सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी: सुकमा में छह नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, इनमें दो लाख का एक इनामी भी शामिल

सुकमा/ स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले सुकमा जिले में सक्रिय कुल छह नक्सलियों के द्वारा आत्मसमर्पण किया गया है। छत्तीसगढ़ शासन की ‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति’ एवं ‘नियद नेल्ला नार’ योजना से प्रभावित होकर तथा अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार नवीन सुरक्षा कैंप स्थापित कर पुलिस के बढ़ते प्रभाव से आत्मसमर्पण किया गया। आत्मसमर्पण करने वाले एक नक्सली पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दो लाख रुपये का इनाम घोषित है। नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित कराने में नक्सल सेल आसूचना शाखा एवं 74 वाहिनी सीआरपीएफ के आसूचना शाखा का विशेष प्रयास रहा है।मामले की पुष्टि करते हुए सुकमा एसपी किरण चौहान ने बताया कि नक्सलियों के अमानवीय, आधारहीन विचारधारा एवं उनके शोषण, अत्याचार तथा बाहरी नक्सलियों के द्वारा भेदभाव करने तथा स्थानीय आदिवासियों पर होने वाली हिंसा से तंग आकर नक्सली संगठन में सक्रिय कुल छह नक्सलियों ने सरेंडर किया है। जिसमें पहले नक्सली की पहचान दो लाख के इनामी राकेश उर्फ पदाम भीमा पिता स्व. हड़मा निवासी चिमलीपेंटा भण्डारपारा थाना जगरगुण्डा जिला सुकमा के रूप में हुई है।

इसके अलावा गांधी देवा उर्फ माड़वी देवा पिता गंगा (तुमालपाड आरपीसी मिलिशिया सदस्य) निवासी तुमालपाड सरपंचपारा थाना चिंतागुफा जिला सुकमा, वेट्टी जोगा पिता स्व. मुत्ता (सुरपनगुडा आरपीसी चिमलीपेंटा डीएकेएमएस सदस्य) निवासी चिंमलीपेंटा पटेलपारा थाना जगरगुण्डा जिला सुकमा, सोड़ी देवा पिता स्व. भीमा (सुरपनगुडा आरपीसी ग्राम चिमलीपेंटा डीएकेएमएस उपाध्यक्ष) निवासी चिंमलीपेंटा भण्डारपारा थाना जगरगुण्डा जिला सुकमा और बारसे रमेश पिता बारसे आदि (सुरपनगुडा आरपीसी ग्राम चिमलीपेंटा सीएएनएम सदस्य) निवासी चिंमलीपेंटा पटेलपारा थाना जगरगुण्डा जिला सुकमा एवं इरफा गनपत पिता स्व. लक्ष्मैया (सुरपनगुडा आरपीसी अन्तर्गत ग्राम चिमलीपेंटा अध्यक्ष) निवासी चिंमलीपेंटा पटेलपारा थाना जगरगुण्डा जिला सुकमा के रूप में पहचान हुई है। नक्सलियों ने बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया है। 

कई घटनाओं में रह चुके शामिल
उपरोक्त सभी सदस्य प्रतिबंधित नक्सली संगठनों में जुड़कर विभिन्न नक्सली गतिविधियों जैसे पुलिस गश्त पार्टी की रेकी कर हमला करना, पुलिस पार्टी के आने-जाने वाले मार्गों पर स्पाइक/बम लगाना, मुख्य मार्गों को खोदकर मार्ग अवरूद्ध करना, शासन-प्रशासन के खिलाफ बैनर प्रसारित करना, नक्सली पर्चा-पम्पलेट लगाने समेत आदि घटनाओं में शामिल रहे है। आत्मसमर्पण करने वाले उक्त सभी नक्सलियों को ‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति’ के तहत सहायता राशि व अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

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