झारखंड के आईएएस अधिकारी समेत सात के खिलाफ केस दर्ज, सरकारी खजाने को नुकसान का आरोप

रायपुर / छत्तीसगढ़ के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने झारखंड के एक आईएएस अधिकारी समेत सात लोगों के खिलाफ पड़ोसी राज्य की शराब नीति में बदलाव कर वहां के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया है।एसीबी के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि झारखंड में रांची निवासी विकास कुमार की शिकायत के आधार पर 7 सितंबर को रायपुर में दर्ज एफआईआर में छत्तीसगढ़ के एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी का भी नाम है। जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, व्यवसायी अनवर ढेबर, छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, आईएएस अधिकारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास और अरविंद सिंह (सभी छत्तीसगढ़ के), झारखंड के पूर्व आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और नोएडा के व्यवसायी विधु गुप्ता शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा मेसर्स सुमित फैसिलिटीज के निदेशक, मैनपावर एजेंसियों, शराब आपूर्तिकर्ता एजेंसियों और अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। 

झारखंड की आबकारी नीति में संशोधन की साजिश रची
टुटेजा, ढेबर, त्रिपाठी, दास और सिंह छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले में भी आरोपी हैं। इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय और छत्तीसगढ़ की एसीबी/ईओडब्ल्यू कर रही है। कथित घोटाला छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार (2018-23) के दौरान सामने आया था। नई एफआईआर के अनुसार, टुटेजा, ढेबर, त्रिपाठी और दास ने एक सिंडिकेट बनाया तथा झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर उस राज्य की आबकारी नीति में संशोधन करने की साजिश रची। उन्होंने पड़ोसी राज्य में भारतीय और विदेशी शराब की आपूर्ति के टेंडर सिंडिकेट के सदस्यों को दे दिए, जिससे धोखाधड़ी हुई और 2022 तथा 2023 के बीच झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

डुप्लीकेट होलोग्राम इस्तेमाल करने, अपने करीबी कंपनियों को तवज्जो देने का आरोप
सिंडिकेट पर डुप्लीकेट होलोग्राम के साथ बेहिसाब घरेलू शराब बेचने और अपने करीबी कंपनियों को अवैध रूप से विदेशी शराब की आपूर्ति आवंटित करने का आरोप है। दस्तावेज के अनुसार, सिंडिकेट ने ऐसी फर्मों से करोड़ों रुपये का अवैध कमीशन प्राप्त किया। एफआईआर में कहा गया है कि टुटेजा और उसके सिंडिकेट की झारखंड में अवैध शराब का कारोबार चलाने की योजना थी। योजना के तहत ढेबर और त्रिपाठी ने जनवरी 2022 में झारखंड के तत्कालीन आबकारी सचिव और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी।

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