भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग के फारेंसिक साइंस विभाग के तत्वावधान में छात्र-छात्राओं के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

दुर्ग 10 May, (Swarnim Savera) । भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग के फारेंसिक साइंस विभाग के तत्वावधान में छात्र-छात्राओं के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का विषय ‘क्वेश्चन डाक्यूमेंट एक्जामिनेशन’ था। कार्यक्रम में डाॅ. रंजीत सिंह, निदेशक शेरलाॅक इंस्टीट्यूट आॅफ फारेंसिक साइंस, दिल्ली ने मुख्य वक्ता के रूप में अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की हस्तलिपि अलग-अलग तरह की होती है। पैटर्न, लागू दबाव, स्ट्रोक, वक्र इत्यादि हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति की हस्तलेखन और हस्ताक्षर के लिए अद्वितीय हैं। लिखावट और हस्ताक्षर से जुड़ी कुछ प्राकृतिक भिन्नता हमेशा रहेगी, चाहे कितनी भी निपुणता से किया गया हो। एक फोरेंसिक विशेषज्ञ नकली हस्ताक्षरों का आसानी से पता लगा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि फिंगरप्रिंट और डीएनए की तरह ही किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर उसके लिए अद्वितीय होते हैं। तकनीकी रूप से, हस्ताक्षर किसी की अनूठी लिखावट का एक हिस्सा है। यदि किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किसी के द्वारा नकली (जाली) किया जाता है, तो हस्ताक्षर सत्यापन फोरेंसिक परीक्षण का उपयोग पता लगाने के लिए किया जा सकता है। हस्ताक्षर सत्यापन अपने आप में लिखावट परीक्षा, परीक्षणों का एक विस्तार है और कई मामलों में मददगार है, जिसमें कानूनी दस्तावेजों, बैंक चेक और इसी तरह के प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है। इस अवसर पर डाॅ. रंजीत सिंह ने हस्ताक्षर परीक्षण शीट के माध्यम सेे विद्यार्थियों को जाली हस्ताक्षर पहचाने की कला से परिचय कराया। 

इसके उपरांत माॅडल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें छात्र-छात्राओं ने वन्यजीव अपराध स्थल, चोट के प्रकार, ममीकरण, अपराध के प्रकार इत्यादि से संबंधित माॅडल प्रदर्शित किये। माॅडल प्रदर्शनी में ओजस्व एवं आयुष ने प्रथम स्थान, दिलेश्वर ने द्वितीय स्थान तथा साक्षी भांडेकर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। भारती विश्वविद्यालय के लिय यह गर्व की बात है कि उन सभी विद्यार्थियों ने जिन्होंने माॅडल तैयार किये थे, उन्हें शेरलाॅक इंस्टीट्यूट आॅफ फारेंसिक साइंस, दिल्ली द्वारा स्काॅलरशिप प्रदान किया जायेगा। 

इस कार्यशाला में निशा पटेल, सहायक प्राध्यापक द्वारा अत्यंत योजनाबद्ध तरीके से छात्र-छात्राओं को क्वेश्चन डाक्यूमेंट एक्जामिनेशन की विशेषता का ज्ञान कराते हुए इस कार्यशाला को बेहतरीन अंजाम दिया गया। कार्यशाला की तैयारी में डाॅ. स्वाति पाण्डेय, अंकिता मेहरा, जयंत बारिक, डाॅ. दीप्ति पटेल ने भी महती भूमिका निभाई। 

कार्यक्रम का संचालन डाॅ. राजश्री नायडू, विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डाॅ. वीरेन्द्र स्वर्णकार ने किया। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया और उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

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