परिंदों को पता होता अपना मजहब, आसमां से होती रोज खून की बारिश

भजनों से सराबोर कर गई रोटरी काव्य मंच की गोष्ठी=

*दल्ली राजहरा।* रोटरी काव्य मंच द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी 151वीं कड़ी सहभागी कवियों और श्रोताओं को भक्ति भावना से सराबोर कर गई। नवरात्रि पर विशेष रूप से आयोजित इस काव्य गोष्ठी का विषय ‘भजन कीर्तन में साहित्यकार’ था।

 आयोजन में सभी का अपार सहयोग मिला, जो काबिले तारीफ था। शक्ति की आराधना के पर्व नवरात्रि पर सभी ने अपने अंतर्मन से जो कलम चलाई। मां की भक्ति से सराबोर भजन कीर्तन वाली इस गोष्ठी में विशेष रूप से पधारे मां के साधक, डॉ. हिमांशु मिश्रा, ‘दीपक’ भागलपुर ने कार्यक्रम को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वे विश्व प्रसिद्ध भजन गायक हैं।उनके उद्बोधन और भजनों से मंत्रमुग्ध हो गए। बेजोड़ संचालन से श्रीमती शोभा और राजकुमार हांडा ने शानदार समा बांधा। आयोजन में 40 भजन गायकों ने उत्कृष्ट प्रस्तुतियां दी। आरंभ में सरस्वती वंदना मधुर कंठ से डॉ. स्वाति ने प्रस्तुत की।अथिति परिचय डॉ. राजेंद्र खरे ने दिया। सम्मान पत्र का वाचन अशोक द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम में साहित्यकार के संपादक आगरा के प्रोफेसर डॉ. अजीत जैन अतिथि थे।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. बनवारी लाल जाजोदिया ने कहा कि विश्व में पहली बार भजन कीर्तन में साहित्यकार इस तरह का कोई संग्रह पहली बार देखने को मिला है। सर्वधर्म समभाव पर पर चलते हुए सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया। उनका कहना था कि जब निर्जीव पेड़ पौधे, नदी नाले, चींटी से लेकर हाथी तक, आकाश में उड़ते परिंदे, चांद, सूरज, हवा, पानी, धरती, आकाश, आग कभी नहीं देखते कि अमुक धर्मावलंबी को ही प्रकृति प्रदत्त सुविधा देंगे। गाय भी अपना दूध पिलाने में भेदभाव नहीं करती इसको पिलाऊं, उसको नही पिलाऊं। और एक हम बुद्धिजीवी इंसान हैं, जिसे ईश्वर ने आंख, कान, नाक, दिमाग, बुद्धि सब बख्शी है, वह एक दूसरे धर्म के इंसान का खून का प्यासा हो रहा है। यदि परिंदों को मालूम होता अपने -अपने मजहब का रोज आसमान से खून की बरसात होती। यही है कड़वा सच।

*बॉक्स*

*इन कवियों जीत लिया दिल* 

 काव्य गोष्ठी में नीति अग्निहोत्री, शोभारानी तिवारी, मीना अग्रवाल, संतोष तोषनीवाल, शेषनारायण चौहान, राजकुमार हांडा, हुकुमचंद कटारिया, स्नेह नीमा, हरिप्रकाश गुप्ता, मनीराम शर्मा, निर्मल सिंघल, डॉ. जवाहर गर्ग, उषा अग्रवाल काठमांडू, शिशिर देसाई, डॉ. अजीत जैन आगरा, डॉ. राजेंद्र खरे, डॉ. शुभकुमार मधुबनी, मोहन त्रिपाठी गुजरात, डॉ. अरविंद श्रीवास्तव, डॉ. रामस्वरूप साहू मुंबई, डॉ. बनवारी जाजोदिया, महेंद्र शर्मा, सोनल शर्मा सीकर, डॉ. नूतन जैन आगरा, डॉ. विजयलक्ष्मी अनू आगरा, डॉ. शिरोमणि माथुर दल्ली राजहरा छत्तीसगढ़, अशोक गर्ग, रशीद अहमद शेख, अनिल वर्मा अलीगढ़ और डॉ. ललित सिंह ठाकुर भाटापारा छ्ग आदि कवियों ने स्वरचित भजनों से सबका दिल जीत लिया। यह भजन गोष्ठी इतिहास रच गई।

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