स्वरूपानंद महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क कक्षाएं प्रारंभ
Bhilai,, 07 Feb, (Swarnim Savera) ,,, युवाओं के सुनहरे भविष्य के निर्माण हेतु स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय , हुडको में निशुल्क पीएससी, व्यापम की कोचिंग का संचालन किया जा रहा है । इसकी विधिवत शुरुआत 7 जनवरी से प्रारंभ हुई ।
यह निःशुल्क कोचिंग को दो बैचों में संचालित किया जा रहा है जहां विद्यार्थियों को अलग-अलग विषयों की कोचिंग कॉलेज के प्रोफेसरों द्वारा प्रदान की जा रही है l
कॉलेज परिसर में होने वाली कोचिंग शुक्रवार और शनिवार को संचालित की जाती है l
पाठ्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए सहायक प्राध्यापक अंग्रेजी – श्री हितेश कुमार सोनवानी ने बताया की विद्यार्थियो को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं अपितु उस विषय की समझ भी उन्हें दिलाई जा रही है l
भूगोल विषय के बारे में उन्होंने बताया कि किस प्रकार से किसी भी क्षेत्र का भूगोल वहां की संस्कृति, सभ्यता, रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा, आदि को प्रभावित करता है l उन्होंने छात्रों को भारत के निर्माण के बारे में भी जानकारी दी कि आदि काल में किस प्रकार से गोंडवाना लैंड टूटकर भारत भूमि बना l उन्होंने हिमालय की उत्पत्ति विकास तथा उसके महत्व से भी छात्रों को अवगत कराया l छात्रों ने भी बड़े ही ध्यान के साथ इस क्लास में भाग लेते हैं तथा प्रश्न भी पूछते हैं l प्राध्यापक ने और जानकारी देते हुए कहा कि कक्षाओं के दौरान समय-समय पर विद्यार्थियों की परीक्षा भी ली जाएगी ताकि छात्रों का मूल्यांकन व उनकी रूचि देखी जा सके l
स्वामी श्री स्वरूपानंद कॉलेज के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने कहा कि सुनहरे भारत की नीव एक शिक्षित कुशल व सक्षम युवा है, राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति का अभूतपूर्व योगदान होता है l हमारे कॉलेज के युवा अपनी शिक्षा शौर्य व परिश्रम की पराकाष्ठा करते हुए स्वयं को तैयार करें, राष्ट्र निर्माण में नया आयाम स्थापित करें, इस उद्देश्य से निशुल्क कोचिंग शुरु कराया गया है l
प्राचार्या डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि क्षेत्र के भौतिक विकास के लिए जनप्रतिनिधि ही जवाबदार होते हैं लेकिन भौतिक विकास के साथ युवाओं को छात्रों को राष्ट्र निर्माण नीति निर्माण में भी सहभागी बनाने, शिक्षित करने ऐसी कोचिंग का अवसर देना सराहनीय है l
इस कार्यक्रम का उद्देश्य कॉलेज में नवाचार को लागू कर विद्यार्थियों में नियमित पढ़ाई के प्रति जागरूकता लाने के साथ-साथ उनमें प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए क्षमता विकास करना है l