बाद हो रहे हैं। मगर इस बात की परवाह न तो ग्रामीणों को है, न पंचायत प्रतिनिधियों को।इस मामले में ग्रामीणों के बड़े अजब गजब बयान आए हैं। उनका कहना है कि खड़खड़ी खेल के माध्यम से जो पैसा आता है उससे गांव का विकास कराया जाता है। यानि ग्रामीण खड़खड़ी खेलाने वाले पेशेवर लोगों से तयशुदा रकम वसूलते हैं। इस राशि को सार्वजनिक प्रयोजन के लिए सुरक्षित रखने का दावा ग्रामीण करते हैं। उल्लेखनीय है कि ताशपत्ती वाले जुए की तरह खड़खड़ी में दांव लगाना और खड़खड़ी खेलना भी अपराध की श्रेणी में आता है। वैसा ही जुर्माना और सजा का प्रावधान खड़खड़ी में भी है, जैसा कि ताशपत्ती वाले जुए में है। भानपुरी थाना के टीआई श्रीवास ने चारगांव के साप्ताहिक बाजार में खड़खड़ी का खेल चलने की जानकारी उन्हें होने से इंकार किया है। वे इसकी पुष्टि नहीं कर रहे हैं, लेकिन खड़खड़ी जुआ रोज चल रहा है। ग्रामीण का कहना है कि ग्राम पंचायत की सहमति से और पुलिस थाना के संज्ञान में यह खेल चलाया जा रहा है तथा इसमें पूरे गांव की सहमति है। वहीं चारगांव के सरपंच सुखनाथ कश्यप ने कहा है कि हमने खड़खड़ी चलाने के लिए किसी को भी किसी तरह का परमिशन नही दिया है।
*वर्सन*
*ग्रामीणों को करेंगे जागरूक*
जुए की तरह खड़खड़ी भी एक सामाजिक बुराई है। इसे खत्म करने की जरूरत है। मैं स्वयं चारगांव जाकर चौपाल लगाऊंगा और इसके बारे में लोगो के बीच जनजागरण चलाऊंगा।
*-श्री कामड़े*
डीएसपी, बकावंड