यनाड पर केरल के राज्यपाल की चेतावनी, कहा- बचाव दल अभी भी बस्ती तक नहीं पहुंच सका

वायनाड / केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने  कहा है कि वायनाड में भूस्खलन से हुई तबाही की अभी तक पूरी जानकारी का पता नहीं चल सका है। उन्होंने कहा कि भूस्खलन के कारण चालियार नदी ने अपना रास्ता बदल दिया है और उसके कारण एक गांव तबाह हो गया है लेकिन हम अभी तक उस गांव तक नहीं पहुंच सके हैं। राज्यपाल ने कहा कि इस गांव की ओर जाने वाला एक पुल बह जाने के बाद इसका संपर्क टूट गया है। उन्होंने कहा, ”सेना की इंजीनियरिंग इकाई बेली ब्रिज (एक पोर्टेबल पुल) बनाने की कोशिश कर रही है और यह कुछ घंटों में पूरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि पुल बनने तक क्षति के पैमाने का ठीक से आकलन करना संभव नहीं है, क्योंकि हम भूस्खलन से प्रभावित पहले स्थल तक नहीं पहुंच पाए हैं।

भूस्खलन से बचे लोगों को मानसिक सहायता की भी जरूरत’
वायनाड के एक मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डॉक्टर ने कहा है कि यहां भूस्खलन में घायल हुए कई लोगों को भर्ती कराया गया है। उन्होंने कहा कि इन मरीजों को न केवल शारीरिक मदद की जरूरत है, बल्कि उन्हें हुए आघात से उबरने के लिए मानसिक सहायता की भी जरूरत है।

प्राकृतिक आपदा के कारण 291 लोगों की मौत
केरल के वायनाड जिले में मंगलवार को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण अब तक 291 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 लोग लापता हैं। यह आंकड़ा अभी और भी अधिक बढ़ सकता है। वहीं भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में सेना का राहत व बचाव कार्य जारी है।

केरल ने वापस लिया वैज्ञानिक समुदाय को दिया गया निर्देश
वहीं केरल सरकार ने गुरुवार को राज्य के वैज्ञानिक समुदाय से अनुरोध किया था कि वे वायनाड भूस्खलन पर अपनी राय और अध्ययन रिपोर्ट मीडिया के साथ साझा न करें। दरअसल राज्य राहत आयुक्त और आपदा प्रबंधन के प्रमुख सचिव टीकू बिस्वाल ने एक आदेश में केरल के सभी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों को वायनाड में मेप्पाडी पंचायत का दौरा न करने का निर्देश दिया, जिसे आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया है। राज्य और अन्य जगहों के वैज्ञानिकों ने इस आपदा के लिए वन क्षेत्र में कमी, नाजुक इलाके में खनन और जलवायु परिवर्तन के घातक मिश्रण को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि कुछ देर बाद ही केरल सरकार ने अपना ये आदेश वापस ले लिया है।

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