पलायन में अवसर की तलाश कर विद्या ने सृजित की कहानियां : संजय द्विवेदी

भिलाई। वरिष्ठ लेखिका विद्या गुप्ता की तीसरी किताब ‘मैं हस्ताक्षर हूं ‘ कहानी संग्रह का विमोचन समारोह रविवार को एक निजी होटल में हुआ। मुख्य अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर संजय द्विवेदी ने कहा कि विद्या गुप्ता की कहानी एक- दूसरे से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं। कहानियों के अध्ययन से पता चल जाता है कि उन्होंने संघर्ष और विस्थापन की त्रासदी को भोगा है। साथ ही पलायन मेंअवसर ढूंढ कहानियों का सृजन किया है। इसीलिए छत्तीसगढ़ रचनाकारों का उर्वरक प्रदेश माना जाता है। प्रमुख वक्ता डॉक्टर सियाराम शर्मा ने कहा कि उनकी कहानियों की भाषा संवेदनशील और चित्रात्मक है। वे गढ़ी हुई नहीं अपितु परिवार एवं आसपास के वातावरण के अनुभव से लिए पारंपरिक कहानियां है ,संभवत यही उनकी सीमा और ताकत भी है। वरिष्ठ लेखक गुरबीर सिंह भाटिया ने कहा कि उनकी कहानियों में अनछुुए पहलुओं का बखूबी विश्लेषण हुआ है। वे स्त्री मन से आगे जाकर रचनाधर्मिता का निर्वहन कर रही हैं। वरिष्ठ व्यंग्यकार विनोद साव ने कहा कि जिस तरह से अच्छे स्वास्थ्य अर्जित करने के लिए अच्छे चिकित्सक की जरूरत होती है उसी  तरह अच्छी रचना के लिए अच्छे समीक्षक का होना जरूरी है। विद्या गुप्ता की कुछ कहानियां  घर संसार से दूर की भी हैं। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. परदेसी राम वर्मा ने कहा कि विद्या गुप्ता की कहानी आस्वाद के स्तर पर भी बिलकुल भिन्न है। स्त्री की कहानी स्त्री ही लिख सकती है , यह उन्होंने सिद्ध कर दिया है। उन्होंने ‘मर्द ‘और एकऔर डांडी मार्च र्की विशेष रूप से चर्चा की। वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार सतीश जायसवाल बिलासपुर ने कहा कि मैं हस्ताक्षर हूं संग्रहित कहानी कहानी होने की शर्त पूरी करती हैं। पूरी कथाओं में रचनाकार का आत्मविश्वास बोलता है। इसे पारिवारिक कहानी कहकर खारिज नहीं कर सकते। अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव ने कहा कि जो कहानियों में नहीं कह पाई या उसे विस्तार नहीं दे सकी उसे विद्या ने कहानियों में समायोजित करने का कुशल कार्य किया है। उन्होंने किशोरावस्था के प्रेम पर केंद्रित कहानी ‘बंद खिड़की की झिर्री’ और ‘अंगूरी रंग ‘की  विस्तृत विश्लेषण किया। आयोजकीय वक्तव्य एवं अपनी रचना प्रक्रिया पर विद्या गुप्ता ने कहा कि साहित्य में लेखन की विधा कोई भी हो उसकी पाठकीय मांग आवश्यक है ।पाठकों को बांधे रखने में समर्थ रचना ही सही मायने में रचनाकार की सृजन शक्ति को रेखांकित करती है। उन्होंने अपनी कहानी संग्रह में शामिल कहानी ‘आरक्षित अंत ‘ का पाठ भी किया। संचालन वरिष्ठ लेखिका अनीता करडेकर और आभार व्यक्त सुधीर गुप्ता ने किया। इस अवसर पर अतिथियों के अतिरिक्त फोटोग्राफर कांतिभाई सोलंकी का शाल और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मान किया गया। साथ ही परिवारजनों की ओर से विद्या गुप्ता का भी विशेष रूप से सम्मान किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से वरिष्ठ लेखक इन्दुशंकर मनु ,जसवीर सिंह धीमान ,प्रदीप वर्मा ,विजय वर्तमान ,ललित जैन , डॉक्टर सरिता श्रीवास्तव ,शुचि भवि ,ऋषि गजपाल ,सहदेव देशमुख, डॉ संजय दानी ,प्रोफेसर शाहिद अली रायपुर, कैलाश गुप्ता बिलासपुर के अलावा बड़ी संख्या में दुर्ग- भिलाई समेत छत्तीसगढ़ के रचनाकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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