हमीरपुर हादसे में तीन मौत: एक साथ उठी पिता व दोनों बेटों की अर्थी, मां रोते-रोते चीख पड़ी…बोलीं- मुझे भी ले चलो

हमीरपुर/ हमीरपुर जिले में मंगलवार रात शहर के हमीरपुर-कालपी मार्ग (स्टेट हाईवे) पर तेज रफ्तार डंपर ने बाइक सवार पिता व दो पुत्रों को रौंद दिया। हादसे में बेटों की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं पिता ने कानपुर ले जाते समय ऑक्सीजन के अभाव में रास्ते में दम तोड़ दिया था। बुधवार को जब एक साथ पिता-पुत्रों की अर्थी उठी तो कोई भी अपने आंसू रोक नहीं पाया।

यमुना तट स्थित श्मशान घाट पर एक साथ तीनों का अंतिम संस्कार किया गया। उधर, पत्नी अपने पति व बच्चों के शव देख रोती-बिलखती रही। उधर, हादसे के बाद से मोहल्लों में लोगों के घरों में चूल्हे तक नहीं जले। आधीरात तक परिजनों के साथ लोग गमगीन बैठे रहे। वहीं लोगों ने नो इंट्री खुलने पर निकलने वाले ट्रकों-डंपरों की तेज रफ्तार व बाईपास निर्माण में हो रही देरी को लेकर आक्रोश जताया।रमेड़ी मोहल्ला निवासी पीडब्ल्यूडी के कनिष्ठ लिपिक जयप्रकाश (52) मंगलवार की शाम धनतेरस पर खरीदारी करने के लिए अपने दोनों बेटों आयुष (13) व अथर्व (12) के साथ बाइक से गए मुख्यालय में बाजार निकले थे। बैंक ऑफ बड़ौदा के सामने तेज रफ्तार डंपर ने उन्हें कुचल दिया था। हादसे में आयुष व अथर्व की मौके पर ही मौत हो गई।

एक साथ हुआ तीनों शवों का अंतिम संस्कार
वहीं, जयप्रकाश की कानपुर ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई। पुलिस ने बुधवार को तीनों शवों को पोस्टमार्टम कराया। इसके बाद एक साथ तीनों शवों का अंतिम संस्कार कराया गया। मोहल्ले से जब तीनों के शव निकले तो कोई भी अपने आंसू नहीं रोक सका। पिता-पुत्रों की एक साथ मौत की घटना से मोहल्ले में मातम छाया रहा। लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना आक्रोश जताया।

दिवाली पर आयुष ने मांगा था काला कुर्ता, अथर्व ने नीला
घटना के बाद परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल है। मंगलवार रात भर मोहल्ले में चीख पुकार मची रही। धनतेरस को लेकर लोगों ने घरों में सजावट को लगाई गईं लाइटें बंद रखीं। मृतक जयप्रकाश की गमगीन भतीजी नैना अपने चाचा व भाइयों की बातें कर फफककर रो पड़ी। उसने बताया कि मंगलवार सुबह चाचा घर आए थे और शाम को बाजार जाने के लिए उससे भी पूछ रहे थे। बताया कि चाचा ने उसे बताया कि आयुष दिवाली के लिए काला और अथर्व नीला कुर्ते की मांग कर रहा है और कहा था कि तुम भी बाजार चलना।

पिता की तरह क्रिकेट का दीवाना था आयुष
नैना के अनुसार उसके चाचा को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। वह अक्सर अपने दोस्तों के साथ खेलने जाते थे। उन्हीं की तरह आयुष भी क्रिकेट का दीवाना था। उसने कई मैच खेल कर ट्रॉफी जीती थी। बताया कि मुख्यालय स्थित लार्ड बुद्धा स्कूल में आयुष कक्षा आठ व अथर्व कक्षा सात का छात्र था।

अंत तक बच्चों के बारे में पूछता रहा जयप्रकाश
घटना स्थल पर मौजूद लोगों की मदद से जब दोनों बच्चों व पिता को अलग-अलग रिक्शे से जिला अस्पताल लाया गया। जहां मौजूद परिचितों से जयप्रकाश ने पूछा बच्चे कहां है। इस पर लोगों ने उसे इलाज चलने की बात कहकर झूठा दिलासा दिया। कानपुर रेफर होने के दौरान भी उसने कई बार बच्चों के बारे में पूछा, तब भी उसे यहीं जवाब देकर परिजन दूसरी तरफ मुंह कर फफक कर रोते रहे।

महिला आरक्षी भी नहीं रोक सकीं अपने आंसू
घटना के बाद दो बेटों की मौत पर बिलखती मां बाला को महिला सिपाही दिलासा दे रहीं थीं। इसी बीच बाला को पति के मरने की जानकारी होते ही वह जोर से चिल्लाने लगी। उसे समझाते हुए महिला सिपाही भी अपने आंसू नहीं रोक सकीं, उनकी आंखों में आंसू छलकते दिखे।

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