बस्तर संभाग में सरसों की खेती को बढ़ावा देने पर विशेष जोर

सरसों की उपज लेने किसानों को करें प्रोत्साहित : डॉ. कमलप्रीत =
= मिलेट मिशन में अधिक किसानों को जोड़ने के निर्देश दिए कृषि उत्पादन आयुक्त ने =
जगदलपुर 19 May, (Swarnim Savera) । कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा है कि आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। संभाग के किसान प्राकृतिक खेती करते हैं और रासायनिक खादों का बहुत ही कम उपयोग करते है। विभागों के माध्यम से किसानों को वर्मी कंपोस्ट खादों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करें और अधिक उत्पादन देने वाले बीजों का वितरण करवाएं, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो।
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह गुरुवार को यहां जिला कार्यालय के प्रेरणा सभाकक्ष में आयोजित संभाग के अधिकारियों की बैठक में वर्ष 2023 के लिए खरीफ फसल निर्धारण एवं वर्ष 2022-23 के रबी फसल कार्यक्रम की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में संभागायुक्त श्याम धावड़े, विशेष सचिव फकीर अयाज तंबोली, जलग्रहण मिशन के संचालक रणवीर शर्मा, उद्यानिकी विभाग के संचालक मतेश्वरन व्ही., कृषि उप सचिव तूलिका प्रजापति और संचालक मत्स्य एसएस नाग सहित संभाग के सभी जिला कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, उप संचालक कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
डॉ. सिंह ने कहा कि कोदो, कुटकी, कुल्थी जैसे अनाजों की उपज का रकबा बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही मिलेट मिशन से भी अधिक से अधिक किसानों को जोडें। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी एवं वाणिज्यिक फसलों की खेती में परंपरागत खेती से कई गुना ज्यादा आमदनी होती है। राज्य सरकार इनकी खेती के लिए आकर्षक अनुदान के साथ इस साल से सहकारी बैंक शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण भी मुहैया करा रहा है। लिहाजा किसानों को योजनाओं की जानकारी देकर इनकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कोंडागांव जिले में निर्माणाधीन एथेनॉल प्लांट की प्रगति का भी संज्ञान लिया और प्लांट संचालन के लिए आवश्यक मानव संसाधन की व्यवस्था, ऑइल कंपनियों से समन्वय करने, दूसरे राज्यों में संचालित एथेनाल प्लांट में एक्सपोजर विजिट करवाने के निर्देश दिए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने किसानों को ऋण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के केसीसी कार्य को आश्यक बताया। कमिश्नर श्री धावड़े ने बताया कि केसीसी कार्य में सभी जिलों ने अच्छी मेहनत की है। वन अधिकार मान्यता पत्रक धारकों को भी केसीसी कर योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। बैठक में किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, अल्पकालीन फसल ऋण वितरण, धान के बदले अन्य फसलों को बढ़ावा देने, जलग्रहण क्षेत्र की स्वीकृत परियोजनाओं की वित्तीय व भौतिक प्रगति, उद्यानिकी विभाग की योजनाओं, पशुपालन विभाग की योजनाओं और मत्स्य पालन विभाग की योजनाओं की समीक्षा कर आवश्यक निर्देश दिए गए। गोठनों के विकास तथा रीपा की गतिविधियों, गोठनों में पैरा दान, चारागाहों के विकास, स्वावलंबी गोठनों, गोठनों में आर्थिक गतिविधियां, गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट निर्माण व विक्रय, गोधन न्याय योजना के तहत गोठनों में गोबर खरीदी, खरीदी के आधार पर वर्मी कम्पोस्ट निर्माण और विक्रय के संबंध में भी निर्देश दिए गए। डाॅ. सिंह ने कहा की खादों की बिक्री पॉश मशीन से ही की जाए। सनई एवं ढेंचा जैसी जैविक खादों को किसानों की प्रैक्टिस में लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। श्री सिंह ने कहा कि किसानों की आमदनी तभी बढ़ेगी, जब उन्हें खेती के लिए आसान ऋण मिलने लगेगा। इसके लिए हर किसान को केसीसी योजना का लाभ दिलाया जाए। साथ ही आगामी गिरदावरी कार्य और फसल कटाई प्रयोग का राजस्व अधिकारियों द्वारा विशेष ध्यान देकर करवाने के निर्देश दिए।
डॉ. सिंह ने गोठानों में उद्यानिकी विभाग द्वारा विकसित की गई सामुदायिक बाड़ी, जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों, आश्रम छात्रावासों और सुरक्षा बलों के कैंपों को लिंक कर यहां उत्पादित साग- सब्जियों की बिक्री बढ़ाने पर जोर दिया गया।जिससे कि महिला समूहों को और ज्यादा फायदा हो सके। उन्होंने कहा कि परंपरागत फसलों में आमदनी की एक सीमा होती है। ज्यादा आमदनी के लिए किसानों को वाणिज्यिक खेती के लिए प्रेरित करना होगा। राज्य सरकार इनकी खेती के लिए अनुदान के साथ गारंटी भी देती है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा किसानों को लाभान्वित करने के लिए प्रकरण तैयार करने के निर्देश दिए

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