राशन की कालाबाजारी में बड़ी कार्रवाई, दो गोदामों के तोड़े ताले; 900 बोरियां जब्त

सुकमा/ सुकमा जिले में राशन माफियाओं पर जिला प्रशासन की अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही देखने को मिली है। जहां नक्सल प्रभावित चिंतलनार के गांव में कार्यवाही में अब तक 900 बोरे चावल बरामद हुए हैं। लगभग 200 बोरा चना और बड़ी मात्रा में शक्कर अलग अलग गोदाम से बरामद किया गया है।चिंतलनार इलाका लंबे समय से राशन की कालाबाजारी को लेकर चर्चा में रहा है। जहां अंदरूनी इलाकों में रह रहे अशिक्षित ग्रामीणों के राशन पर डाका डालने का मामला कई बार विधानसभा में भी गूंज चुका है। एक बार फिर से चिंतलनार चर्चा में आया। लेकिन यह कार्यवाही अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही बताई जा रही है।

मिली जानकारी के अनुसार, विशेष गुप्त सूत्रों के हवाले से गरीबों में बांटे जाने वाले राशन के अवैध रूप से लगाए गए स्टॉक की जानकारी जिला प्रशासन को लगी। जिसके बाद सुकमा कलेक्टर हरीश के निर्देश पर एसडीएम तहसीलदार खाद्य विभाग के द्वारा दो दिनों तक कार्यवाही की गई पहले दिन मौके से एक निजी मकान में 43 बोरा चावल 18 बोरा शक्कर और एक बड़ा चना बरामद किया गया था।

जिसके बाद टीम वापस मुख्यालय लौट आई थी। इस कार्यवाही के बाद एक और विशेष सूचना प्रशासन को मिली। जिसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर टीम वापस चिंतलनार में छापे मार कार्यवाही करने के लिए पहुंची। इस दौरान बताए गए जगह पर प्रशासन की टीम ने कार्यवाही की कार्यवाही के दौरान अलग-अलग गोदाम से 500 से ज्यादा बोरा चावल लगभग 200 बोरा चना और बड़ी मात्रा में शक्कर बरामद किया गया।

खबर लिखे जाने तक पीडीएस की कालाबाजारी पर कार्यवाही जारी रही। मौके पर एसडीएम तहसीलदार खाद्य अधिकारी खाद्य निरीक्षक समेत आल्हा अधिकारी मौजूद है। इस मामले पर सुकमा कलेक्टर हरीश एस ने फोन पर चर्चा के दौरान बताया कि सूचना के आधार पर टीम को चिंतलनार भेजा गया। जहां दो दिनों में दो अलग कार्यवाही की गई है। भारी मात्रा में राशन के बरामद होने की जानकारी मिली है । फिलहाल, टीम कार्यवाही कर रही है। कार्यवाही पूरी होने के बाद विस्तार से जानकारी दे दी जाएगी।

कई बार कालाबाजारी को लेकर चर्चा में रह चुका है चिंतलनार
गौरतलब है कि चिंतलनार वह इलाका है जहां पीडीएस की कालाबाजारी आम बात हो चली है, क्योंकि इलाका अशिक्षित है और अंदरूनी इलाकों में भवन न होने की वजह से आधा दर्जन से ज्यादा राशन की दुकान चिंतलनार में ही संचालित है और दूर दराज के इलाकों से आने वाले ग्रामीण की शिकायत जिला मुख्यालय तक नहीं पहुंच पाती है। इसी का फायदा राशन दुकान के संचालक उठाते हैं। इससे पहले भी पोटाकेबिन के राशन की हेरा फेरी का मामला उजागर हुआ था। जहां 300 से ज्यादा बोरे राशन की कालाबाजारी मामले में एक सरपंच के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। वहीं कई बार यहां राशन की कालाबाजारी के मामले विधानसभा में भी गूंजे हैं।

कैसे चलता है कालाबाजारी का चैन
गौरतलब है कि खाद्यसुरक्षा अधिनियम के नए कानून आने के बावजूद कालाबाजारी पर लगाम नहीं लग पाया है, क्योंकि यह काम अकेले के दम पर किया जा पाना संभव नहीं है। इस सिस्टम को एक बड़े चैन के जरिए चलाया जाता है। दंतेवाड़ा मार्ग खुलने के बाद पीडीएस की कालाबाजारी पालनार के रास्ते खुल गए। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि जगरगुंडा होते हुए पालनार के रास्ते जिले का शासकीय राशन अवैध रूप से दंतेवाड़ा जिले में दाखिल होता है। इस रास्ते में प्रशासन का हस्तक्षेप नहीं होता है और रास्ते में पुलिस थाने भी बेहद कम होते हैं। जिस वजह से इन पर दबिश नहीं हो पाती। स्थानीय सूत्र यह तक कहते हैं कि चिंतलनार और जगरगुंडा की राशन दुकानों की सिरे से जांच की जाए और गोश्वरा की जानकारी के साथ ग्रामीणों से पूछताछ की जाए तो कई दुकान प्रशासन की कार्यवाही की भेंट चढ़ेंगे।

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