हमारा स्वभाव मिलनसार और व्यवहार मधुर होना चाहिए… ब्रह्माकुमारी वनिषा दीदी

सफल होने के लिए आत्मविश्वास के साथ ही दुआओं की जरूरत…

  • बड़ों का सम्मान करने और आज्ञाकारी बनने से मिलेगी दुआएं…

रायपुर, 10 मई (Swarnim Savera) : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित प्रेरणा समर कैम्प के तीसरे दिन जीवन में सफलता के लिए दुआओं की जरूरत विषय पर बोलते हुए ब्रह्माकुमारी वनिषा दीदी ने बच्चों को उपयोगी टिप्स दिए।

उन्होंने कहा कि सफलता प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास के साथ-साथ दुआओं की भी जरूरत पड़ती है और दुआएं हमें अच्छे कार्यों से मिलती है। हमारा व्यवहार सबके साथ मुधर होना चाहिए। जो बच्चे मीठा स्वभाव वाले होते हैं वह सबको प्यारे लगते हैं। हम अपने अच्छे व्यवहार से सबकी दुआएं प्राप्त कर सकते हैं। जो बच्चे जिद्दी होते हैं, गुस्सा करते हैं वह किसी को प्रिय नहीं हो सकते। इसके अलावा हेल्पिंग नेचर वाले बच्चे भी सबको अच्छे लगते हैं। कई बच्चों के अन्दर यह विशेषता होती है कि वह एक-दूसरे को परस्पर सहयोग करते हैं और उनके सुख-दुख में साथी बनते हैं।

ब्रह्माकुमारी वनिषा दीदी ने कहा कि अपने हमें गुरूजनों और माता-पिता का सम्मान करना ही चाहिए। बड़ों का आज्ञाकारी बनना भी बहुत अच्छा गुण है। ऐसा स्वभाव हमको लोकप्रिय और सबकी दुआओं का पात्र बनाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए हमें एकान्तप्रिय नहीं बनना है। ऐसा स्वभाव हमें समाज में अकेला कर देगा। हमें मिल जुलकर रहने वाला अर्थात मिलनसार व्यक्ति बनना होगा। यदि हम दूसरों के काम नहीं आएंगे तो विपदा आने पर कोई भी हमारा साथ नहीं देगा।

वनिषा दीदी ने आगे कहा कि आप कितने भी पढ़े लिखे क्यों न हों लेकिन यदि आपका व्यवहार उचित नहीं है तो आपको सम्मान नहीं मिल सकेगा। सम्मान मांगने की वस्तु नहीं है। यदि हम ऐसा जीवन बनाएंगे तो दुआएं स्वत: प्राप्त होगी किसी से मांगनी नहीं पड़ेगी। उन्होंने दुआ को दवा से भी बढ़कर बतलाते हुए कहा कि डॉक्टर जब मरीज को ठीक करने में असफल हो जाते हैं तो वह लोग भी कहते हैं कि मरीज को दवा की नहीं अपितु दुआ की जरूरत है। वही इसे ठीक कर सकता है।

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