बस्तर में फिर झूठ बोल गए प्रधानमंत्री: दीपक बैज

नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचने पर अड़गई है केंद्र सरकार =

= आदिवासी, अनुसूचित जाति ओबीसी में वर्गभेद कर रही है मोदी सरकार =

= धान, वनोपज अपने दम पर खरीदती है भूपेश सरकार =

*रायपुर।* प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं बस्तर के सांसद दीपक बैज ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी सत्ता की भूख में झूठ बोलकर प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिरा रहे हैं। बस्तर में प्रधानमंत्री ने फिर झूठ बोला कि धान व वनोपज केंद्र सरकार खरीदती है। जबकि धान और वनोपज की खरीदी भूपेश सरकार अपने दम पर करती है। देश का 70 प्रतिशत वनोपज अकेले भूपेश सरकार खरीदती है। प्रधानमंत्री नगरनार संयंत्र नहीं बेचने के संबंध में कुछ नहीं बोले, उल्टे विनिवेशीकरण के फायदे गिना गए। इसका मतलब है मोदी सरकार बस्तर के लोगों की भावनाओं के खिलाफ नगरनार संयंत्र को बेचने पर आमादा है।

         प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि श्री मोदी ने छत्तीसगढ़ में भाजपा के 15 साल के भ्रष्टाचार, कुशासन और बस्तर के शोषण के लिए बस्तर की जनता से माफी नहीं मांगी। बस्तर के आदिवासियों का भाजपा राज में जो कत्लेआम हुआ था, उस पर भी प्रधानमंत्री चुप रहे। श्री बैज ने कहा कि मोदी ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में भेदभाव कर रहे थे। जब वोट लेने की बारी आती है, तब मोदी स्वयं ओबीसी बन जाते हैं और जब अधिकार देने की बारी आती है तो हिंदू- मुस्लिम की बात करके वैमनस्यता फैलाते हैं। सांप्रदायिकता का जहर घोलने का कुत्सित प्रयास संवैधानिक पद पर बैठे देश के प्रधानमंत्री ने किया। यह मानसिकता बेहद खतरनाक है। केवल चुनावी लाभ के लिए जब प्रधानमंत्री ही झूठ बोल सकता है, तो नीचे वाले संघियों भाजपाइयों से कोई उम्मीद नहीं रह जाती। श्री मोदी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को तार-तार कर दिया।

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*आरक्षण विधेयक क्यों रुकवाया?*

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस की भूपेश सरकार ने सर्व समाज के लिए आरक्षण का प्रावधान कर विधानसभा से पारित करवा कर राजभवन भेजा है। इसमें आदिवासी समाज के लिए 32 प्रतिशत, ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिये 13 प्रतिशत, सामान्य गरीब वर्ग के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। मोदी ने यह नहीं बताया कि उन्होंने आरक्षण बिल को राजभवन में क्यों रोकवा कर रखा है? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि केंद्र सूची के विषय पर राज्य की सरकार पर आरोप लगाकर एक बार फिर मोदी जानबूझकर गलत बयानी की। 2016-17 में जब केंद्र में मोदी सरकार और राज्य में रमन सिंह की सरकार थी, तब छत्तीसगढ़ के नंदराज पहाड़ और वहां के लौह अयस्क को अदानी को बेचा गया। कांग्रेस ने उस समय भी विरोध किया था और सरकार में आने के बाद नंदीराज पहाड़ लीज को निरस्त करने बाकायदा प्रस्ताव केंद्र की सरकार को भेजा, लेकिन उस पर आज तक मोदी सरकार मौन है, उल्टे गलत बयानी कर रहे हैं।

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*नगरनार प्लांट ‘मित्र’ को देने पर आमादा* 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि नगरनार प्लांट के विनिवेश के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 2017 में ईओआई जारी किया। बेचने की प्रक्रिया इस साल शुरू कर दी गई। इस ईओआई में टाटा, जिंदल, जेएसडब्ल्यू, अडानी समूह में बिड किया। अडानी के प्रतिनिधि प्लांट इंस्पेक्शन के लिए भी आए थे। 2017 में 20 हजार करोड़ से अधिक की लागत से बने एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण करने के मोदी सरकार के कुत्सित प्रयासों का कांग्रेस ने आरंभ से ही विरोध किया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में 2017 में विपक्ष में रहते हुए अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया और फिर सरकार में आने के बाद भूपेश सरकार ने शासकीय संकल्प पारित कर केंद्र को भेजा है। भूपेश सरकार ने आग्रह किया है कि सार्वजनिक उपक्रम एनएमडीसी का नगरनार संयंत्र निजी कंपनियों को नहीं बचा जाए, यदि केंद्र की सरकार नहीं चला पा रही है तो राज्य सरकार को दे दे, लेकिन अडानी प्रेम में मोदी सरकार ने जानबूझकर ऐसी ईओआई जारी किया है, कि राज्य सरकार को बिड से दूर रखकर नगरनार प्लांट मोदी अपने मित्र को दे सके।

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*मित्रों के लिए जंगल भी कुर्बान*

 दीपक बैज ने कहा कि इससे पहले छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य और तमोर पिंगला के नो गो एरिया को संकुचित कर केंद्र की मोदी सरकार ने कोल माइनिंग शुरू की। मोदी सरकार आने के बाद देश के भीतर पहली बार कमर्शियल माइनिंग शुरू की। कोल इंडिया लिमिटेड और एसईसीएल जैसी नवरत्न कंपनियों में खदान का काम अडानी को दिए गए। नो गो एरिया को संकुचित कर अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने 2006 के वन अधिकार अधिनियम को शिथिल किया, आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन के अधिकार से वंचित किया। परसा कोल ब्लॉक सहित हसदेव अरण्य क्षेत्र के पांच कोल ब्लाकों का आबंटन निरस्त करने के लिए भूपेश बघेल सरकार ने विधानसभा में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर 27 जुलाई 2022 को केंद्र की मोदी सरकार को भेजा है, लेकिन 1 साल से अधिक समय से उस पर भी मोदी सरकार मौन है। असलियत यही है कि मोदी सरकार का फोकस अपने मित्रों के लाभ पर है, और छत्तीसगढ़ के खनिज संसाधनों को अडानी को सौपना चाहती है।

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