पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने पर मुख्यमंत्री को बधाई . . .
छत्तीसगढ़ में 3 साल से चल रही पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग हुई पूरी . . .
कांकेर 25 March, (Swarnim Savera) – छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाए जाने पर राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई ने प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। बुधवार को छत्तीसगढ़ के विधानसभा में छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक 2023 पारित किया गया है। इस तरह महाराष्ट्र राज्य के बाद छत्तीसगढ़ सुरक्षा कानून बनाने वाला दूसरा राज्य बन गया है।
श्री पोटाई ने कहा कि इस कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मीडिया कर्मी को संत्रास, प्रताड़ना अथवा उसके साथ हिंसा करते हैं तो इसके लिए छत्तीसगढ़ मीडिया स्वतंत्रता, संरक्षण एवं संवर्धन समिति होगी जो कि इस तरह के प्रकरणों की छानबीन करेगी। आरोप साबित होने पर ऐसे व्यक्तियों पर ₹25000 का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि कोई लोकसेवक जानबूझकर नियमों की अवहेलना करता है तो उसे दंडित किया जाएगा। इसी तरह मीडिया कर्मी के रूप में पंजीयन के लिए पात्र व्यक्ति के पंजीकरण में कोई व्यवधान उत्पन्न करता है तो उसे भी ₹25000 जुर्माना देना होगा। जुर्माने की राशि भू-राजस्व की तरह वसूली योग्य होगी। अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई ने कहा कि छत्तीसगढ़ के पत्रकार लंबे समय से पत्रकार सुरक्षा कानून के साथ निरंतर हो रही अप्रिय घटनाओं के कारण लोकतंत्र में मीडिया की अहम भूमिका होती है। लोकतंत्र और मीडिया आधुनिक युग में न सिर्फ एक दूसरे के पूरक हैं बल्कि एक दूसरे के बिना उनका कोई अस्तित्व ही संभव नहीं है। पूरे विश्व में लोकतंत्र स्थापित करने में मीडिया ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून की लंबे समय से मांग की जा रही थी मौजूदा दौर में पत्रकारिता की जो स्थिति बनी है उस पर सुरक्षा प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी होती है।
नितिन पोटाई ने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ पत्रकार सुरक्षा कानून देश में जंजीर बनेगा तथा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। वर्ष 2019 में जस्टिस आफताब आलम की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था। इस समिति के सदस्यों ने अलग-अलग मीडिया संस्थानों और मीडिया कर्मियों से सुझाव लिए, बस्तर अंबिकापुर और रायपुर में पत्रकारों के बीच जाकर चर्चा हुई, दिल्ली में एडिटर गिल्ड से कानून के बारे में सुझाव मांगे गए, इतना ही नहीं यहां कानून सुझाव भी लिए गए थे। 3 साल की बड़ी मेहनत के बाद इस विधेयक के प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया है। अब मीडिया कर्मी लोकतंत्र का चौथा स्वयं निर्भीक होकर जनता की आवाज उठाया और जन भागीदारी निभाते रहे। इस विधेयक को बनाने में रिटायर्ड जस्टिस आफताब आलम की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने सभी पहलुओं पर राय लेकर कानून मसौदा तैयार किया है। इस कानून के अनुसार संपादक, लेखक, समाचार संपादक, रूपक लेखक, प्रतिलिपि संपादक, संवाददाता, संपर्क की व्यंग चित्रकार, फोटोग्राफर, वीडियो पत्रकार, अनुवादक, शिक्षु व प्रशिक्षु पत्रकार, समाचार संकलनकर्ता, या जो स्वतंत्र पत्रकार के रूप में अर्ह हो वे सभी मीडिया कर्मी कहलाएंगे।