ढाई दर्जन विभागों के कार्यों को धरातल पर उतारने वाले उपेक्षित

मूल दायित्व के साथ 200 तरह के कार्य निपटाते हैं पंचायत सचिव =
= घोषणा के बाद भी सचिवों का नहीं किया जा रहा है शासकीयकरण =
बकावंड 03 May, (Swarnim Savera) । ढाई दर्जन विभागों के कार्यों को धरातल पर मूर्तरूप देने वाले ग्राम पंचायत सचिवों का शासकीयकरण न किए जाने से उनमें नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। अपनी इस एक सूत्रीय मांग को लेकर पंचायत सचिव आंदोलनरत हैं। बकावंड ब्लॉक मुख्यालय में भी सचिवों की हड़ताल जारी है।
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में जनपद और जिला पंचायतों के कर्मचारी तो शासकीय सेवक कहलाते हैं, मगर इस व्यवस्था का आधार स्तंभ कही जाने वाली ग्राम पंचायतों के सचिवों से आज भी दिहाड़ी मजदूरों की तरह काम लिया जा रहा है। पंचायत सचिव अपनी ग्राम पंचायत से जुड़े सारे कामकाज तो निपटाते ही हैं। इसके अलावा वे तीस शासकीय विभागों के लगभग दो सौ तरह के कार्यों, राज्य व केंद्र सरकार की योजनाओं को भी धरातल पर अंजाम देने में भी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बावजूद उन्हें शासकीय सेवक का दर्जा देने में शासन द्वारा हीला हवाला किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने मार्च 2022 में उन्हें शासकीय सेवक का दर्जा देने की घोषणा की थी, जिस पर अमल नहीं किया जा रहा है। अगर पंचायत सचिव पद का शासकीयकरण कर दिया जाता है, तो शासन पर महज 75 करोड़ रुपए का ही अतरिक्त वित्तीय भार आएगा फिर भी उनका शासकीयकरण नहीं किया जाना समझ से परे है। पंचायत सचिव अपने शासकीयकरण की मांग को लेकर कई दिनों से हड़ताल पर हैं। बकावंड जनपद पंचायत मुख्यालय में भी ब्लॉक की सभी ग्राम पंचायतों के सचिव धरना देते आ रहे हैं। उनकी हड़ताल की वजह से ग्राम पंचायतों का सारा कामकाज ठप पड़ गया है। गोधन न्याय योजना, किसान न्याय योजना, मनरेगा जैसे सभी जरूरी कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। चॉइस सेंटरों, जनपद व जिला पंचायत परिसरों में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। इस बीच अनेक राजनैतिक, सामाजिक व श्रम संगठनों के लोग उनकी हड़ताल को समर्थन देने धरना स्थल पर पहुंच रहे हैं।

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