हॉस्टल से टेस्ट देने निकला था 16 साल का छात्र, 9 दिन बाद दर्दनाक स्थिति में मिला शव, सामने आई ये वजह
कोटा:- एजुकेशन सिटी कोटा में देशभर के बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग करने आते हैं. ऐसे में पढ़ाई का प्रेशर और माता-पिता के दबाव में ये बच्चे तनावपूर्ण स्थिति में आ जाते है. डिप्रेशन में आने के बाद कुछ स्टूडेंट आत्महत्या कर लेते हैं. कई स्टूडेंट पंखे से लटक कर सुसाइड कर लेते हैं, तो कोई बिल्डिंग से कूद कर या फिर किसी ऊंचाई पहाड़ से जाकर जंप मार देता है. जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन और कोचिंग प्रशासन की तरफ से भी सुसाइड रोकने के कई बच्चों को तनावपूर्ण स्थिति से निकलने के लिए कई प्रोग्राम आयोजित भी किए गए हैं, लेकिन इससे सफलता नहीं मिल रही.
अब कोटा में आत्महत्या का एक और मामला सामने आया है, जहां टेस्ट देने के बहाने हॉस्टल से निकले स्टूडेंट का शव 9वें दिन गरडिया महादेव मंदिर इलाके में मिला है. उसने 100 फीट ऊंचाई से कूदकर सुसाइड कर लिया. उसका शव चट्टान पर दो पेड़ के बीच फंसा हुआ था. जिस जगह शव मिला, वहां जाना खतरे से भरा था.
16 साल का छात्र रचित, एमपी के राजगढ़ के ब्यावरा का रहने वाला था. एक साल से कोटा में रहकर वो जेईई की तैयारी कर रहा था. रविवार 11 फरवरी दोपहर को हॉस्टल से टेस्ट देने के बहाने वो निकला था और बैग भी साथ लेकर गया था. सोमवार 12 फरवरी को उसका बैग, चप्पल, रस्सी, चाकू गरडिया महादेव मंदिर के आस-पास मिला. गरडिया महादेव मंदिर में टिकिट विंडो पर लगे सीसीटीवी कैमरे में एंट्री टिकट लेते हुए उसकी तस्वीर कैद हुई थी. परिजनों को रूम की तलाशी में एक रजिस्टर मिला था, जिसमें गरडिया महादेव मंदिर में जाने की बात लिखी थी. 40-50 परिजन पिछले 8 दिनों रचित की तलाश में जुटे थे.
जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने बताया कि कोटा में लाखों की तादाद में बच्चे पढ़ने आते हैं. बच्चों को तनावपूर्ण स्थिति से निकलने के लिए अलग-अलग प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं. ऐसे में जिला प्रशासन और कोचिंग प्रशासन हॉस्टल की तरफ से लागातार इससे बच्चों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. निश्चित रूप से इंप्रूवमेंट धीरे-धीरे आएगा.
मनोचिकित्सक डॉ. अखिल अग्रवाल ने बताया कि आत्महत्या करने के लिए बहुत ही साहस की जरूरत पड़ती है. लेकिन यह नाबालिक बच्चों में इतनी हिम्मत आती कहां से है. यह बच्चे कभी पंखे से लटक जाते हैं, कभी ऊंचाई से छलांग लगा देते हैं, तो कभी नस काट लेते हैं. यह डिप्रेशन की एक्सट्रीम फेज है, जब बच्चा अपने आप को दुनिया से अलग कर लेता है और उनकी सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो जाती है. उसका दर्द और डर बिल्कुल खत्म हो जाता है और इस तनाव के दर्द को दूर करने के लिए बच्चे इस तरह का गलत कदम उठा लेते हैं.
मनोचिकित्सक डॉक्टर अखिल अग्रवाल ने बताया कि अगर आप तनावपूर्ण स्थिति में एक बंद कमरे में है, तो पहले तो अपने आप को खुले वातावरण में लाएं. अपने पेरेंट्स, अपने टीचर, अपने फ्रेंड, मनोचिकित्सक से बात करें, लेकिन अकेले ना रहे.
स्टूडेंट के पिता जगनारायण ने बताया कि 9 दिन बाद बेटे का शव मिला. मोर्चरी पर शव के पोस्टमार्टम के दौरान स्टूडेंट के पिता ने पुलिस पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि सोमवार को सर्च के दौरान हमने गन व हथियार वाले जवानों को परिवार के साथ नीचे भेजने को कहा था. सीनियर अधिकारी ने पुलिसजवानों को नीचे भेजने से इनकार कर दिया. सीनियर अधिकारी ने कहा कि नीचे SDRF की टीम जाती है. मैं इनको अपनी जवाबदेही पर लाया हूं, नीचे भेजने की रिस्क नहीं ले सकता, क्योंकि नीचे खतरा है.
पिता ने कहा कि परिवार के सदस्य ही नीचे गए और हमारे लोगों ने रचित को ढूंढा पुलिस की टीम ऊपर मैदानी इलाके में तलाशी में लगी रही. अगर पुलिस एक्टिव होती, तो शव को ढूंढने में 9 दिन नहीं लगते. पुलिस को जितनी तत्परता से काम करना चाहिए था, उतना नही किया. हम 24 लोग नीचे गए, जहां 1 किमी तक का सर्च हम पहले ही कर चुके थे. हमने 1 किमी से आगे ढूढ़ना शुरू किया. हमारे जमाई पुलिस में हैं और वो भी हमारे साथ सर्च कर रहे थे. करीब एक से डेढ़ किमी दूर से दुर्गंध आने पर डेड बॉडी की तरफ गए. वहां रचित पेड़ के बीच मे फंसा हुआ था.