एक साल बाद भी सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरा कोचिंग हब, पड़ताल में कई खुलासे
नई दिल्ली/ एक साल पहले मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटर में आग लगने के बाद हरकत में आई सरकारी एजेंसियों ने सख्ती बरतने के दावे किए थे, लेकिन राजेंद्र नगर हादसे के बाद इनकी कार्यप्रणाली पर तीखे सवाल उठ रहे हैं। छात्रों का कहना है कि मुखर्जी नगर हादसे के बाद अगर ठीक से काम किया गया होता तो राजेंद्र नगर हादसे को रोका जा सकता था। अमर उजाला ने बृहस्पतिवार को इसी के मद्देनजर मुखर्जी नगर कोचिंग हब की पड़ताल की तो कोचिंग संस्थानों में मामूली सुधारों के बावजूद कई खामियां मिलीं। पेश है रिपोर्ट…
सीढ़ी संकरी, प्रवेश और निकासी एक
बत्रा कॉमर्शियल कांप्लेक्स के सभी टावर में संकरी सीढ़ियों से प्रवेश और निकास होता है। दरवाजा भी एक ही है, जबकि सभी चार मंजिलों पर कक्षाएं चलती हैं। एक मंजिल पर 100 से 300 छात्र एक साथ पढ़ाई करते हैं। सीधा मतलब है कि एक टावर में बच्चों की संख्या 700-1,000 के बीच रहती है। कक्षाएं छूटने पर आम दिनों में भगदड़ की स्थिति रहती है। ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो टावर से बाहर निकल पाना बेहद मुश्किल होगा। बीते साल जब आग लगी थी, तो भी बच्चों को इमारत से कूदना पड़ा था।
कुछ ने लिया सबक, कई बेपरवाह
हादसे के बाद कोचिंग सेंटर को सख्त हिदायत दी गई थी कि किसी भी कीमत पर बिल्डिंग के मेन गेट पर मीटर न हो। इसी शर्त पर एनओसी दी गई थी। इसका कुछ कोचिंग सेंटर पालन भी कर रहे हैं, लेकिन कई ऐसे टावर भी हैं, जहां प्रवेश द्वार पर ही बिजली मीटर लगा हुआ है। साथ में इनमें तारों के गुच्छे भी झूल रहे हैं।
सड़क ऊंची, प्रवेश द्वार हुए नीचे
अलग-अलग समय में मरम्मत होने से सड़क ऊंची होती चली गई, जबकि दरवाजे की ऊंचाई स्थिर है। इससे कई टावरों के प्रवेश द्वारों की ऊंचाई छह फीट भी नहीं है। लंबे छात्रों को सिर झुका के उतरना पड़ता है। बारिश में जलभराव भी हो जाता है। ऐसे में मीटर से करंट उतरने का खतरा बना रहता है। कई बिल्डिंग की सीढ़ियां इतनी जर्जर हो गईं हैं कि बेसमेंट में चढ़ना और उतरना भी खतरे से खाली नहीं है।
जलमग्न हो सकता है नेहरू विहार
नेहरू विहार के वर्धमान मॉल का नजारा कुछ अलग है। यह मॉल तीन तरफ से नजफगढ़ नाले से घिरा हुआ है। इस नाले के लिए दस से पंद्रह फीट का बांध बना है। पिछले साल बाढ़ के दौरान स्थिति यह थी कि करीब 50 फीट का यह बड़ा नाला पूरी तरह से लबालब हो गया था। यमुना की तरफ खुलने वाले इस नाले को बंद कर दिया गया था। स्थिति यह थी कि चार इंच पानी इसमें और भर जाता तो पूरा मॉल ही नहीं नेहरू विहार भी जलमग्न हो जाता। बांध भी टूटने से बचा था। इसी मॉल के पार्किंग वाले हिस्से के बेसमेंट में कोचिंग इंस्टीट्यूट चल रहा था जिसे अब सील कर दिया गया है।
एक साल पहले हुआ था हादसा, 61 हुए थे घायल
पिछले साल 15 जून को मुखर्जी नगर की भंडारी इमारत में आग लग गई थी। सीढ़ियों पर लपटें उठने से बचाव के लिए बच्चों ने रस्सी के सहारे इमारत से कूदकर जान बचाई थी। इसमें 61 छात्र घायल हुए थे। कई छात्रों को सर्जरी करानी पड़ी थी। कोई एसी से लटक रहा था तो कोई ऊपरी मंजिल से कूद भी रहा था। इसके बाद ही फायर सेफ्टी के लिए पहल की गई थी। दिल्ली फायर सर्विस और एमसीडी ने निजी कोचिंग संस्थानों का सर्वेक्षण शुरू किया था। दोनों विभागों की सर्वेक्षण टीम ने करीब 90 कोचिंग सेंटरों का निरीक्षण कर मास्टर प्लान-2021 में बताए गए अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन करने को कहा था।