लौ बुझाने की कोशिश करने वालों को मालूम नहीं कि इस दीपक को रौशन करती हैं दंतेश्वरी माई
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दीपक बैज के खिलाफ साजिश दर साजिश =
*जगदलपुर।* एक प्रसिद्ध शेर है – “फानूस बनकर जिसकी हिफाजत हवा करे, वो शमा क्या बुझे जिसे रौशन खुदा करे।” प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की भी लौ कुछ कांग्रेसियों की आंखों में शुरू से खटकती आ रही है। इस लौ को बुझाने के लिए साजिश दर साजिश की जा रही है। इन साजिशबाजों को शायद यह मालूम नहीं है कि दीपक वो शमा है, जिसे दंतेश्वरी माई रौशन करती आ रही है।
नगरीय निकाय चुनाव के लिए वोटिंग खत्म होते ही एक बार फिर से प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस में बवाल मच गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कांग्रेस की मजबूती के लिए निष्कासित नेताओं की पार्टी में वापसी की पहल क्या कर दी, कुछ नेताओं के पेट में मरोड़ उठने लगा है। दीपक बैज ने कई निष्कासित नेताओं की घर वापसी का रास्ता साफ कर दिया है। इन्हीं में एक नेता हैं अजीत कुकरेजा। अजीत की वापसी के बहाने फिर से पीसीसी चीफ को कटघरे में खड़े करने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। दीपक बैज विरोधी लॉबी अचानक फिर सक्रिय हो गई है। दरअसल नगरीय निकाय चुनाव के लिए वोटिंग खत्म होते ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से निकाले गए डेढ़ दर्जन कांग्रेसियों का निष्कासन रद्द करने का आदेश जारी कर दिया। जिनका निष्कासन रद्द किया गया है, उनमें रायपुर उत्तर क्षेत्र से नगर निगम के पूर्व एमआईसी मेंबर अजीत कुकरेजा का भी नाम शामिल है। बस इसी नाम को लेकर पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा नाराज हो उठे हैं। एआईसीसी ने छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी के अनुमोदन पर विभिन्न जिलों के नेताओं का निष्कासन रद्द किया है। इनमें रायपुर जिले से राजेश दुल्हानी, दिवाकर साहू बिलासपुर से जसबीर गुब्बर, महासमुंद से विश्वजीत बेहरा, कांकेर से क्रांति नाग, बस्तर से बोमड़ा मंडावी, दंतेवाड़ा से मनोज मालवीय और नरेंद्र सुराना, बालोद से तुकाराम साहू, हलधर साहू, नूतन किशोर साहू, तुलेश साहू, सोहन साहू, खोमन सिन्हा, संध्या निषाद, प्रताप चंद्र साहू और रिखीराम साहू शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने ऐसे नेताओं के वापसी के लिए आवेदन लिया था, जो विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान विद्रोह कर चुनाव मैदान में उतरे थे।
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*पैसा खुदा से कम नहीं : जुनेजा*
राजधानी रायपुर में अजीत कुकरेजा की पार्टी में वापसी पर बवाल मच गया है। पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा ने कुकरेजा की वापसी पर नाराजगी जताई है। जुनेजा ने कहा है कि, पैसा खुदा तो नहीं, पर खुदा की कसम खुदा से कम भी नहीं। उन्होंने कहा कि जो पैसे लेकर टिकट और पार्टी में आने की बात कहते थे वे वापस कैसे आ गए। मैंने कहा था, जो लोग पैसे लेकर टिकट देते हैं उसकी जांच हो। श्री जुनेजा ने कहा कि, मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि, पैसा खुदा से कम नहीं।
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*जुनेजा वरिष्ठ हैं: कुकरेजा*
उधर कांग्रेस में वापसी के बाद अजीत कुकरेजा ने कहा है कि, हम लगातार टिकट मांग रहे थे, नहीं मिली तो चुनाव लड़ना पड़ा। मैं हमेशा विचारधारा से बंधा रहा हूं, फिर कांग्रेस में वापसी हुई है। मेरी पार्टी में क्या भूमिका होगी यह वरिष्ठ नेता तय करेंगे। उन्होंने कहा कि, मैंने लोकसभा, निकाय चुनाव में भी पार्टी के पक्ष में काम किया। वहीं पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा के आरोपों पर अजीत कुकरेजा ने कहा कि, मेरे खिलाफ उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए बार-बार वे पैसे लेकर टिकट खरीदने की बात कहते हैं। जबकि चार बार स्वयं वे चुनाव लड़ चुके हैं। मैं सभी नेताओं से मिलूंगा, जुनेजा जी वरिष्ठ हैं, उनसे भी मिलूंगा।
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*कंटकों की राह का कांटा हैं बैज*
सच्चाई यह है कि दीपक बैज कांग्रेस के कंटकों के लिए बड़ा कांटा बन गए हैं। वे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को नए सिरे से स्थापित करने के लिए कांग्रेस की राह से कांटे हटाने की मुहिम चलाते आ रहे हैं। अपनी करतूतों से कांग्रेस की छवि धूमिल करते आ रहे नेताओं को दीपक बैज लगातार समझाईश देते आए हैं कि ढर्रा बदल दो, नहीं तो खैर नहीं। जिन लोगों ने ढर्रा नहीं बदला, वे किनारे कर दिए गए। यही बात कांग्रेस की एक लॉबी को
रास नहीं आ रही है। कांग्रेस की साख पर बट्टा लगाने वाले लोग ही अब अनर्गल प्रलाप करने लगे हैं। कांग्रेस के चंद नेताओं को स्वच्छ छवि वाले आदिवासी नेता दीपक बैज का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनना नागवार गुजर रहा है। दीपक बैज द्वारा जबसे भ्रष्ट कांग्रेसियों पर लगाम लगाने और सभी पार्टीजनों को उनका काम समझाने का कार्य शुरू किया गया है, तभी से कुलदीप जुनेजा जैसे लोग दीपक बैज पर अनर्गल आरोप लगाते आ रहे हैं। पार्टी आलाकमान भी चाहता है कि स्वच्छ छवि का आदिवासी नेता ही प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सम्हाले और कांग्रेस में भर आए कचरों को साफ करे। मगर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की मंशा पर कुछ दुराग्रही किस्म के कांग्रेस नेता पलीता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। जुनेजा कांग्रेस की सत्ता के दौरान किसके करीबी रहे हैं, यह बात पूरा छत्तीसगढ़ जानता है और सारा खेल उसी आका के इशारे पर चल रहा है, यह बात भी हर व्यक्ति जानता है। दीपक बैज बड़ी साफ सुथरी छवि वाले नेता हैं। सार्वजनिक जीवन में आज तक उन पर एक भी दाग नहीं लगा है। उन्हें निपटाने के फेर में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने में इन चंद नेताओं ने कोई कमी नहीं की है। लोकसभा चुनाव में बस्तर सीट से दीपक बैज का टिकट कटवाने के लिए छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक कैसे कैसे दांव आजमाए गए थे, इसे पूरे छत्तीसगढ़ ने देखा है। वहीं विधानसभा चुनाव में चित्रकोट सीट से दीपक बैज को हराने के लिए पूरे समय देर रात तक गांव गांव में साजिशों के तानेबाने बुनते हुए मुर्गा, दारू बकरा बंटवाए जाते रहे। ताजा घटनाक्रम दरअसल अपने आका नेता को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज करवाने की कवायद के सिवाय कुछ नहीं है।
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