आरक्षण विरोधी है भाजपा और मोदी सरकार*

कांग्रेस के बड़े अजा – अजजा नेताओं ने प्रधानमंत्री पर जमकर बोला हमला =

*जगदलपुर।* अभा कांग्रेस वर्किंग कमेटी मेंबर के. राजू कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश लिलोटिया, अनुसूचित जनजाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव मोघे ने जगदलपुर के राजीव भवन में केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरक्षण बिल पर क्यों चुप हैं? भाजपा के दबाव में आरक्षण विधेयक रूका हुआ है। आरक्षण बिल पर भाजपा के रवैए को कांग्रेस जनता तक ले जाएगी। कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने सर्वसमाज के हित में राज्य के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, ओबीसी और अनारक्षित वर्ग के गरीबों के हित में आरक्षण संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित करवा कर राजभवन भेजा है। दुर्भाग्यजनक है आरक्षण विधेयक कानून का रूप नहीं ले पा रहा है।

         कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वंचित वर्गों को उनका संवैधानिक हक भाजपा के षड़यंत्रों के कारण नहीं मिल पा रहा है। आरक्षण संशोधन विधेयक राजभवन में 9 महिने से अटका हुआ है। अभी तक

राजभवन ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। प्रदेश में चुनावी दौरे पर भाजपा के बड़े नेता आ रहे हैं। प्रधानमंत्री, भाजपा अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक आ रहे हैं, लेकिन राजभवन में रूके आरक्षण बिल पर सब मौन हैं। भाजपा के आरक्षण विरोधी रवैए को कांग्रेस जनता के बीच लेकर जाएगी। भाजपा आरक्षित वर्ग के गरीबों के हितों में बाधक बनी हुई है। आरक्षण संशोधन विधेयक में आदिवासी समाज के लिये 32 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। आरक्षण विधेयक रुकने का खामियाजा आदिवासी समाज को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ रहा है।

कांग्रेस ने सर्व समाज को आरक्षण देने अपना काम पूरी ईमानदारी से करके सभी वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति को उनकी जनगणना के आधार पर तथा पिछड़ा वर्ग को क्वांटी फायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया। इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति के लिये 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिये 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए भी 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। 76 प्रतिशत का आरक्षण सभी वर्गों की आबादी के अनुसार निर्णय लिया गया है। यह विधेयक यदि कानून का रूप लेगा तो हर वर्ग के लोग संतुष्ट होंगे। सभी वंचित वर्ग के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने सामाजिक न्याय को लागू करने यह विधेयक बनाया गया है। इस विधेयक को विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया है इसको रोकना जनमत का अपमान है।

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*नगरनार संयंत्र पर मोदी ने झूठ बोला*

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार नगरनार को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने नगरनार को लेकर सफेद झूठ बोला है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बस्तर में एक बार फिर झूठ बोला कि नगरनार संयंत्र का उनकी सरकार निजीकरण नहीं कर रही है। मोदी सरकार ने नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री ने राजनैतिक बयानबाजी में झूठ बोलकर अपने पद की गरिमा को गिराया है। मोदी सरकार नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचना चाहती है तथा इस संयंत्र को खरीदने के लिए उद्योगपतियों ने सर्वे भी शुरू कर दिया है। उद्योगपतियों को बोली लगाने के लिए नियम शर्ते भी मोदी सरकार ने बना दी है। प्रधानमंत्री बस्तर और प्रदेश की जनता को जवाब दें कि वे झूठ क्यों बोल रहे हैं? 14 अक्टूबर 2020 में भारत सरकार ने एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट में 50.79 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया था। इसके लिए भारत सरकार के वित्त विभाग के अधीन निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग को काम सौंपा गया। यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति द्वारा लिया गया। नगरनार स्टील प्लांट में विनिवेश का कार्य सितंबर 2021 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया। पीआईबी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। उक्त निर्णय के क्रियान्वयन हेतु डीआईपीएएम ने 2 दिसंबर 2022 को नगरनार की रणनीतिक बिक्री हेतु प्रारंभिक बोलियां आमंत्रित की गईं। इस निविदा के संबंध में निजी निवेशकों को अन्य जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रश्न जमा करने की अंतिम तारीख 29 दिसंबर 2022 तथा बोली जमा करने की अंतिम तिथि 27 जनवरी 2023 रखी गई थी। समाचार पत्रों की खबरों से पता चला है कि नगरनार स्टील प्लांट को खरीदने के लिए पांच निजी कंपनियों ने प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं। उनमें से प्रमुख हैं जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू एस्सार तथा अडानी समूह। एनएमडीसी के चेयरमैन अमिताभ मुखर्जी ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया था कि एनएमडीसी स्टील प्लांट में विनिवेश की प्रक्रिया में प्लांट की कमिशनिंग के बाद तेजी आएगी। इस बात की संभावना है कि राज्य में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद दिसंबर में उन कंपनियों से फाइनेंसियल बिड आमंत्रित किए जाएं।

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*अन्य उपक्रमों को भी बेचने की तैयारी*

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भारत सरकार द्वारा इसी वित्तीय वर्ष अर्थात् 31 मार्च 2024 के पूर्व नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। एनएमडीसी स्टील प्लांट नगरनार के अलावा भारत सरकार इसी वित्तीय वर्ष में शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, बीईएमएल, एचएलएल लाइफकेयर, कंटेनर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया, विजाग स्टील तथा आईडीबीआई के विनिवेश से कुल 51,000 करोड़ रू.

अर्जित करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का निर्णय लिया है बल्कि इसके निजीकरण की प्रक्रिया अंतिम चरण तक पहुंचा चुकी है। प्रधानमंत्री से इतने बड़े झूठ की उम्मीद नहीं थी।

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*धान खरीदी पर भी झूठ*

धान खरीदी को लेकर कांग्रेस नेताओं ने कहा प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता छत्तीसगढ़ में आकर लगातार झूठ बोल जाते हैं कि छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी केंद्र सरकार करती है। छत्तीसगढ़ में धान कांग्रेस सरकार अपने खुद के दम पर खरीदती है। धान खरीदने में केंद्र सरकार का एक पैसे का भी योगदान नहीं है। राज्य सरकार धान खरीदी मार्कफेड के माध्यम से करती है। इसके लिए मार्कफेड विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेती है तथा इस ऋण के लिए बैक गारंटी राज्य सरकार देती है और धान खरीदी में जो घाटा होता है, उसे भी राज्य सरकार वहन करती है। पिछले वर्ष मार्कफेड ने लगभग 35000 करोड़ का ऋण धान खरीदी के लिए लिया था। मोदी सरकार तो घोषित समर्थन मूल्य से 1 रूपया भी ज्यादा कीमत देने पर राज्य सरकार को धमकाती है कि वह राज्य से केंद्रीय योजनओं के लिए लगने वाला चावल नही खरीदेगी।अकेली छत्तीसगढ़ सरकार है, जो अपने धान उत्पादक किसानों को देश में सबसे ज्यादा कीमत देती है। छत्तीसगढ़ के किसानों को पिछले वर्ष धान की कीमत 2640 रु. मिली। उत्तरप्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में तो किसानों को धान का मूल्य 1100 रूपए मिलता है।

छत्तीसगढ़ देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां किसानों को प्रति एकड़ धान पर 9 हजार रूपये तथा अन्य फसल पर 10 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी मिलती है। छत्तीसगढ़ देश का अकेला राज्य है, जहां कृषि मजदूरों को प्रतिवर्ष 7 हजार रूपए मिलते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों के खाते में 1.50 लाख करोड़ रूपये सीधे डाले हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति केंद्र सरकार की दुर्भावना इतनी ज्यादा है कि केंद्र के पास राज्यों को देने चावल का स्टॉक नहीं है। कर्नाटक सरकार ने केंद्र से 35 लाख मीट्रिक टन चावल

मांगा। उसके लिए कर्नाटक सरकार भुगतान भी करती, लेकिन केंद्र ने स्टॉक नहीं होने की बात कहकर कर्नाटक को चावल देने से मना कर दिया। वहीं केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ से इस वर्ष 86 लाख टन चावल लेने का एमओयू करती है, लेकिन बाद में केंद्र इस एमओयू से चावल लेने की मात्रा घटाकर 61 लाख मीट्रिक टन कर देता है। यह छत्तीसगढ़ के साथ दुर्भावना

नहीं है तो और क्या है? आपको विभिन्न योजनाओं में देने के लिए चावल चाहिए।आपके पास स्टॉक भी नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य में किसान भरपूर धान पैदा कर रहे हैं।यहां पर इस वर्ष कांग्रेस की सरकार ने 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ में चुनाव है। छत्तीसगढ़ सरकार को असहयोग करना है इसलिए वहां की सरकार से चावल नहीं लेना है यह केंद्र की दुर्भावना है। केंद्र भले एक दाना चावल मत ले कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों का दाना- दाना धान खरीदेगी। इस वर्ष कांग्रेस सरकार ने 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी का लक्ष्य रखा है तथा इस वर्ष राज्य के किसानों से कांग्रेस सरकार 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदेगी।

प्रेस वार्ता में मुख्य रूप शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य, एलडीएम नेशनल कन्वीनर नसीर अहमद, एलडीएम लोकसभा क्षेत्र कोआर्डिनेटर जावेद खान, विधायक रेखचंद जैन, महापौर सफीरा साहू, इंद्रावती विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा, पूर्व जिला अध्यक्ष मनोहर लूनिया, पूर्व महापौर जतिन जयसवाल, जिला प्रवक्ता अवधेश झा, सादाब खान, असीम सूता आदि मौजूद थे।

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