महाकाल के मंगल विवाह की तैयारियां शुरू, शिव नवरात्रि पर इन 9 रूपों में दर्शन देंगे महादेव
उज्जैन. महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा, जिसके लिए मंदिर में तैयारी शुरू हो गई है. उज्जैन में शिव नवरात्रि 29 फरवरी 2024 से शुरू हो जाएगी. इस दौरान भगवान महाकाल का अलग-अलग रूपों में श्रृंगार करने के लिए दूर-दूर से सामग्री मंगाई जाएगी. भगवान महाकालेश्वर 9 दिन अलग-अलग रूप में अपने भक्तों को दर्शन देंगे.
नौ दिन में होंगे 9 श्रृंगार
पहला दिन: वस्त्र धारण
दूसरा दिन: शेषनाथ
तीसरा दिन: घटाटोप
चौथा दिन: छबीना
पांचवां दिन: होल्कर
छठा दिन: मनमहेश
सातवां दिन: उमा महेश
आठवां दिन: शिव तांडव
नवें दिन: निराकार
महाशिवरात्रि पर सजेगा सेहरा
8 मार्च को शिव नवरात्रि के आखिरी दिन यानी महाशिवरात्रि पर दूल्हा रूप में दर्शन देने के साथ बाबा महाकाल का सप्तधान रूप में श्रृंगार कर फल व फूलों से बना सेहरा सजाया जाएगा. सोने के आभूषण धारण कराए जाएंगे और इसके बाद दोपहर में भस्म आरती होगी. इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंचेंगे.
महिलाएं गाएंगी मंगल गीत
महाकाल मंदिर में कोई भी उत्सव रहता है. महिला मंडल की महिलाएं उस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं. शिव नवरात्रि में महिला मंडल की महिलाएं मंगल गीत भी गाएंगी. साथ ही महाकाल मंदिर में खूब साज-सज्जा होगी. बाबा महाकाल अपने भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन भी देंगे.
साल भर में एक दिन होती है दिन में भस्म आरती
महाशिवरात्रि के अगले दिन शिव विवाह का समापन किया जाता है. इस दिन बाबा महाकाल का सेहरा लुटाने के बाद दोपहर में मध्यकालीन भस्म आरती की जाती है. इस भस्म आरती की खास बात यह है कि यह आरती साल में सिर्फ एक दिन ही होती है. यह आरती दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक चलेगी. माना जाता है कि इस भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल साकार से निराकार रूप धारण करते हैं.
सेहरा लूटने की परंपरा
साल में एक बार होने वाली भस्म आरती के पहले बाबा महाकाल का सेहरा दर्शन तथा सेहरा लुटने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. जब भगवान महाकाल का सेहरा उतारा जाता है, उस समय श्रद्धालु उनके सेहरे के फूल, धान आदि लेने के लिए पहुंच जाते हैं. कहा जाता है कि इस परंपरा का शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं है, मगर इसे मंदिर के श्रद्धालु सेहरा लूटने की परंपरा बताते हैं. महाकालेश्वर मंदिर के श्रद्धालु बताते हैं कि सेहरे के धान को घर में रखने से मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद बना रहता है. इसके अलावा भगवान के सेहरे के फूल लोग अपनी तिजोरी में बरकत के लिए रखते हैं. इसी तरह फल आदि भी प्रसाद के रूप में ले जाते हैं.