नेगानार के ग्रामीणों को झटके पे झटके दे रही है बिजली

= बिजली के अप डाउन से खराब हो रहे हैं उपकरण =

= शिकायत के बाद भी हफ्तों फाल्ट दूर नहीं करते कर्मी =

*-अर्जुन झा-*

*बकावंड।* बस्तर संभाग के गांवों में विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी – कर्मचारियों की स्वेच्छाचारिता का खामियाजा ग्रामीणों को भोगना पड़ रहा है। बिजली संबंधी समस्याओं को दूर करने में इस कदर कोताही बरतने की सारी हद पार कर जाते हैं कर्मचारी। कुछ ऐसा ही नेगानार में देखने को मिल रहा है। यहां के ग्रामीणों को बिजली झटके पे झटके दे रही है। हाई – लो वोल्टेज के कारण ग्रामीणों के विद्युत उपकरण बर्बाद हो रहे हैं। शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

        बकावंड विकासखंड के ग्राम नेगानार के ग्रामीणों के लिए बिजली की सुविधा परेशानी का सबब बन गई है।यहां के उपभोक्ताओं के घरों, दुकानों, हालर मिल आटा चक्की, सिंचाई पंपों में बिजली आपूर्ति कभी भारी हाई वोल्टेज के साथ होने लगती है, तो कभी वोल्टेज इस कदर डाउन हो जाता है कि बल्ब भी ढंग से नहीं जलते और टिमटिमाते से प्रतीत होते हैं। अत्यधिक वोल्टेज में बिजली सप्लाई होने पर टीवी, फ्रिज, पंखे, कूलर, इलेक्ट्रिक आयरन, ट्यूब लाईट, बल्ब, मिक्सर ग्राईंडर व अन्य विद्युत चलित उपकरण जल जाते हैं। कई ग्रामीणों के चार्जिंग में रखे मोबाईल फोन व चार्जर तथा अनेक किसानों के मोटर पंप जल चुके हैं। गांव के दर्जनों घरों से इस तरह की शिकायतें प्रायः रोज आती रहती हैं। रोज हजारों रुपए के उपकरण खराब हो रहे हैं। नेगानार व आसपास के गांवों के लिए नियुक्त विद्युत विभाग के एरिया मिस्त्री को सूचित किए पंद्रह दिनों से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी विद्युत आपूर्ति को सामान्य बनाने की दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ग्राम नेगानार में इस तरह के हालात बीस दिनों से बने हुए हैं। अब तक दर्जनों पंखे, टीवी सेट्स, बल्ब, ट्यूब लाईट, इलेक्ट्रिक प्रेस आयरन, मोबाईल फोन, चार्जर, मोटर पंप आदि खराब हो चुके हैं। बिजली की इस तबाही से ग्रामीण त्रस्त हो चले हैं। फिर भी बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौन बने हुए हैं। ज्ञात हो कि सालभर पहले भी विभाग को नेगानार की इस समस्या से अवगत कराया गया था। तब स्थायी समाधान न कर काम चलाऊ मरम्मत का काम कर दिया गया था। नतीजतन अब फिर से वैसी ही समस्या आ खड़ी हुई है।विद्युत कंपनी के अधिकारी कर्मचारी गांवों का कभी दौरा ही नहीं करते। वे ब्लॉक मुख्यालय स्थित दफ्तर में ही सारा समय गुजार देते हैं।

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*और भी हैं कई समस्याएं* 

वोल्टेज अप – डाउन के अलावा विद्युत संबंधी और भी कई परेशानियां नेगानार के ग्रामीणों के समक्ष मुंहबाये खड़ी हैं। गांव में कहीं बीच रोड पर बिजली पोल खड़े कर दिए गए हैं, तो कहीं किसी ग्रामीण के घर की चारदीवारी के अंदर स्टे तार (पोल सपोर्टर) लगा दिए गए हैं। कुछ स्थानों पर सड़क किनारे लगे पोलों के तार काफी नीचे हैं। सामान लदे ट्रक, मिनी ट्रक, पिकअप आदि वाहन गुजरते हैं तब बिजली के झूलते तार वाहनों पर लदे सामान से टकराने लगते हैं। तारों के टकराने से जबरदस्त स्पार्किंग होती है और आग लगने का खतरा पैदा हो जाता है।दरअसल सड़क की ऊंचाई थोड़ी ज्यादा है और पोल बौने होते जा रहे हैं। ऐसे बिजली खंभों खम्भे को ऊंचा करना निहायत ही जरूरी है। अन्यथा गांव में कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इस तरह विभाग की घोर लापरवाही के कारण ग्रामीणों की जान जोखिम में पड़ गई है।

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*पूरे ब्लॉक में अव्यवस्था का आलम*

ऐसे हालात अकेले नेगानार गांव में ही नहीं हैं, बल्कि बकावंड विकासखंड के अधिकतर गांवों के ग्रामीणों को भी ऐसी ही त्रासदी के दौर से गुजरना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा विकासखंड के दूरस्थ गांवों के ग्रामीणों को कुछ ज्यादा ही भोगना पड़ रहा है। विद्युत कंपनी के स्थानीय प्रभारी अधिकारी दूर दराज के गांवों का दौरा करने नहीं जाते और वहां की परेशानियां उनके संज्ञान में नहीं आ पाती। बरसात के मौसम में तो दूर दराज के गांवों में तो हफ्ते पंद्रह दिनों तक बिजली गुल रहती है। ग्रामीण हलकान और परेशान होते रहते हैं। फिर भी फाल्ट दूर कर बिजली बहाल करने में तत्परता नहीं दिखाई जाती। इस बदइंतजामी को लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी है।

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