चेहरा बयां कर रहा है इस बीमार बदन की हकीकत

पंचायत भवन की हालत खस्ता है, तो गांव का हाल कैसा होगा ? =

= बोरीगांव ग्राम पंचायत का कर दिया गया है बेड़ागर्क =

*-अर्जुन झा-*

*बकावंड।* अगर चेहरा ही खोखला और गंदा नजर आए, तो शरीर के खोखलेपन का अंदाजा खुद बखुद लग जाता है। यही हाल ग्राम पंचायत बोरीगांव का है, जहां ग्राम पंचायत और ग्रामीण सचिवालय की खंडहर स्थिति पंचायत की व्यवस्था की कलई खोल रही है। ग्राम पंचायत के शौचालय का तो और भी बुरा हाल है।

       विकासखंड मुख्यालय बकावंड से महज 3 किमी दूर स्थित ग्राम पंचायत बोरीगांव में दाखिल होते ही अजीब सी घुटन होने लगती है। जर्जर पंचायत भवन और ग्रामीण सचिवालय भवन बेरुखी से स्वागत करते प्रतीत होते हैं। बाजू में स्थित शौचालय से उठती बदबू फेफड़े और दिलो दिमाग को झकझोर कर रख देती है। इनकी हालत देखकर पंचायत के वार्डों की बदनुमा तस्वीर जेहन और नजरों में तैरने लगती है। लगभग खंडहर में तब्दील हो चुके ग्रामीण सचिवालय पंचायत भवन में गांव के विकास का खाका कैसे तैयार किया जाता होगा यह कल्पना से परे नहीं है। पंचायत के नाम पर भवन अवशेष का मात्र रह गया है।सरकार सर्वसुविधा युक्त पंचायत भवन बनाने लाखों रुपए आवंटित करती है। ताकि भवन में पंचायत क्षेत्र के सभी सरकारी कर्मचारी ग्राम विकास के लिए निर्णय लेकर योजना बनाएं और उन्हें धरातल पर उतार सकें। मगर बोरीगांव में एक सुविधायुक्त पंचायत भवन भी बनाया नहीं जा सका है। अगर पंचायत भवन निर्माण के लिए शासन से राशि आई होगी, तो वह आखिर कहां खप गई? यह सवाल ग्रामीण उठा रहे हैं।

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*खंडहर में बैठकर ईमारत की तामीर*

सरपंच, सचिव, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, स्वास्थ्य कर्मी, लाईनमैन, पटवारी, शिक्षा विभाग के संकुल समन्वयक, पशु चिकित्सा क्षेत्र सहायक, महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक, रोजगार सहायक, माली, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता, मितानिन, कोटवार आदि सभी कर्मचारी इस भूतहा खंडहर में बैठकर ग्रामीणों की समस्याओं का निदान और उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने की पहल करते हैं। रोज सुबह 10 .30 बजे से शाम 5 बजे तक सचिवालय में ग्रामीणों की आमदरफ्त जारी रहती है। हर शक्रवार को होने वाली बैठक में गांव के सभी 18 वार्डों से सैकड़ों स्त्री पुरुष ग्राम पंचायत भवन और ग्रामीण सचिवालय में पहुंचते हैं। वहां मूत्रालय और शौचालय का इंतजाम ठीक नहीं है। जो शौचालय है भी, वह आसपास के पूरे इलाके के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। शौचालय में पसरी गंदगी और उसकी माली हालत को देख कोई वहां जाने का साहस नहीं जुटा पाता। पंचायत भवन की छत और सामने के हिस्से को बरगद पेड़ की जटाओं ओर घासफूस ने अपनी जद में ले लिया है। इस वजह से वहां सांप बिच्छुओं ने बसेरा कर लिया है, जो अक्सर भवन के भीतर भी पहुंच घुस जाया करते हैं।

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*सरपंच – सचिव की मनमानी*

बोरीगांव के सरपंच की लापरवाही का फायदा पंचायत सचिव हेमलता नेगी उठा रही है। इस पंचायत में पदस्थ होने के बाद से वे अपनी ड्यूटी के प्रति लगातार लापरवाही बरतती आ रही हैं। पंचायत सचिव कभी कभार ही ग्राम पंचायत आती हैं। सारे निर्णय और कार्य वे अपने घर से अपने चहेतों के माध्यम से करती हैं। सरपंच सोनसिंह कश्यप के कारनामों के खिलाफ ग्रामीण कई बार शिकायत भी कर चुके हैं, किंतु अबतक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सचिव हेमलता नेगी की कार्यप्रणाली से परेशान पंचों ने इस संवाददाता को बताया कि 18 वार्ड के इस पंचायत में कोई भी विकास कार्य नहीं दिखता है। आंगनबाड़ी, नलजल योजना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की भी दयनीय हालत है।

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