रामेश्वरी ने भँुजिया व कमार आदिवासियों के लोक नृत्य की ली जानकारी
भिलाई। भारत सरकार संस्कृति विभाग के संस्कृत शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा सीनियर फैलोशिप अवॉर्डी रामेश्वरी ने अपने संग्रहण के लिए चौथे चरण में गरियाबंद जिले के भँुजिया और कमार जनजाति बहुल ग्राम कोसेकसा और ढूंनढूनी पानी ,बीजापानी, पीपरछेड़ी, रूवाण समेत लगभग 8 ग्रामों में जाकर उनकी लुप्तप्राय नृत्य शैली और आजीविका के संसाधनों की विस्तृत जानकारी अर्जित की। ग्राम कोसेकसा के प्रमुख ग्वाल सिंह सोरी और समाज प्रमुख रितोराम पुजेरी , बिजापानी गांव के प्रमुख परशराम नेताम और ढूंनढूनी पानी गांव के प्रमुख सुखराम ने अतिथि आगमन पर पांव पखारने से लेकर वहां के आदिवासियों की पारंपरिक लोक नृत्य शैली, लोक वाद्य यंत्रों ,भोजन कक्ष की पवित्रता संबंधी विस्तृत जानकारी दी। जन्म, विवाह और मृत्यु संस्कार से संबंधित मान्यताओं से भी अवगत कराया ।
इस दौरान रामेश्वरी ने और लोकगीत का प्रदर्शन कर उनसे जानकारी ली, तथा सहभागिता पद्धति से साथ में समूह नृत्य कर लुप्त प्राय विधाओं का बारीकी से अध्ययन किया। इसके पूर्व में हुए पहले दूसरे तथा तीसरे चरण में क्रमश: बस्तर ,कवर्धा व सरगुजा के दूरस्थ क्षेत्रों में जाकर विशेष संग्रहण का कार्य कर चुकी हैं। लोक नृत्य दल में लिलेश्वरी नेताम ,मधु ,करुणा, कारी बाई ,अनीता बाई ,वेद भाई ,पीला बाई ,फूलबाई ,पुकारो बाई ,फूलवती, देवंती, कमला, बिसानी, करणी बाई ,चैती बाई, धोबीराम, अटरू राम ,महारानी बाई ,सुखवाती आदि शामिल थी। विशेषज्ञ के रूप में ज्ञानेश तिवारी, सुरेखा तिवारी, मोहित मोगरे, लता मोगरे मौजूद थे। संग्रहण दल में प्रमुख रूप से पुन्नू यादव ,तरुण निषाद , राकेश देशमुख ,संत मनी कौशल ,सहदेव देशमुख और शैलेंद्र चंद्रवंशी सहभागी रहे।
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