ब्रह्माकुमारीज समर कैम्प : डांस कांपीटिशन में बच्चों ने शानदार प्रस्तुति देकर रंग जमाया…
रायपुर, 9 मई (Swarnim Savera) : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित प्रेरणा समर कैम्प के सातवें दिन डांस काम्पीटिशन में बच्चों ने शानदार प्रस्तुति देकर मन मोह लिया। उन्हें देश भक्तिपूर्ण गीत, धार्मिक भजन अथवा माता-पिता से सम्बन्धित गीतों पर नृत्य करना था। इसमें कुल पचास बच्चों ने हिस्सा लिया।
आज सभा में बच्चे रंग -बिरंगे ड्रेस पहनकर उपस्थित हुए थे। समर कैम्प में उनके लिए डांस काम्पीटिशन रखा गया था। वह लोग अपनी वेशभूषा से लोगों को आकर्षित तो कर ही रहे थे साथ ही सभागृह की शोभा को भी बढ़ा रहे थे। विशेष बात यह रही कि डांस के स्टेप बच्चों ने खुद तैयार किए थे। डांस काम्पीटिशन के निर्णायक के रूप में ब्रह्माकुमारी रश्मि और स्नेहा दीदी उपस्थित थीं।
सबसे पहले कु. इन्द्राणी साहू और कु. मीनू साहू ने देवा श्रीगणेशा देवा… गीत पर नृत्य प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। उसके बाद कु. पूनम द्विवेदी ने अब ये शीश न झुके, तेरी लाज हम रखें, माई भवानी…नामक गीत पर नृत्य पेश किया। कु. सौम्या नायडू ने पार्वती बोली शंकर से सुन लो भोलेनाथ जी, रहना है हर एक जन्म मुझे तुम्हारे साथ जी…गीत पर सुन्दर नृत्य प्रदर्शित किया। कु. वैष्णवी साहू ने राजस्थानी घूमर नृत्य प्रस्तुत कर सबको ताली बजाने पर मजबूर कर दिया।
कु. लवाक्षी कृष्णानी ने मेरी दुनिया तू ही माँै… गीत पर नृत्य प्रस्तुत कर मन मोह लिया।
इसके पहले सत्र में ब्रह्माकुमारी सिमरण दीदी ने कर्मों की गति विषय पर बोलते हुए कहा कि हमें सदा ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे लोगों की दुआएं हमें प्राप्त हो। अनजाने में भी हमारे कर्म ऐसे न हों जो कि किसी को दुख पहुंचे। अगर हम किसी को दुख देते हैं तो स्वयं सुखी कैसे रह सकेंगे? सुख और दुख हमारे कर्मों का परिणाम होते हैं। कभी किसी को दु:ख देने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।
ब्रह्माकुमारी सिमरण दीदी ने बतलाया कि सुख का आधार हमारे श्रेष्ठ कर्म हैं। इसलिए सुखी रहना चाहते हो तो सदैव सभी के लिए शुभ और अच्छा सोचो। अच्छे लोगों का संग करें। किसी के प्रति अपनी निश्चित धारणा बनाकर न रखें कि यह तो है ही खराब। इसके साथ ही दयालु बनकर दूसरों को माफ करना सीखें। हमारे पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा बाबा कहते थे कि जो कर्म मैं करूंगा मुझे देखकर दूसरे भी करेंगे। ऐसा सोचने से हमारे कर्मों पर निरन्तर अटेन्शन बना रहता है। कभी कोई गलत काम हमसे नहीं होगा।
उन्होंने बच्चों को अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि गुणवान व्यक्ति ही दुनिया में महान कहलाता है। उनका समाज में इतना गहरा प्रभाव पड़ता है कि उनके न रहने पर भी लोग उन्हें याद करते हैं।