दरोगा रामचंद्र सिंह के रहस्यमय तरीके से मृत होने की प्लानिंग पर से उठा पर्दा , 12 साल पहले दरोगा रामचंद्र सिंह अहियापुर थाने में थे पदस्थ, काट रहा था मौज

मुजफ्फरपुर. अब तक आपने कानून के डर से अपराधियों को भागते और खुद को मृत घोषित करवाते हुए सुना होगा. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे दरोगा की कहानी बताने जा रहे हैं, जो पिछले 12 साल से निजी लाभ के लिए अपनी पत्नी के माध्यम से खुद को मृत घोषित कराते हुए मौज से अपनी जिंदगी काट रहा था. लेकिन जिद्दी मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा की पहल ने आखिरकार उक्त दरोगा को मुजफ्फरपुर कोर्ट आने को मजबूर कर दिया. जल्द ही कोर्ट इस पर संज्ञान ले सकती है. इसके बाद दरोगा रामचंद्र सिंह के रहस्यमय तरीके से मृत होने की पूरी प्लानिंग पर से पर्दा उठ जाएगा. मालूम हो कि 12 साल पहले दरोगा रामचंद्र सिंह मुजफ्फरपुर जिले के अहियापुर थाने में पदस्थापित थे.

अधिवक्ता एसके झा बताते हैं कि मुजफ्फरपुर जिले के अहियापुर थाना क्षेत्र के उरी गांव में 4 नवंबर 2012 को सरकारी स्कूल के शिक्षक अनंत राम उर्फ फूला राम पर गांव की एक महिला ने रेप का आरोप लगाया था. इसकी सूचना मिलने के बाद थाने के दरोगा रामचंद्र सिंह ने गांव पहुंचकर फूला राम को गिरफ्तार कर लिया. इस घटना में दो केस दर्ज हुए. एक केस पीड़िता की ओर से फूला राम पर रेप का और दूसरा फूला राम की ओर से गांव वालों पर मारपीट करने का. इसके बाद इंस्पेक्टर के आदेश से दरोगा रामचंद्र सिंह केस की जांच करने लगे. डीएसपी से लेकर एसपी तक ने सुपरविजन किया और दरोगा रामचंद्र सिंह ने कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी.

अधिवक्ता श्री झा बताते हैं कि रेप केस जब ट्रायल में पहुंचा तो एडीजे-7 पद्मा कुमारी चौबे ने गवाही के लिए इंवेस्टिगेशन ऑफिसर दरोगा रामचंद्र सिंह को समन जारी किया. इसके बाद वे तो कोर्ट नहीं आए, उनकी पत्नी ने एसपी के माध्यम से कोर्ट में दरोगा पति का मृत्यु प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कर दिया. जिसमें दरोगा की मौत की तारीख 15 दिसंबर 2009 दर्ज थी. 2009 में मर चुके दारोगा से 2012 के रेप केस की जांच कराने की बात सामने आने पर जज ने एसएसपी को जांच का आदेश दिया. एसएसपी ने दरोगा मुनि जी से जांच कराई तो उन्होंने भी अपनी जांच रिपोर्ट में रामचंद्र सिंह को उसी तिथि में मृत साबित कर दिया.

दरोगा मुनि की रिपोर्ट अहियापुर थानेदार के माध्यम से कोर्ट में दाखिल की गई, तो कोर्ट ने फटकार लगाते हुए एसएसपी के माध्यम से अहियापुर थानेदार को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. इसी बीच एडीजे-7 पद्मा कुमारी चौबे का ट्रांसफर हो गया और केस एडीजे-13 एसके सिन्हा की कोर्ट में चला गया. यहीं से दारोगा रामचंद्र सिंह कोर्ट और पुलिस की रिकार्ड में मृत हो गए. अधिवक्ता श्री झा बताते हैं कि इस मामले की जानकारी मिलने के बाद वे खुद इस केस की पैरवी करने लगे. अपुष्ट सूत्रों से उन्हें विश्वास हो गया कि दारोगा रामचंद्र सिंह जीवित हैं और कुछ खेला कर रहे हैं. तभी उन्होंने अपना जनेऊ तोड़ लिया और सच को कोर्ट लाने तक इसे नहीं धारण करने का संकल्प ले लिया. 12 साल आरटीआई से लेकर अन्य माध्यमों से की गई मेहनत के बाद अब जाकर उन्हें सफलता मिली, तो मुजफ्फरपुर कोर्ट परिसर स्थित हनुमान मंदिर में आयोजित विशेष पूजा में उन्होंने अन्य अधिवक्ताओं की मौजूदगी में अपना जनेऊ धारण किया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *