अफसर की कार्यप्रणाली के चलते सरकार की छवि पर आ रही आंच

पांच साल तक रखरखाव की गारंटी वाली निर्माणाधीन सड़कों की बार – बार जांच से निर्माण में अवरोध =
= ग्रामीणों के बीच धूमिल हो रही है भूपेश बघेल सरकार की छवि =
-विशेष संवाददाता-
कांकेर 06 May, (Swarnim Savera) । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार राज्य में पुरानी सड़कों का कायाकल्प तथा नई सड़कों का निर्माण करा रही है। छ्ग के इतिहास में पहली बार सड़कों की सुध ईमानदारी के साथ ली गई है, लेकिन सड़कों के निर्माण से जुड़े एक वरिष्ठतम अफसर की तथाकथित ईमानदारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ईमानदार कोशिशों पर भारी पड़ती दिख रही है। इस अफसर की कार्यप्रणाली की वजह से सड़कों के निर्माण में बाधा आ रही है और ग्रामीणों के बीच भूपेश बघेल सरकार की गलत छवि बनने लगी है। सरकार द्वारा लिए गए बैंक लोन का ब्याज भी बेवजह बढ़ता जा रहा है।
छत्तीसगढ़ की सत्ता की बागडोर जबसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सम्हाली है, तबसे यहां के बाशिंदों के लिए अच्छे दिन आ गए हैं। सरकार का विशेष फोकस जन सुविधाओं और इंफ्रा स्ट्रक्चर पर है। इसके तहत राज्यभर में अच्छी सड़कों का निर्माण तथा पुरानी सड़कों का कायाकल्प कराया जा रहा है। क्योंकि सड़कों को ही विकास का पैमाना माना जाता है। सड़कों से संबंधित कार्यों को अंजाम देने के लिए सरकार ने छ्ग रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लिमि. (सीजी आरआईडीसीएल) का गठन किया है। इसके मुख्य अधिकारी शासन के इंजीनियर इन चीफ (इएनसी) श्री पिपरी को नियुक्त किया गया है। यह संस्था राज्य शासन के लोक निर्माण विभाग के माध्यम से पुरानी सड़कों का जीर्णोद्धार और नई सड़कों का निर्माण कराती है। इस कार्य के लिए सरकार ने बैंक से 5 हजार करोड़ का लोन लेकर यह रकम इस संस्था को दे रखी है। अकेले उत्तर बस्तर के कांकेर जिले में लगभग दो हजार करोड़ रु. की लागत से तथा समूचे बस्तर संभाग में अनेक स्थानों पर ठेकेदारों के जरिए सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है। निर्माण के अनुबंध और शर्तों के मुताबिक ठेकेदारों को निर्माण पूर्ण हो जाने के बाद सड़कों का संधारण और रखरखाव अगले पांच सालों तक करना होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रायः सभी ठेकेदार निर्माण को अंजाम दे रहे हैं। मगर इएनसी श्री पिपरी आएदिन निर्माणाधीन सड़कों की गुणवत्ता जांचने दल बल के साथ पहुंच जाते हैं। जांच की यह प्रक्रिया अमूमन हर माह चलती है और मीनमेख निकालकर कार्य रुकवा दिया जाता है और ठेकेदारों का भुगतान अटका दिया जाता है। निर्माण पर रोक लंबे समय तक लगा दी जाती है और ठेकेदारों का पेमेंट भी महिनों नहीं किया जाता। इस अवधि में ठेकेदार के कर्मचारियों व मजदूरों, रोड रोलर एवं अन्य भारी मशीनी उपकरणों का भाड़ा तथा उनके ऑपरेटरों का पारिश्रमिक भुगतान भी लंबितहो जाता है। इन कामगारों के घरों में रोटी के लाले पड़ जाते हैं तथा ठेकेदारों पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है। ठेकेदारों को अपने कर्मचारियों, मजदूरों उपकरण ऑपरेटरों का मेहनताना और उपकरणों एवं वाहनों का भाड़ा बिना काम कराए ही देना पड़ता है। कुछ ठेकेदारों का कहना है कि निर्माणाधीन सड़कों की गुणवत्ता जांचने के नाम पर उन्हें परेशान और ब्लैकमेल किया जाता है।
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5 साल करेंगे रखरखाव, तो फिर जांच क्यों
ठेकेदारों को सड़कों के निर्माण की जिम्मेदारी जिन अनुबंधों और शर्तों के साथ दी गई है। इसके अनुसार सड़क निर्माण पूर्ण हो जाने के बाद ठेकेदार आगामी पांच वर्षों तक सड़क के संधारण और रखरखाव खुद कराएंगे। ऐसे में ठेकेदार सड़क निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी भला क्यों करेंगे। निर्माण अवधि में ही सड़क मजबूत बनेगी, तो भविष्य में उनके रखरखाव पर खर्चभार कम आएगा। ठेकेदारों को अगले पांच सालों तक सड़कों की मरम्मत और रखरखाव पर अपनी जेब से ज्यादा रकम खर्च नहीं करनी पड़ेगी। इस बात को ध्यान में रखकर ठेकेदार सड़क निर्माण की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं कर रहे हैं। इसके बावजूद बार – बार गुणवत्ता जांच के मायने आखिर क्या हो सकते हैं ? इस बात को विभाग के अधिकारी भी बेहतर समझते हैं, लेकिन इएनसी के आगे भला वे मुंह कैसे खोल सकते हैं ?
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हो रही सरकार की फजीहत, दिखेगा चुनाव में असर
गुणवत्ता जांच के नाम पर सड़कों का निर्माण बार – बार रोक दिया जाता है। ऐसे में निर्माणाधीन सड़कों से होकर गुजरने में राहगीरों और वाहन चालकों को बड़ी परेशानी हो रही है। सड़कों पर बिछी गिट्टी और के किनारे रखे निर्माण सामग्री के ढेर की वजह से आवागमन मुश्किलों भरा हो गया है। निर्माणाधीन सड़कों से गुजरने वाले लोग और वाहन चालक निर्माण में हो रही देरी के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार मानते हुए कांग्रेस को भला बुरा कहने लगते हैं। लोग तो सरकार पर निकम्मेपन का आरोप तक जड़ देते हैं और आने वाले विधानसभा चुनावों में भूपेश बघेल सरकार को सबक सिखाने तक की बात कह डालते हैं। उन्हें भला कौन समझाए कि सड़क निर्माण में देरी राज्य सरकार की वजह से नहीं, बल्कि एक आला अफसर की कार्यप्रणाली के कारण हो रही है

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