आहार ही औषधि हैं: डॉ. पूजा भेसले,आरोग्यम् नगपुरा

नगपुरा/ दुर्ग। उवसग्गहरं पाश्र्व तीर्थ नगपुरा में संचालित प्राकृतिक एवं योगोपचार साधना केन्द्र ‘आरोग्यम्Ó में साधकों से दैनिक संगोष्ठी परिचर्चा में महिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. पूजा भेसले ने बतलाया कि जीने के लिए खाना जरूरी है, खाने के लिए जीवन नहीं हैं ! शुद्ध सात्विक आहार हमारे जीवन को हमारे आचार-विचार-सोच को भी सात्विक बनाता है।भोजन मानव जीवन का एक अंग हैं। यह शरीर अन्न का कीड़ा है। शरीर की स्थिति बनाये रखने हेतु, स्वास्थ्य रक्षा हेतु, धर्म साधन हेतु इत्यादि कारणों से हम भोजन करते हैं। हमारा व्यवहार, विचार, आचार, हमारे भोजन पर आधारित है। जैसा भोजन करेंगें- वैसे विचारों का जन्म होगा। प्राकृतिक चिकित्सा में औषधियों का प्रयोग नहीं होता । प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार ‘आहार ही औषधि” है।
वर्तमान समय में सेहत को लेकर लोग परेशान रहतें है ! घर की भोजन,स्थानीय अनाजों एवं खाद्य पदार्थों की कद्र नहीं कर बाजार के फास्ड फूड के प्रति रुचि और आदत – के कारण आज अल्पायु में ही विभिन्न रोगों से जकड़ जाते हैं। आहार को प्राकृतिक चिकित्सा उपचार का प्रमुख तत्व माना जाता है, यहाँ भोजन ही ‘औषधिÓ है। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार, आहार किसी भी बीमारी के प्रबंधन में आवश्यक घटकों में से एक है। प्राकृतिक चिकित्सा सही आहार से खुद को ठीक करने की शरीर की जन्मजात क्षमता में विश्वास करती है। प्राकृतिक चिकित्सा उपचार में, उपचार, शीघ्र स्वास्थ्य लाभ और आगे के रखरखाव के लिए व्यक्तिगत रोगियों के लिए आहार विशेष रूप से अनुकूलित किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा अनुशंसा करती है, कि सभी भोजन अधिकांशत: ताजा और प्राकृतिक रूप में लिया जाना चाहिए। प्राकृतिक खाद्य पदार्थ खाने से हमारे शरीर पर सफाई और शुद्धिकरण प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक सामग्रियों और सरल खाना पकाने की तकनीकों का उपयोग करके तैयार किया गया ताजा भोजन यह सुनिश्चित करता है कि भोजन का प्राकृतिक पोषण नष्ट न हो। प्राकृतिक चिकित्सा मे आहार को तीन तरह से वर्गीकृत कर उपचार कर सकते हैं।
(1)उन्मूलन आहार –
यह आहार पाचन तंत्र में जमा सभी रुग्ण अपशिष्टों से छुटकारा पाने के लिए है। ये अपशिष्ट अधिकतर विषैले होते हैं और अधिकांश बीमारियों का मूल कारण होते हैं। इस आहार के अंतर्गत जूस और सूप दिया जाता है। इसमें नींबू का रस, खट्टे फल, नारियल पानी, सब्जियों का सूप, छाछ और गेहूं-घास का रस आदि शामिल हैं।
(2) सुखदायक आहार –
इसमें सरल और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ शामिल हैं जो पेट के लिए हल्के होते हैं। सुखदायक खाद्य पदार्थों के उदाहरण हैं ताजे पके फल, सलाद, उबली हुई सब्जियाँ, अंकुरित अनाज, सब्जियों की चटनी, आदि।
(3) रचनात्मक आहार –

एक पौष्टिक आहार दिया जाता है जिसमें साबुत गेहूं चोकर का आटा, बिना पॉलिश किए चावल, बाजरा, दालें, अंकुरित अनाज, तेल नमक शर्करा से विमुक्त तैयार खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं।

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