सुना रहा है ये समां सुनी सुनी सी दास्तां…

दीपक की रोशनी में विकास की डगर पर चल पड़े युवा

*(अर्जुन झा)*

लोहंडीगुड़ा। चित्रकोट विधानसभा के तीनों ब्लाक में तरुणाई दीपक की रोशनी में विकास की डगर पर चल पड़ी है। चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र अन्य इलाकों की अपेक्षा अधिक विकसित, शिक्षित और खुले दिल दिमाग वाला क्षेत्र है। यहां के लोग विकास चाहते हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सांसद दीपक बैज फिर विधानसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व करने चुनाव मैदान में हैं। यहां मुकाबले में आनंद नहीं आ रहा। क्योंकि एकतरफा माहौल गांव- गांव में नजर आ रहा है। बास्तानार से लेकर लोहंडीगुड़ा तक युवाओं और महिलाओं का समर्थन दीपक बैज को मिल रहा है। वजह है उनके विकास के वे काम, जो उन्होंने पहले विधायक और फिर सांसद के रूप में किए हैं। वजह है उनकी ईमानदार छवि। दीपक बैज राजनीति की काजल की कोठरी में पूरी तरह बेदाग हैं। उनके राजनीतिक विरोधियों ने कभी उनकी तरफ उंगली उठाने की हिम्मत नहीं की। क्योंकि दीपक सिर्फ विकास की राजनीति करते हैं। बस्तर के हितों के लिए संघर्ष करते हैं। वे विकास की सोच रखते हैं। जनता के प्रति संवेदनशील हैं। अन्याय का प्रतिकार करते हैं और समाधान के पहले शांत नहीं बैठते। वे छत्तीसगढ़ के युवाओं के आइकन बन चुके हैं तो अपने बस्तर और चित्रकोट की बात ही क्या है। यहां हर घर की यही तमन्ना है कि बेटा हो तो दीपक जैसा। छोटी सी उम्र में दो बार विधायक, फिर सांसद और अब सांसद के साथ साथ उस कांग्रेस के सबसे युवा प्रदेश अध्यक्ष, जो कांग्रेस इस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। जब कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व दीपक की क्षमता का कायल है तो साफ है कि उनके अपने घर के लोग उनकी प्रतिभा से अपरिचित नहीं हैं। जब घर के चिराग की रोशनी दूर तक फैलती है तो आंगन का हर एक कोना जगमग होता है। दीपक के साथ यह कहावत लागू नहीं होती कि घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध। वे तो चित्रकोट से लेकर पूरे बस्तर में सिध्द हैं और अब प्रदेश कांग्रेस के मुखिया के तौर पर अपनी कर्मशीलता की धाक जमा चुके हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में संगठन को चुनाव के लिए खड़ा करने के लिए दीपक को तीन महीने का समय मिला। आज जिस तरह चित्रकोट के युवा दीपक के साथ साथ चल रहे हैं, वैसे ही छत्तीसगढ़ के युवा भी उनके साथ हैं। ऐसा लग रहा है कि चित्रकोट में दीपक बैज की शक्ल में छत्तीसगढ़ की जवानी चुनाव मैदान में उतर आई है। कोई धर्म के नाम पर चुनाव लड़ता है तो दीपक बैज कर्म के नाम पर चुनाव लड़ते रहे हैं और लड़ रहे हैं। तब भी ऐसा नहीं है कि वे धर्म से परे हैं। उनका धर्म जनसेवा और विकास है। उनका धर्म महिलाओं का सशक्तिकरण और युवाओं का रोजगार है। इसीलिए उनके प्रयासों से वनोपज आधारित ऐसे प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित हो रहे हैं, जो महिलाओं की आर्थिक समृद्धि की गारंटी हैं। लोहंडीगुड़ा की इमली सात समंदर पार इठला रही है तो यह दीपक की महिला हितैषी सोच का परिणाम है। दीपक बैज के संघर्ष का ही नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बस्तर आकर चुनावी वादा करना पड़ रहा है कि नगरनार स्टील प्लांट निजी क्षेत्र में नहीं जाएगा। इन चुनावी वादों पर चित्रकोट सहित बस्तर की जनता को भरोसा हो न हो, लेकिन दीपक बैज पर भरोसा है कि वे इस प्लांट का निजीकरण रोकने पूरी कोशिश कर रहे हैं। ऐसा इसलिए कि यह प्लांट बस्तर के हाथों में रहेगा तो बस्तर के युवाओं के हाथ को काम मिलेगा। बात अगर आस्था की है तो दीपक बैज ने जग प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के अध्यक्ष के रूप में बेहद सक्रिय भूमिका निभाई है। इस महा पर्व के रथ से जुड़े दसियों गांवों के लोगों के साथ दीपक ने साथी की तरह अपने दायित्व पूरे किए हैं।

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