दीपक’ की लौ बन गई ज्वाला, बुरी तरह झुलसी भाजपा

क्षेत्र के हजारों भाजपा कार्यकर्त्ता मिला चुके हैं कांग्रेस के ‘हाथ’ से हाथ =

दीपक बैज की चल रही ऐसी आंधी कि झरने लगीं भाजपाई फूल की पंखुड़ियां

*-अर्जुन झा-

*लोहंडीगुड़ा /- बस्तर जिले के चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र में ‘दीपक’ की लौ ज्वाला बनकर धधक रही है। यह ज्वाला विपक्ष को भस्म करती नजर आ रही है। इस ज्वाला सबसे ज्यादा कोई पार्टी झुलस रही है, तो वह है भाजपा। क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज की ऐसी आंधी चल पड़ी है कि भारतीय जनता पार्टी के ‘फूल’ की पंखुड़ियां तेजी से झरती जा रही हैं। भाजपा के ‘कमल’ की ये झरती पंखुड़ियां सीधे कांग्रेस के ‘हाथ’ की शोभा बनती जा रही हैं। भाजपा कार्यकर्त्ताओं का अपनी पार्टी से तेजी से मोहभंग होने लगा है। अब तक हजारों भाजपा कार्यकर्त्ता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। दीपक बैज की आंधी का व्यापक असर लोहंडीगुड़ा विकासखंड के ग्राम धाराऊर में देखने को मिला है। धाराऊर गांव भाजपा का मजबूत किला माना जाता रहा है। अब यह किला कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज की आंधी में धराशाई हो चुका है। विजयादशमी के दिन धाराऊर के करीब 500 भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं क्षेत्र के प्रत्याशी दीपक बैज के समक्ष कांग्रेस प्रवेश किया। दीपक बैज ने सभी नवागत कार्यकर्त्ताओं को कांग्रेसी गमछा पहनाकर कांग्रेस पार्टी में उनका स्वागत किया। इस दौरान सभी नए और पुराने कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने दीपक नहीं ये ज्वाला हैं, बस्तर में फैला रहे उजाला हैं और दीपक नहीं ये आंधी है, बस्तर का ये गांधी है, जैसे गगनभेदी नारों से वातावरण को कांग्रेसमय बना दिया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से ही चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत लोहंडीगुड़ा, तोकापाल और दरभा विकासखंडों के गांवों में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। लोगों के बीच पहुंचकर वे भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं और पूर्ववर्ती डॉ. रमनसिंह सरकार की किसान एवं आदिवासी विरोधी नीतियों तथा केंद्र की भाजपा सरकार की नाकामियों को उजागर कर रहे हैं। उनके सहज, सरल व्यवहार, मिलनसरिता और भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं ने लोगों के दिलों में अच्छी छाप छोड़ी है। इसका असर यह हो रहा है कि लोग स्वस्फूर्त होकर कांग्रेस में शामिल होने लगे हैं। बड़ी बात तो यह है कि वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का झंडा उठाते आ रहे युवा और ग्रामीण भी थोक में कांग्रेस का हाथ थामते जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद एवं चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज के समक्ष अब तक हजारों ग्रामीण कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। कांग्रेस में शामिल होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या भाजपा कार्यकर्त्ताओं और भाजपा से जुड़े युवाओं की है। ये लोग सालों से भाजपा के झंडाबरदार रहे हैं। क्षेत्र में भाजपा की पैठ मजबूत करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। दीपक बैज की ऐसी आंधी चल पड़ी है कि भारतीय जनता पार्टी के कमल फूल की ये पंखुड़ियां तेजी से झरती जा रही हैं। मजे की बात तो ये है कि ये पंखुड़ियां झरकर इधर – उधर बिखरने के बजाय कांग्रेस के ‘हाथ’ की शोभा बनती जा रही हैं। क्षेत्र के कई गांवों में तो आलम यह है कि अब वहां भाजपा का कोई नामलेवा भी नहीं रह गया है। क्षेत्र में भाजपा बे -दम हो चली है और प्रपंच पर उतर आई है। यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि एक ही व्यक्ति को बार बार जिताने से क्षेत्र का विकास अवरुद्ध हो जाएगा, बार बार जीतने वाला नेता घमंडी हो जाता है। बावजूद लोग इस बहकावे में नहीं आ रहे हैं और कांग्रेस की ओर ही कदम बढ़ाने लगे हैं।*बॉक्स**बैज की सक्रियता का है ये असर*आखिर ऐसी क्या बात है कि चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के लोगों का झुकाव कांग्रेस की ओर क्यों बढ़ रहा है ? यह सवाल जेहन में उठना लाजिमी है। हमने जब गहराई में जाकर पड़ताल की, तो इस सवाल का जवाब मिल गया। पता चला कि दरअसल यह तो दीपक बैज की सतत सक्रियता का असर है। दीपक बैज दो बार इस क्षेत्र के विधायक रह चुके हैं, लिहाजा क्षेत्रवासियों के लिए दीपक बैज नया नाम नहीं है। विधायक रहते उन्होंने क्षेत्र के लोगों से जीवंत संपर्क बनाए रखा, ग्रामीणों की समस्याओं के निराकरण के लिए वे समर्पित होकर काम करते रहे। टाटा समूह के लिए क्षेत्र के आदिवासियों और किसानों से अधिग्रहित जमीन वापस कराने, बोधघाट सिंचाई परियोजना को रद्द करवाकर खेती जमीन को डूब में आने एवं हजारों परिवारों को विस्थापित होने के दंश बचाने जैसे महति कार्य दीपक बैज ने कराए हैं। इसके अलावा क्षेत्र के गांव – गांव में सड़क, बिजली, पानी, सिंचाई, नाली, स्कूल, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराकर दीपक बैज ने ग्रामीणों का दिल जीत लिया है। सांसद के रूप में भी दीपक बैज ने क्षेत्रवासियों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसी का नतीजा है कि लोग दीपक बैज के दीवाने बन गए हैं।

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