छोटे कद से परेशान बीएससी की छात्रा ने दी जान
पुलिस और सेना में भर्ती होने का देखा था सपना, कम लंबाई बन रही थी रोड़ा
– सुसाइड नोट छोड़कर छात्रा ने दुनिया से अलविदा कहा
रेहड़-बिजनौर। भारतीय सेना में भर्ती होने का सपना देखा, मगर कद छोटा होने से यह सपना बार बार टूटता रहा। कद को लेकर बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा अवसाद में चली गई। आखिरकार कम लंबाई की वजह से छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
रेहड़ थाना क्षेत्र के गांव हरकिशनपुर निवासी धर्मेंद्र कश्यप की बेटी अंशिका (21) बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा थी। बृहस्पतिवार को उसके माता-पिता एवं भाई कहीं चले गए। अंशिका घर पर अकेली थी। उसने कमरे में छत के कुंडे से रस्सी का फंदा बनाकर फांसी लगा ली।
बिजली मीटर रीडर के आने पर पड़ोसियों को इस घटना के बारे में जानकारी लगी। उन्होंने छात्रा के माता-पिता को खबर दी। बदहवास हालत में घर पहुंचे परिजन बेटी को लटका देख सदमे में आ गए। परिजनों ने पुलिस को घटना से अवगत कराया। पुलिस ने मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। घटना से परिजनों में कोहराम मचा है। सीओ अफजलगढ़ अंजनी कुमार ने बताया कि छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। वह लंबाई को लेकर अवसाद में थी।
पूरा न हुआ सेना में जाने का सपना, कई बार किया था प्रयास
पिता ने बताया कि अंशिका की लंबाई चार फुट आठ इंच थी। अंशिका ने सेना में भर्ती होने के लिए कई बार प्रयास किया। मगर, लंबाई कम होने की वजह से उसका सेलेक्शन नहीं हो पाया था। अब कम लंबाई को लेकर अवसाद में पहुंची बेटी ने आत्महत्या कर ली।
बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से ग्रसित हो सकती है छात्रा : डॉ. नितिन
बिजनौर। जिले में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मानसिक बीमारियों से ग्रसित लोग आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम उठा रह हैं। बृहस्पतिवार को बीएससी फाइनल की छात्रा अंशिका ने लंबाई कम होने की वह से आत्महत्या कर ली। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन कुमार ने बताया कि छात्रा बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से ग्रसित हो सकती है। इस मानसिक बीमारी में लोग अपने शरीर को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं।
मेडिकल अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन कुमार का कहना है कि बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर 40 प्रतिशत लोगों को अनुवांशिक होता है। जबकि बाकी लोगों को बचपन में हुई घटनाओं की वजह से होता है। 100 से में करीब ढाई प्रतिशत लोग इस डिसऑर्डर से पीड़ित हैं। व्यक्ति अपने शरीर को लेकर अधिक चिंतित रहता है। जिस वजह से वह तनाव या अवसाद में चला जाता है। शरीर में कोई परेशानी नहीं होने पर भी उसे उसे लगता है कि उसे कोई पेशानी है। वहीं कई बार परेशानी होती है, लेकिन उस समस्या को दिमाग में बड़ी बनाकर सोचता है। जिसके बाद लोग आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं। बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से ग्रसित मरीज में उदासी, घबराहट, समाज से कटे रहने , शरीर की बनावट पर अधिक ध्यान रखने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुंरत मनोरोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।
केस नंबर एक
हल्दौर के मोहल्ला तौल्लावाला के रहने वाले अंकुर शर्मा और उसकी पत्नी शिवानी ने अप्रैल माह में जहरीले पदार्थ के सेवन किया था। जिससे शिवानी की मौत हो गई थी।
केस नंबर दो
कोतवाली शहर के गांव झलरा में मार्च माह में इमराना ने खुद को चुनरी से फांसी लगा ली थी। पति अफजाल सऊदी में रहता है। किसी बात से नाराज महिला ने आत्महत्या की थी।
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केस नंबर तीन
कादराबाद थाना क्षेत्र के गांव खुशहालपुर में फरवरी माह में दलजीत सिंह (55) पुत्र जसवंत ने आत्महत्या कर ली थी। कर्ज के बोझ के तले दबे होने से उसने अपनी ही लाइसेंसी पिस्टल से कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या की थी।