खड़खड़ की आवाज…कम हुआ ब्रेक पाइप का प्रेशर’, लोको पायलट ने बताई घटना से पहले की कहानी

गोंडा/ गोंडा जिले में बृहस्पतिवार को हुए चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन हादसे के बाद बयान दर्ज कराने के दौरान लोको पायलटों ने बताया कि मोतीगंज स्टेशन से दोपहर 2:28 बजे स्टार्टर लेटआफ होने के बाद लगभग 25 किमी प्रतिघंटे की गति से रनथ्रू पास किया गया। किमी संख्या 638/12 पर ट्रेन गुजारने के दौरान जोर का झटका लगा। खड़खड़ की आवाज आई, जिससे शक हुआ। आवाज के साथ बीपी प्रेशर कम होने लगा। उस वक्त ट्रेन 80 की गति से चल रही थी। इमरजेंसी ब्रेक लगाया। पेंटो डाउन किया, लेकिन कई बोगियां पटरी से उतर चुकी थीं। फ्लैशर लाइट जलाकर सहायक लोको पायलट राज को बगल की लाइन की सुरक्षा के लिए भेज दिया।

संयुक्त रिपोर्ट में निकले ये निष्कर्ष
-रेलवे की संयुक्त टीम ने प्रांरभिक जांच में पाया कि रेलवे ट्रैक की फास्टनिंग ठीक से नहीं की गई थी।
-सीनियर सेक्शन इंजीनियर एसएसई को दोपहर डेढ़ बजे ट्रैक पर गड़बड़ी मिली, लेकिन स्टेशन मास्टर मोतीगंज को दोपहर 2:28 बजे ट्रेन के गुजरने के बाद दोपहर 2:30 बजे कॉशन का मेमो दिया गया। इसमें 30 किमी. प्रति घंटे की गति से ट्रेन को चलाया जाना था।

-कॉशन ऑर्डर मिलने तक साइट पर सुरक्षा व्यवस्थाएं की जानी चाहिए थीं, ऐसा नहीं किया गया। इसके लिए रेलवे इंजीनियरिंग अनुभाग जिम्मेदार है।

बयानों से सामने आए ये तथ्य
-एसएसई के बयान के अनुसार दोपहर डेढ़ बजे पटरी पर गड़बड़ी मिली। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को दोपहर ढाई बजे कॉशन मेमो दिया गया, जिसमें 30 किमी. प्रतिघंटे की गति सीमा से ट्रेन चलानी थी।

-पटरी में दो वेल्डिंग के बीच तनाव बढ़ने से फैलाव आया था, जोकि डाउन ट्रैक के दाहिनी ओर मिला। ट्रेन बेपटरी होने पर बायीं ओर 3.07 मीटर का लाइन का टुकड़ा गायब हो गया। 350 मीटर ट्रैक पूरी तरह क्षतिग्रस्त पाया गया।

-पहले इंजन, फिर जेनरेटर पावर कार बेपटरी हुआ था। इसकी डिस्क व्हील व सेकेंड्री डैंपर क्षतिग्रस्त पाया गया। ट्राली गिट्टियों में धंसी थी।
-ट्रेन की स्पीड हादसे के समय स्पीडोमीटर में 86 किमी. प्रतिघंटा पाई गई।
-एसएसई-पीवे ने अंतिम बार 27 जून को घटनास्थल वाले सेक्शन का निरीक्षण किया था।

एसएसई ने दर्ज कराई असहमति
रेलवे की संयुक्त रिपोर्ट में शामिल एसएसई पीके सिंह ने बयान दर्ज कराते वक्त अपनी असहमति दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि लांग वेल्ड रेल का बर्ताव न्यूट्राल सेक्शन में है, जो कि सही है। पार्सल वैगन में जोड़ को चेक नहीं किया गया। पहियों का मेजरमेंट किए बिना ही, गड़बड़ी मान ली गई, जबकि ऐसा नहीं था।

कीमैन ने चार दिन पहले दी थी सूचना
खास बात यह है कि घटनास्थल वाली जगह पर पटरी में गड़बड़ी की सूचना कीमैन ने चार दिन पहले ही दे दी थी, जिसका ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सूचना के बाद भी पटरी को डिस्ट्रेस नहीं किया गया। माना जा रहा है कि इसी जगह बकलिंग होने से ट्रेन बेपटरी हो गई।

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