वनांचल के गांवों में लकड़ी तस्कर सक्रिय, रात में हो रहा अवैध कारोबार

बालोद , (स्वर्णिम सवेरा)। बटरेल से लेकर गुण्डरदेही से लगा हुआ बालोद जिलें के सीमा तक अवैध लकड़ी कटाई जोरो पर हो रही है। क्षेत्र के आसपास के ग्रामिण भी लकड़ी तस्करी में जुड़े हुए है। अज्ञात सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम बटरेल क्षेत्र में प्रतिबंधित लकड़ी कहुवा की कटाई जोरों पर है। यह अवैध कारोबार हाइटेक पद्धति से हो रहा है। यहां पर किसानों की आड़ लेकर लकड़ी तस्कर खुलेआम लकडिय़ां काट रहे हैं, कुछ आरामिल वाले यहां पर बेधड़क लकडिय़ों की चिड़ाई करते हुए दिख जाएंगे। शासन प्रशासन मौन है निश्चित ही इनकी आपस में मिलीभगत है। हमारे संवाददाता ने एक ग्रामीण से मुलाकात की, नाम ना छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि लकड़ी तस्कर रात में व सुबह 4 बजे जंगल क्षेत्रों से होते हुए बड़े-बड़े गोले मेटाडोर, ट्रैक्टर ट्रॉली, माजदा, पिकअप से परिवहन कर रहे हैं।राजस्व विभाग, वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के सांठ गांठ से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है। बबूल के आड़ में प्रतिबंधित लकड़ी कहुवा की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। कहुवा, इमली, बीजा एवं अन्य किस्म के बड़े-बड़े गोले का अवैध परिवहन किया जा रहा है। दलाल सुविधा के अनुसार लकड़ी को अवैध तरीके से काटते हैं उसके बाद शाम व देर रात में लकडिय़ों को बिना नम्बर वाले ट्रैक्टर ट्रालियों, माजदा में भरकर खपाने में सफल हो जाते हैं। जब ग्रामीण आधी रात में गहरी नींद में सो जाते हैं तब दलाल आरा मिलों, ईंट भट्टों में अवैध लकड़ी को खपाते हैं। राजस्व विभाग एवं वन विभाग को सूचना देने के बावजूद कार्रवाई तो दूर घटना स्थल पर भी नहीं पहुंचते। इसलिए लकड़ी तस्करों के हौसले बुलंद है । बटरेल से लगे हुए आसपास के लगभग तीन-चार गांव है जिनमें ग्रामीण भी कोच्चिया का काम करते हैं और धमकी भी देते हैं क्योंकि उनकी पहुंच ऊपर तक है ऐसे में शासन प्रशासन को पर्यावरण बचाना है और ऐसे आरा मिलों के ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई करें जो चोरी छुपे कहुवा लकड़ी जो प्रतिबंधित है उसकी चिर-फाड़ करके धड़ल्ले से बेच रहे हैं और करोड़ों रुपए की कमाई कर रहे हैं। ०००

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