कभी टाटा स्टील की भट्ठी में चूना पत्थर डालने का काम किया, फोर्ड चेयरमैन से अपमान का ऐसे लिया बदला
मुंबई/ देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा अब इस दुनिया में नहीं रहे। टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा की हालत गंभीर थी और उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिग्गज उद्योगपति का मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। टाटा समूह ने एक बयान जारी कर कहा, ‘यह हमारे लिए बहुत बड़ी क्षति है’।2008 में रतन टाटा को भारत सरकार ने देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। टाटा समूह में 50 वर्षों तक रहने के बाद दिसंबर 2012 में वह टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटे। इसके बाद रतन ‘टाटा संस’ के मानद अध्यक्ष बने।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में नवल टाटा और सूनी टाटा के घर हुआ। वे देश के प्रतिष्ठित टाटा परिवार का हिस्सा थे। उन्होंने टाटा ग्रुप में अपने करियर की शुरुआत 25 की आयु में की। रतन टाटा का पालन पोषण दस वर्ष की आयु तक उनकी दादी लेडी नवाजबाई ने टाटा पैलेस में किया।
टाटा स्टील की भट्ठी में चूना पत्थर डालने का काम किया
अमेरिकी तकनीकी दिग्गज आईबीएम के साथ नौकरी की पेशकश के बावजूद, टाटा ने भारत लौटने का फैसला किया और टाटा स्टील के साथ अपना करियर शुरू किया। उनके परिवार के सदस्य कंपनी के मालिक थे, पर उन्होंने एक सामान्य कर्मचारी के तौर पर कंपनी में काम शुरू किया। उन्होंने टाटा स्टील के प्लांट में चूना पत्थर को भट्ठियों में डालने जैसा काम भी किया।
रतन टाटा को विमान उड़ाने और कारों का शौक था
रतन टाटा को उड़ने का बहुत शौक था। वह 2007 में F-16 फाल्कन उड़ाने वाले पहले भारतीय बने। उन्हें कारों का भी बहुत शौक था। उनके संग्रह में मासेराती क्वाट्रोपोर्टे, मर्सिडीज बेंज एस-क्लास, मर्सिडीज बेंज 500 एसएल और जगुआर एफ-टाइप जैसी कारें शामिल हैं।
फोर्ड कंपनी के चेयरमैन ने रतन टाटा का किया अपमान
90 के दशक में जब टाटा समूह ने अपनी कार को लॉन्च किया तब कंपनी की सेल उम्मीदों के अनुरूप नहीं हो पाई। उस वक्त टाटा ग्रुप ने चुनौतियों से जूझ रही टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिविजन को बेचने का फैसला मन बना लिया। इसके लिए रतन टाटा ने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन बिल फोर्ड से बात की। बातचीत के दौरान बिल फोर्ड ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा था कि तुम कुछ नहीं जानते, आखिर तुमने पैंसेजर कार डिविजन शुरू ही क्यों किया? अगर मैं यह सौदा करता हूं तो यह तुम्हारे ऊपर एक बड़ा अहसान होगा। फोर्ड चेयरमैन के इन शब्दों से रतन टाटा बहुत आहत हुए पर उन्होंने इसे जाहिर नहीं किया। उसके बाद उन्होंने पैंसेजर कार डिविजन बेचने का अपना फैसला टाल दिया और अपने अंदाज में उनसे इसका बदला लिया।
नौ साल बाद रतन टाटा ने अपमान का ऐसे लिया बदला
फोर्ड के साथ डील स्थगित करने के बाद रतन टाटा स्वदेश लौट आए और टाटा मोटर्स के कार डिविजन पर ध्यान केंद्रित कर उसे बुलंदियों पर पहुंचा दिया। फोर्ड के मुखिया से हुई बातचीत के करीब नौ वर्षों के बाद टाटा मोटर्स की कारें पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी थीं। कंपनी की कारें दुनिया की बेस्ट सेलिंग कैटेगरी में शामिल थी। वहीं दूसरी ओर, फोर्ड कंपनी की हालत बिगड़ती जा रही थी। डूबती फोर्ड कंपनी को उबारने का जिम्मा टाटा ने लिया और साथ में उन्होंने नौ साल पहले हुए अपने अपमान का बदला भी ले लिया। दरअसल, चुनौतियों से जूझ रहे फोर्ड को उबारने के लिए रतन टाटा ने उसके लोकप्रिय ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का ऑफर किया। पर इसके वे अमेरिका नहीं गए बल्कि फोर्ड के चेयरमैन को डील के लिए भारत बुलाया।
फोर्ड चेयरमैन के बदले सुर, की टाटा की तारीफ
अपने अपमान का बदला लेने के लिए रतन टाटा ने बिना कुछ कहे ही ऐसी स्थिति पैदा कर दी जिससे फोर्ड चेयरमैन को अपना सुर बदलना पड़ा। मुंबई में रतन टाटा के ऑफर को स्वीकार करते हुए फोर्ड चेयरमैन बिल फोर्ड ने वही बातें अपने लिए कहीं जो कभी उन्होंने रतन टाटा का अपमान करते हुए कही थी। उस दौरान उन्होंने रतन टाटा को धन्यवाद करते हुए कहा, “आप जैगुआर और लैंड रोवर सीरीज को खरीदकर हमपर बड़ा एहसान कर रहे हैं।”