शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस बार होगा सोमवार को होलिका दहन : शास्त्री
भीनमाल 05 March (Swarnim Savera) । शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस बार सोमवार को सम्पूर्ण राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र में होलिका दहन किया जाएगा ।
शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि फाल्गुन शुक्ला चतुर्दशी सोमवार को होलिका दहन है और इसके दूसरे दिन धुलेंडी पर्व मनाया जाता है। होलिका दहन नियम के अनुसार भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा में किया जाता है । इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी सोमवार को प्रदोष व्यापिनी प्रवेश कर रही है, किंतु शाम को 16:17 से 29:15 तक भद्रा भी रहेगी । अतः होलिका दहन को लेकर संशय बना हुआ है । अगले दिन 7 मार्च को व्रत की पूर्णिमा होगी, किंतु प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा नहीं रहने से व पूर्णिमा तिथि मंगलवार को साढ़े तीन याम से अधिक रहने के उपरांत प्रतिपदा तिथि वृद्धि गामिनी नहीं होने के कारण मंगलवार को होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा । त्रिवेदी ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी सोमवार को प्रदोष काल में होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत है।
यदा तु पूर्व रात्रौ प्रदोष व्याप्त्यभावस्तत्सत्वे वा भद्रा रहित: कालो न लभ्यते उत्तर दिने च प्रदोषे पूर्णिमावस्तदा पुच्छे कार्यम।
पृथिव्यां यानि कार्याणी शुभानिह्यशुभानि च।
तानि सर्वाणी सिध्यंति विष्टिपुच्छे न संशय:।।
दीपनम मध्यरात्रिमतिक्रम्य विष्टि पुच्छम यदा भवेत
प्रदोषे ज्वालयेद्वन्ही सुख सौभाग्यदायिनिम।
प्रबोधान्मध्य रात्र्यानंतम होलिका पूजनम शुभम ।।
व्रतराज के इस नियम के अनुसार फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी सोमवार 6 मार्च को प्रदोषकाल सूर्यास्त 18:38 से 21.06 तक है । अतः होलिका दहन गोधूलि बेला में 18:30 से 18:50 तक तथा चरके चौघड़िया में 18:38 से रात को 20:10 तक शुभ रहेगा । जबकि भारत के पूर्वी प्रदेशो में दूसरे दिन यानी 7 मार्च को पूर्णिमा प्रदोष का स्पष्ट कर रही है और वहां भद्रा का पूर्ण का अभाव है ।
मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने Swarnim Savera को बताया कि अतः भारत के पूर्वी प्रदेशों में जहां सूर्यास्त 18: 10 से पहले होगा वहां होलीका दहन 7 मार्च को प्रदोष काल में होगा। 6 मार्च को जहां होलिका दहन होगा, वहां धुलेंडी 7 मार्च मंगलवार को तथा जहां पर 7 मार्च मंगलवार को होलिका दहन होगा, पूर्वी भारत में वहां पर धूलंडी पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा। शास्त्री ने बताया कि भीनमाल एवं आसपास के क्षेत्रों में जहाँ गेर महोत्सव होता है । वहां धूलंडी तीसरे दिन मनाई जाती है ।