भाजपा का चरित्र आदिवासी, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग गरीब विरोधी है सांसद दीपक बैज
Raipur, 01 Sep, (Swarnim Savera) /- आज हम भाजपा की जनविरोधी सोच का काला चिट्ठा जारी कर रहे है। भाजपा ने 15 साल में छत्तीसगढ़ का शोषण किया। भाजपा के राज में प्रदेश में आम आदमी के संवैधानिक अधिकारों को बंधक बना कर रखा गया था। आदिवासी, किसान, मजदूर, युवा, महिलाएं सभी असुरक्षित थी। किसानों को उनकी उपज की पूरी कीमत नहीं मिलती थी। आदिवासी असुरक्षित थे। नक्सलवादी गतिविधियां जोरों पर थी। महिलायें, बच्चियां असुरक्षित, झलियामारी और आमाडोला जैसी घटनाएं प्रदेश की पहचान बन गयी थी। नान घोटाला, चिटफंड घोटाला, ओडीएफ घोटाला, पनामा पेपर, डीकेएस जैसे घोटालों से प्रदेश की छवि खराब हुई थी। भाजपा की मोदी सरकार वादाखिलाफी का पर्याय बन गयी है। किसानों, युवाओं, गृहणियों किसी से किया वादा मोदी ने पूरा नहीं किया।
*भाजपा का चरित्र आदिवासी, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग गरीब विरोधी*
कांग्रेस सरकार ने राज्य के हर वर्ग के लोगों को उनका अधिकार देने विधानसभा में सर्वसम्मति से आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर राजभवन भेजा है। भाजपा ने षड़यंत्रपूर्वक उस विधेयक को राजभवन में रोके रखा है। विधेयक में अनुसूचित जनजाति के लिये 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिये 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगो को भी 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। 76 प्रतिशत का आरक्षण सभी वर्गो की आबादी के अनुसार निर्णय लिया है। यह विधेयक यदि कानून का रूप लेगा तो हर वर्ग के लोग संतुष्ट होंगे। सभी वंचित वर्ग के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने सामाजिक न्याय को लागू करने यह विधेयक बनाया गया है।
*भाजपा आदिवासी विरोधी*
ऽ वन अधिकार पट्टों के लिये प्राप्त 4 लाख आवेदनों को बिना किसी परीक्षण के निरस्त कर दिया।
(कांग्रेस सरकार ने 4,55,586 वन अधिकार बांटे। )
ऽ भाजपा सरकार द्वारा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार नहीं दिए गये।
( कांग्रेस सरकार ने 50 लाख से अधिक सामुदायिक वन संसाधन )
ऽ सैकड़ो निर्दोष आदिवासी को जेल लंबी अवधि तक कैद रखा।
(विगत चार वर्षो में 1314 निर्दोष आदिवासी को कांग्रेस सरकार ने रिहा किया)
ऽ भाजपा के शासनकाल में आदिवासियों की हजारों एकड़ भूमि पर जबरदस्ती कब्जा किया गया।
( कांग्रेस की सरकार में बस्तर की लोहांडीगुड़ा क्षेत्र के 10 गांव में निजी इस्पात संयंत्र के लिये अधिग्रहित की गई 1707 किसानों की 4200 एकड़ से अधिक भूमि उन्हें वापस की)
ऽ भाजपा शासनकाल में केवल 7 प्रकार के वनोपज की खरीदी की जाती थी। लघु वनोपज की न्यूनतम मूल्य पर संग्रहण का कोई प्रयास नहीं किया गया। संग्राहको को बिचौलियों को वनोपज औने-पौने दामों पर बेचना पड़ता था।
( कांग्रेस राज में समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 65 की।)
ऽ पेसा कानून को लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
(कांग्रेस पेसा कानून के नियम बनाया)
ऽ आदिवासियों को रोजगार, स्व रोजगार और उनकी आय में वृद्धि को लेकर कोई प्रयास नहीं किया गया।
ऽ सुपोषण अभियान को लेकर प्रभावशील कार्य नहीं किया गया। वनांचल सुदूर क्षेत्रों के जरूरतमंद लोगो तक योजना का लाभ नहीं पहुंच पाया।
ऽ फर्जी चिटफंड कंपनियों को आश्रय दिया गया। इन कंपनियों ने आम जनता से उनके खून पसीने की कमाई के करोड़ो रूपए ठगे।
*भाजपा किसान विरोधी*
1. भाजपा ने 2013 के विधानसभा चुनाव में किसानों से एक-एक दाना धान खरीदने, 2100 रू प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने तथा 300 रू प्रति क्विंटल बोनस भी देने का वादा किया था। वह वादा छलावा मात्र सिद्ध हुआ।
वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्होंने सर्वप्रथम यह निर्णय किया कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा कोई भी अतिरिक्त राशि नहीं दी जायेगी। केंद्र सरकार के दबाव का ही परिणाम था कि किसानों से एक-एक दाना धान क्रय करने का वादा करने वाली रमन सरकार ने 2014 में ही यह घोषणा की कि किसानों से प्रति एकड़ मात्र 10 क्विंटल धान मात्र का संग्रहण न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया जाये। कांग्रेस के उग्र विरोध एवं किसानों के आंदोलित होने से दबाव में आकर प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान खरीदी की सीमा बढ़ाकर 15 क्विंटल की गयी।
2. मोदी सरकार ने वर्ष 2016 में घोषणा की थी कि आगामी 6 वर्षों में अर्थात वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगनी हो जायेगी। किसानों की आय में वृद्धि होने के बदले आय कम हो गयी। इस घोषणा पर भी भाजपा नेताओं ने चुप्पी साध ली है।
3. स्वामीनाथन समिति की अनुशंसा अनुसार धान के एम.एस.पी. के निर्धारण करने के वादे से पलटना।
4. मोदी सरकार ने वर्ष 2020 में 3 कृषि कानूनों को लाया गया। जिसका उद्देश्य एम.एस.पी. एवं पी.डी.एस. की व्यवस्था को समाप्त कर खेती का कार्पोरेटीकरण करना था। पूरे देश के किसानों ने मोदी सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया था। भाजपा के केन्द्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ नेता पूरे देश में घूम-घूम कर यह समझाने का प्रयास करते रहे कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में लागू किये जा रहे है तथा किसान नासमझी के कारण इनका विरोध कर रहे है। तीनों काले कानूनों का विरोध करते-करते 750 किसानों को अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ी। उसके बाद भी हठधर्मिता के कारण भाजपा नेताओं का दिल नहीं पसीजा। कुछ राज्यों के चुनाव निकट आने पर राजनीतिक हानि से बचने के लिये तीनों कानूनों को मजबूरी में वापस लेना पड़ा। लेकिन इससे भाजपा के किसान हितैषी बनने के ढोंग का पर्दाफाश हो गया ।
*”कथित डबल इंजन की सरकार का विचार“, भाजपा का छत्तीसगढ़ के लोगो को फिर से ठगने का षडयंत्र मात्र*
1. केन्द्र में मई 2014 में भाजपा की सरकार बनी। वर्ष 2013 में भाजपा ने किसानों से धान खरीदी पर 300 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने का वादा किया था किन्तु जून 2014 में मोदी सरकार ने धान खरीदी पर बोनस दिए जाने पर प्रतिबंध लगाया। 2100 रू. प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी का प्रस्ताव ठुकराया। राज्य की लाचार भाजपा सरकार न चाहते हुये भी कुछ न कर सकी। राज्य की जनता से विश्वासघात किया।
2. 2013 में किसानों से धान का एक-एक दाना खरीदने का वादा करने के बाद खरीफ विपणन वर्ष 2014-15 में किसानों से धान खरीदी की अधिकतम सीमा प्रति एकड़ 10 क्विंटल निर्धारित की गयी। कांग्रेस के उग्र विरोध के बाद उसे प्रति एकड़ 15 क्विंटल किया गया।
3. रमन सरकार के 15 वर्षों के कार्यकाल में सबसे अधिक धान 2013-14 में खरीदा गया, 80 लाख टन। तब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी। 2014 में मोदी सरकार आने के बाद राज्य में 2018 तक प्रतिवर्ष मात्र 63 लाख टन, 59.29 लाख टन, 69.59 लाख टन तथा 56.89 लाख टन धान खरीदा गया। डबल इंजन सरकार में धान खरीदी इतनी कम क्यों? मोदी ने रमन सिंह को पैसे क्यों नही दिए?
4. सभी केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में केन्द्रांश कम होता गया, राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय भार बढ़ता रहा। राज्य के मुख्यमंत्री एवं अन्य भाजपा नेता कुछ न कर सके। (सूची संलग्न)
वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद अनेक महत्वपूर्ण केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में केंद्रान्श कम कर के राज्यांश की राशि बढ़ा दी गयी, जिससे राज्यों के वित्तीय भार में वृद्धि हुई।
क्र. योजना का नाम वर्ष 2013-14 तक के केंद्रांश और राज्यांश का प्रतिशत वर्ष 2014-15 तक के केंद्रांश और राज्यांश का प्रतिशत
केन्द्रांश : राज्यांश केन्द्रांश : राज्यांश
1 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 75 : 25 60 : 40
2 सर्व शिक्षा अभियान 75 : 25 60 : 40
3 मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम 65 : 35 60 : 40
4 प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना 100 : 00 60 : 40
5 नरेगा 90 : 10 75 : 25
6 राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम 75 : 25 50 : 50
7 राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान 65 : 35 60 : 40
8 एकीकृत बाल विकास योजना 85 : 15 57 : 43
5. वर्ष 2017 में राज्य के हितों के विपरीत जी.एस.टी. की व्यवस्था लागू की गयी। जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य को वर्ष 2022 के बाद प्रतिवर्ष हजारों करोड़ का नुकसान होना तय था। राज्य के भाजपा नेता केंद्र सरकार के दबाव के सामने लाचार थे. तथा राज्य की जनता के साथ हो रहे ऐतिहासिक अन्याय का जरा भी विरोध न कर सके। राज्य की जनता कभी भी भाजपा द्वारा किये गये अन्याय को माफ नहीं करेगी। वर्ष 2023-24 से छत्तीसगढ़ को 7,000 करोड़ से अधिक क्षति होना निश्चित हैं।
6. चिटफंड कंपनियां राज्य के लाखों गरीब परिवारों की खून पसीने की कमाई लेकर चंपत हो गयी। केंद्र एवं राज्य सरकार के संरक्षण में उन कंपनियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
7. कोयला रॉयल्टी की बकाया 4,400 करोड़ की राशि रमन राज में केंद्र ने रोकी।
8. सितंबर 2018 की रिजर्व बैंक ऑफ इन्डिया की रिपोर्ट के अनुसार देश में सर्वाधिक गरीबों का प्रतिशत छत्तीसगढ़ में मोदी और रमन ने जमकर लूटा ।
9. देश के सर्वाधिक 100 पिछड़े जिलों में 10 जिले छत्तीसगढ़ में उनमें रमन सिंह का जिला राजनांदगांव भी शामिल।
10. किसानों की ऋण माफी की भाजपा एवं राज्य की केंद्र सरकार विरोधी। किसान कर्ज में भूबे।
11. रमन परिवार की संपत्ति 2008 से 2018 के बीच 15 गुना बढ़ी।
12. नक्सल समस्या चरम पर आदिवासियों की फर्जी एनकाउंटर के नाम पर हत्या। सैकड़ों निर्दोष आदिवासियों को नक्सली होने के नाम पर जेल में ठूसा गया।
13. अडानी को अनेक कोयला एवं आयरन और ब्लॉक बिना किसी लागत लगाये सौंपे गये।
14. आदिवासियों की 1 लाख एकड़ भूमि जबरन अधिग्रहित । आदिवासी दर-दर भटकने हेतु मजबूर।
15. 15 आदिवासी लघु वनोपज बिचौलियों को बेचने हेतु विवश एम.एस.पी. पर क्रय की कोई व्यवस्था नहीं।
16. राम वन गमन पथ, माता कौशल्या की जन्मभूमि, रामायण मंडलियां, छत्तीसगढ़ी संस्कृति – घोर उपेक्षा। क्योंकि असली सत्ता राज्य के बाहर के लोगों के हाथ में थी। जिन्हें छत्तीसगढ़ की संस्कृति से कोई लगाव नहीं था।
17. बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा करके उनसे विश्वासघात ।
18. मोदी सरकार ने नंदराज पर्वत को अडानी को सौंपने का षड्यंत्र कर रही है।
19. छत्तीसगढ़ को रमन सिंह सरकार के समय ओडीएफ राज्य घोषित कर दिया गया था। लेकिन राज्य की 24 प्रतिशत आबादी खुले में शौच को जाती है। इस तरह छत्तीसगढ़ में पूर्ण ओडीएफ घोषित कर 1500 करोड़ का घोटाला किया गया।
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि 15 वर्षों के कार्यकाल में रमन सरकार ने राज्य के गरीबों, आदिवासियों, किसानों, बेरोजगारों तथा अन्य नागरिकों को सिर्फ लूटने का काम किया गया। केंद्र में 2014 में मोदी सरकार के गठन के बाद गरीबों के लूट की प्रक्रिया और तेज हो गयी थी। रमन परिवार, उनके मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों तथा भाजपा पदाधिकारियों की संपत्तियां कई गुना बढ़ गयी। दो-पहिया वाहनों में चलने वाले तथा सामान्य रहन-सहन वाले भाजपा महंगे चार पहिया वाहनों एवं आलीशान मकानों के मालिक बन गये। साढ़े चार साल तक शर्म के मारे भाजपाई घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही मोदी एवं अमित शाह की फटकार के बाद फिर से झूठ एवं फरेब के माध्यम से सत्ता हथियाना चाहते हैं। राज्य की जनता केंद्र की भाजपा सरकार एवं राज्य भाजपा के नेताओं के विश्वासघात से बुरी तरह आहत है। वह भाजपा के किसी भी हथकंडे से प्रभावित नहीं होगी।