इस्पात नगरी की बेटी फरीदा बेगम के फौलादी जज्बे को सलाम 

भिलाई /- फरीदा बेगम का जन्म भिलाई नगर में हुआ मूलतः उनके पिता रांची बिहार के रहने वाले थे और भिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत थे अपने परिवार में चार भाई बहनों में ये तीसरे नम्बर पर है इनकी स्कूली शिक्षा बीएसपी स्कूल सेक्टर-8 में हुई है स्कूली शिक्षा के बाद भिलाई महिला समाज से सिलाई एम्ब्राडरी का प्रशिक्षण प्राप्त किया और घर पर ही सिलाई एम्ब्राडरी और क्राफ्ट मेकिंग की क्लासेस प्रारंभ किया 1992 में इनकी शादी हुई शादी के 23 सालों  बाद पारिवारिक कारणों से फरीदा बेगम ने अपने बच्चों के लिए पति से अलग होने का कठिन निर्णय लिया। उनके दोनों बच्चों में बेटी  जिनका जन्म 1994 में हुआ और बेटे का जन्म 1996 में भिलाई में हुआ अपने बच्चों के भविष्य के लिए इनको कई सारी विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा पर इन्होंने हार नहीं मानी संघर्ष के दिनों में इन्होंने टिफिन देने से लेकर सिलाई एम्ब्राडरी क्राफ्ट मेकिंग के साथ साथ बी.एड. के प्रोजेक्ट वर्क काम किया और अपने बच्चों की एजूकेशन पर ध्यान केन्द्रित किया अपनी बेटी के ग्रेजुएशन के बाद उसकी पढाई रोकने का निर्णय लेकर इन्होंने बेटे की शिक्षा जारी रखते हुए बेटे को पालीटेक्निक मैकेनिकल ब्रान्च से करवाया फरीदा बेगम ने बताया बेटी की एजूकेशन रोकना उनके लिए बहुत दुख दायी था क्योंकि बेटी पढाई में अच्छी थी और पीएचडी करना चाहती थी ये बात मुझे हमेशा कचोटती थी और आज भी मुझे महसूस होती है उस समय कोई संस्था मेरे संज्ञान में नहीं थी जो एजूकेशन पर काम करती हो तब मैने अजंता फाउंडेशन 45 महिलाओं के साथ मिलकर 2012 में समूह बनाया जिसमें हम सब मिलकर समाज में जागृति लाने के लिए वृक्षारोपण करना वृद्धाश्रम जाकर वृद्धों से मिलना जैसे काम करते थे पर मन में वो एक बात हमेशा खटकती रहती की बेटियों की एजूकेशन पर काम नहीं कर पा रही थी तब मैंने अपनी सहेलियों के साथ मिलकर सुकृति सोशल एवम वेल फ़ेयर सोसायटी 2019  में पंजीकृत करवाया 43 मेम्बर्स वाली इस संस्था का उद्देश्य बेटियों को शिक्षा के लिए हर सम्भव   सहायता करना हमारी संस्था हर भारतीय त्योहारों को अलग तरीके से मनाने का प्रयास करती है चाहे नवरात्रि हो रमज़ान शरीफ ईद क्रिसमस सभी त्यौहारों में हम बच्चों को नाश्ता और स्टेशनरी का सामान देते हैं  सरकारी स्कूलों में जाकर वेस्ट मटेरियल से नये नये सामान बनाना सिखाते हैं कभी बीमार लोगों की दवाईयों में मदद कर देते हैं हमारे संस्था के तरफ से विश्व महामारी कोशिश -19 और 20-21 में लगातार निशुल्क भोजन की घर पहुंच सेवा की हमारी संस्था आज भी किसी जरूरत मन्द बेटी की शिक्षा के लिए तत्परता से काम करती है/

फरीदा बेगम ने SWARNIM SAVERA को बताया कि ये सब काम करते हुए उन्होंने महसूस किया कि मुस्लिम समाज में शिक्षा को लेकर  जागरूकता लाना बहुत जरूरी है तब उम्मीद फाउंडेशन की नींव रखी गई विगत 7 वर्षों से उम्मीद फाउंडेशन भिलाई मुस्लिम महिला समाज अपने समाज के बेटियों की शिक्षा के साथ साथ मुस्लिम महिलाओं को स्वालम्बन के लिए समय समय पर क्लासेस लगा कर उनकी सहायता कर रहा है उम्मीद फाउंडेशन के सदस्य हर रमज़ान में जरूरत मन्द परिवार को चिन्हित कर राशन किट्स उनके घरों में जाकर देने का काम बखूबी अन्जाम देते है जरूरत मन्द और बेसहारा लोगों के लिए यह  सेवा इस साल भी जारी है बेटियों की शादी के वक्त भी संस्था यथा सम्भव मदद करती है  गम्भीर बीमारी से जुझ रहे लोगों के दवाई और राशन का बन्दोबस्त करने का प्रयास उम्मीद फाउंडेशन हमेशा करती है इन संस्थाओं की संस्थापक और अध्यक्ष फरीदा बेगम ने बताया कि वो किसी धर्म और जाति को ना देख कर सिर्फ जरूरत मन्दों तक सहायता पहुँचाना चाहती हैं दोनों संस्था अलग सुचारू रुप से अपना काम करते हैं किसी भी राजनीति पार्टी से आर्थिक सहायता लेना नही है ऐसी सोच के साथ  संस्था के सदस्य आपस में ही मिलकर फन्ड जमा करके सभी सामजिक कामों को सफलता पूर्वक कर रहे हैं फरीदा बेगम की इच्छा है हर समाज की हर बेटी कम से कम 12 वीं तक जरूर शिक्षा प्राप्त करें उन्होने कहा कि अपनी संघर्ष भरी जिंदगी में अपने बच्चों को प्रेरणा मानती हूँ एक माँ के फर्ज को निभाने के लिए उन्होंने अपना जीवन अकेले ही काटना बेहतर समझा आज दोनों बच्चों को एक निश्चित मुकाम पर पहुँचा कर माँ होने का फर्ज निभाया है  अब सारा टाइम समाज के बेहतरी के लगाने वाली फरीदा बेगम निश्चित ही आज के परिवेश में महिलाओं की प्रेरणा स्रोत है/

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