भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग एवं गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के बीच एक अनुबंध (एमओयू) पर किया गया हस्ताक्षर
दुर्ग 12 May, (Swarnim Savera) । भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग एवं गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के बीच अनुबंध (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया है। इस अवसर पर भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग के कुलसचिव डॉ वीरेंद्र स्वर्णकार एवं गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. मनीष श्रीवास्तव ने अनुबंध (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस अनुबंध का उद्देश्य शैक्षणिक गतिविधियों को नया आयाम देना है। इस अवसर पर गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के माननीय प्रभारी कुलपति प्रोफेसर अमित कुमार सक्सेना, फॉरेंसिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ सुधीर यादव सहित फारेंसिक साइंस के विद्यार्थी, भारती विश्वविद्यालय के फारेंसिक साइंस विभाग की विभागाध्यक्ष निशा पटेल उपस्थित थे। अनुबंध (MoU) के बारे में जानकारी देते हुए गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के माननीय प्रभारी कुलपति प्रोफेसर अमित कुमार सक्सेना ने कहा कि इस समझौते से दोनों संस्थाओ के बीच केवल ज्ञान और बौद्धिक संपदा का आदान-प्रदान ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन भी होगा।
भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग के माननीय कुलाधिपति श्री सुशील चन्द्राकर ने इस अनुबंध पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य शैक्षणिक व शोध गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। उप-कुलपति माननीय डाॅ. आलोक भट्ट ने कहा कि किसी शैक्षणिक संस्थान के लिए अनुबंध (MoU) बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे दोनों संस्थानों के मध्य संसाधनों का पारस्परिक साझा करके शैक्षणिक माहौल बनता है। कुलसचिव डॉ वीरेंद्र स्वर्णकार ने कहा कि भारती विश्वविद्यालय शिक्षा, शोध सहित सांस्कृति व गैर-शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि दुर्ग जिले सहित मध्य छत्तीसगढ़ में भारती विश्वविद्यालय विद्यार्थियों व शोधार्थियों के लिए शिक्षा व शोध का केन्द्र बन गया है। विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों व शोधार्थियों हेतु अवसरों को बढ़ाने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों से एमओयू किये हैं। इससे अकादमिक एवं शोध गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा जो कि छात्र-छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के फॉरेंसिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ सुधीर यादव ने बताया कि वर्तमान में छात्रों को किताबी ज्ञान देने के अतिरिक्त प्रायोगिक ज्ञान तथा विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त करना भी आवश्यक है। डॉ यादव ने बताया कि ऐसे अनुबंध होने से छात्र-छात्राओं को बेहतर रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।